राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने लिखा गृहमंत्रालय को
पत्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने संविधान
की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को ‘जनजातीय क्षेत्र’ का दर्जा देने की सिफारिश की है। इसके लिए केंद्रीय
गृहमंत्री और केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री को सुझाव देते
हुए पत्र लिखे गये हैं।
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डा. नंद
कुमार साइर की अध्यक्षता में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त
सचिव एस के राठो के साथ बुधवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति
आयोग की 199वीं बैठक भारतीय
संविधान की पांचवीं/छठी अनुसूची में केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख को शामिल करने के
मुद्दे पर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान सम्पूर्ण आयोग ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 का स्वागत किया, जिसके द्वारा करगिल और लेह जिलों को मिलाकर
केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख का सृजन हुआ। आयोग का मानना है कि लद्दाख क्षेत्र के जनजातीय
लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में इससे काफी मदद मिलेगी। इससे पहले 27 अगस्त 2019 को भी 118वीं बैठक में विचार-विमर्श किया गया था। बुधवार की बैठक आयोग ने
गृह मंत्रालय,
जनजातीय
कार्य मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय की 4 सितंबर
2019 को आयोजित एक बैठक में विचार-विमर्श के बाद आयोजित की। आयोग
ने नव-सृजित केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख को लेकर माना कि पहले
से ही देश में जनजाति की अधिकता वाला एक क्षेत्र है। अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या लेह
में 66.8 प्रतिशत, नुब्रा में 73.35 प्रतिशत,
खलस्ती
में 97.05 प्रतिशत, कारगिल में 83.49 प्रतिशत, सांकू में
89.96 प्रतिशत और ज़ांस्कर
क्षेत्रों में 99.16 प्रतिशत हैं। हालांकि, क्षेत्र के सुन्नी मुसलमानों सहित कई समुदायों
को अधिकारिक आंकड़े में शामिल नहीं किया गया है, जो अनुसूचित जनजाति के दर्जे के लिए दावा कर रहे हैं। इसके मद्देनजर लद्दाख क्षेत्र में कुल जनजातीय जनसंख्या 97 प्रतिशत से अधिक है। इस क्षेत्र में बाल्टी, बेडा, बॉट, बोटो, ब्रोकपा, ड्रोकपा, डार्ड, शिन, चांगपा,
गर्रा, सोम और पुरीगपा
जैसी जातियां निवास करती हैं। आयोग ने इस बात की ओर ध्यान दिया कि केन्द्र
शासित प्रदेश लद्दाख के सृजन से पहले,
लद्दाख
क्षेत्र के लोगों के कुछ अधिकार थे,
जिनमें
भूमि का अधिकार शामिल था, जिसके तहत देश के
अन्य हिस्से के लोग लद्दाख में जमीन खरीदने अथवा अधिग्रहित करने से प्रतिबंधित थे।
इसी प्रकार, लद्दाख क्षेत्र
में ड्रोकपा, बलती और चांगपा
आदि जैसे समुदायों द्वारा कई विशिष्ट सांस्कृतिक विरासत विद्यामान है, जिन्हें संरक्षित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता
है। इस
संबन्ध में गृहमंत्रालय को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया गया कि केन्द्र
शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किया जाए। आयोग का मानना
है कि इससे शक्तियों का लोकतांत्रिक हस्तांतरण, क्षेत्र की विशिष्ट
संस्कृति का संरक्षण और प्रोत्साहन, भूमि अधिकार सहित कृषि अधिकारों
का संरक्षण, लद्दाख क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए धन की उपलब्धता
बढ़ाई जा सकेगी। बैठक के बाद लिए गये निर्णय के अनुसार राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष
साई ने केन्द्रीय गृह मंत्री के अलावा केन्द्रीय जनजातीय
कार्य मंत्री को पत्र लिखकर भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में केन्द्र शासित प्रदेश
लद्दाख को शामिल करने की सिफारिश की है।
12Sep-2019
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