आचार सहिंता बनाने के लिए भारतीय संसदीय संघ में बनी सहमति
राज्य विधानमंडलों की बैठकों
की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता पर बल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
संसद और विधानसभा जैसे विधायी निकायों में कार्यवाही में व्यवधानों को रोकने के लिए समान आचार संहिता तैयार की जाएगी। वहीं राज्य विधानमंडलों की
बैठकों की सख्या बढ़ाने के साथ ही विधायी कार्य की गति बढ़ाने की दिशा में सार्थक चर्चा
पर बल दिया जाएगा। इसके लिए विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों की समिति गठित की
जाएगी।
बुधवार को यहां संसदीय सौंध में लोकसभा
अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में आयोजित राष्ट्रमंडल संसदीय संघ यानि सीपीए की कार्यसमिति
और देश में राज्य विधानसभाओं व विधान परिषदों जैसे विधायी निकायों के पीठासीन
अधिकारियों की बैठकों में इन निर्णयों पर सर्वसम्मिति के साथ सहमति बनी है। इन दोनों
बैठकों में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में लोकसभा
अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत में विधायी निकायों के तीस पीठासीन अधिकारियों ने
गहन विचार-विमर्श करके विभिन्न विषयों पर सार्थक चर्चा की। बिरला ने कहा कि सभी
पीठासीन अधिकारियों की यह आम राय थी कि संसद और राज्य विधानमंडल जनता के प्रति
जवाबदेह हैं तथा अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े मामलों पर सभा में सार्थक चर्चा और
विचार-विमर्श होना चाहिए। उन्होंने जानकारी दी कि राज्य विधानमंडलों की बैठकों की
सख्या बढ़ाने के साथ-साथ विधायी कार्य की उपयोगिता बढ़ाने को लेकर पीठासीन
अधिकारियों के बीच सर्वसम्मिति से आम सहमति बनाई गई, ताकि कानूनों को पारित
करने के लिए विधानमंडलों में व्यापक और स्वस्थ चर्चा के साथ बिना किसी व्यवधान के विधायी
कार्य निपटाया जा सके। बिरला ने संसद या विधान मंडलों की बैठकों में जनप्रतिनिधियों
द्वारा हंगामा या किसी अन्य तरीके से होते आ रहे व्यवधानों को रोकने के लिए पीठासीन
अधिकारियों के बीच बनी आम सहमति बनने पर निर्णय लिया गया कि ऐसे व्यवधानों पर रोक
लगाने और कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की दिशा में विधायी निकायों के लिए एक समान
आचार संहिता बनाई जाएगी। राज्य विधानमंडलों की बैठकों की संख्या बढ़ाने और व्यवधान
को रोकने के लिए पीठासीन अधिकारियों की अलग-अलग समितियां बनाई
जाएगी, जो विधान सभाओं के अध्यक्षों और विधान परिषदों के
सभापतियों के साथ परामर्श करके पीठासीन अधिकारियों के नवंबर 2019 में देहरादून में होने वाले अगले सम्मेलन
में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इसी बैठक में सर्वसम्मिति से समान आचार संहिता तैयार
करने और विधानमंडलों की बैठकों की संख्या बढ़ाने के निर्णय को लागू करने पर सहमिति
बनाई जाएगी।
नेशनल ई-विधान
एप्लीकेशन पर सहमति
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि इन बैठकों के दौरान
इस डिजिटल युग दुनिया में नए बदलाव के मद्देनजर संसद के दोनों सदनों और विधानमंडलों
में 'एक भारत' की संकल्पना के अनुरूप एक जैसी
प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किए जाने की जरूरत महसूस की गई। इस दिशा में सभी पीठासीन
अधिकारियों ने सर्वसम्मति से इस बात से सहमति जताई है कि एक समिति इस मुद्दे पर
विचार करेगी, कि 'नेशनल ई-विधान
एप्लीकेशन (नेवा)' को राज्य
विधानमंडलों में कैसे लागू किया जाए।
काम ज्यादा-कम खर्च
बिरला ने जानकारी दी कि विधायी निकायों में
सरकारी धन को समझदारी से और कुशलतापूर्वक खर्च करने तथा ज्यादा से ज्यादा काम करने
के मामले में पीठासीन अधिकारियों के बीच राज्य विधानमंडलों
की कुशलता को बेहतर बनाने के लिए एक 'एक्शन टेकन
रिपोर्ट' तैयार करने पर सहमति बनी।
ज्यादातर पीठासीन अधिकारियों का मत रहा कि बेहतर शोध की मदद से विधायी प्रक्रिया
को अधिक कुशल बनाया जा सकता है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि गुणात्मक
दृष्टि से बेहतर शोध पत्र सदस्यों को उपलब्ध कराये जाए, ताकि अपने-अपने
सदन में उनके प्रदर्शन में और अधिक सुधार किया जा सके।
29Aug-2019
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