मंगलवार, 30 जुलाई 2019

संसद ने तीन तलाक बिल को मंजूरी देकर रचा इतिहास



लोकसभा के बाद राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 वोटों से हुआ पास

विपक्ष का विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव भी गिरा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार को तीन तलाक संबन्धी मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी मंजूरी मिल गई है। बिल के विरोध में सत्ताधारी राजग के सहयोगी दो दलों समेत पांच दलों ने वाकआउट करके वोटिंग में हिस्सेदारी नहीं की। उच्च सदन में मत विभाजन के दौरान विरोध में पड़े 84 मतों के मुकाबले पक्ष में पड़े 99 वोट से तीन तलाक विधेयक को पारित कर दिया गया।  
संसद में तीन तलाक विधेयक को पारित कराना मोदी सरकार के लिए एक चुनौती बना हुआ था। लोकसभा के बाद राज्यसभा में मंगलवार देर शाम को मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को मंजूरी लेकर मोदी सरकार ने इतिहास रच दिया। राज्यसभा में मंगलवार दोपहर इस विधेयक को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था, जिस शाम करीब छह बजे तक चर्चा चली। चर्चा के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के जवाब के बाद सबसे पहले विपक्ष की ओर से इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजने के लिए आधा दर्जन से ज्यादा पेश किये गये प्रस्तावों पर एक साथ मत विभाजन हुआ। उच्च सदन में प्रवर समिति को भेजने के प्रस्ताव के विरोध में 100 तथा पक्ष में 84 वोट पड़े। इसी प्रकार क्रिमनल लॉ के प्रवाधान के स्थान पर सिविल लॉ का प्रावधान करने के लिए विपक्षी दलों के एक दर्जन से भी ज्यादा संशोधन भी गिर गये। जबकि इसी संशोधन के लिए कांग्रेस के दिग्वजय सिंह ने डिविजन मांगा तो उसमें उनका यह संशोधन 100 के मुकाबले 84 मतों से गिर गया। जबकि सरकार द्वारा लाए गये सभी संशोधन स्वीकार कर लिये गये। इसके बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस विधेयक को पारित कराने के प्रस्ताव किया तो विपक्ष ने इस पर भी मत विभाजन मांगा, जिसमें मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक को 84 के मुकाबले 99 मतों से मंजूरी मिल गई। गौरतलब है कि इस विधेयक में अब एक बार में तीन तलाक को अपराध माना जाएगा और वहीं इसके लिए तीन साल की सजा तथा जुर्माने का भी प्रावधान कानून में शामिल है।
हम महिला सशक्तिकरण के पक्ष में: आजाद
राज्यसभा में इस विधेयक को पारित कराने के प्रस्ताव के बीच ही नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम महिला सशक्तिकरण के हक में हैं और इस विधेयक को कुछ बदलाव के साथ पारित कराना चाहते थे, जिसके लिए इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजना चाहते थे, लेकिन सत्ताधारी पार्टी ने इसे खारिज कर दिया है और विपक्ष की ओर से इसे अपराध बनाने वाले संशोधन में बदलाव के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया गया है। इसलिए मजबूर होगर अब विपक्ष को इस बिल के खिलाफ वोट करना होगा।
राजग के दो सहयोगी दलों ने किया वाकआउट
तीन तलाक संबन्धी इस विधेयक पर चर्चा के दौरान राजग के सहयोगी दलों जनता दल(यू) और अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने इस विधेयक के प्रावधानों का विरोध करते हुए विपक्षी दलों की तर्ज पर इसे प्रवर समिति के भेजने की मांग की। सत्ताधारी राजग के इन दलों ने विधेयक के विरोध में सदन से वाकआउट किया। इसके अलावा तीसरे दल के रूप में टीआरएस के सदस्यों ने भी विरोध जताते हुए सदन से वाकआउट किया। राज्यसभा में अन्नाद्रमुक के 11, जदयू  व टीआरएस के 6-6 सदस्य हैं। जबकि इस विधेयक के विरोध में बसपा और पीडीपी के सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सेदारी नहीं की। इन दलों के उच्च सदन में क्रमश: दो व चार सदस्य हैं।
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सरकार ने विपक्ष पर साधा निशाना
राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चर्चा के दौरान बिल पर सवाल उठाने वाले सदस्यों को जवाब दिया और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि तीन तलाक को पैगम्बर साहब ने हजारों साल पहले ही गलत बता दिया था, लेकिन कांग्रेस पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वह अपने कामों को भूल गई, जब दहेज कानून को गैर जमानती बनाया गया था तो तब कांग्रेस या उनके किसी सहयोगियों को जेल जाने की चिंता नहीं हुई। उन्होंने शाहबानो के मामले में कांग्रेस की स्थिति को भी बयान किया। उन्होंने  आरोप लगाया कि कांग्रेस के जमाने में कानून के बिना पुलिस पीड़ित महिलाओं के शिकायत सुनने के लिए तैयार नहीं थी। मोदी सरकार ने मुस्लिम समाज बेटियों के लिए न्याय के लिए कदम उठाया है तो उस पर विपक्ष के सवाल उठाने से जाहिर है कि वह अभी तक वोटबैंक की राजनीति करता रहा है। प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने शाहबानो केस के बाद अपना जनाधार कैसे खोया है यह सबके सामने है, लेकिन हमारी सरकार ने देश हित में बगैर डरे फैसले लिए और चुनाव में हार-जीत के बारे में कभी नहीं सोचा। प्रसाद ने कहा कि हम आतंकवाद से लड़ने वाले लोग हैं। मंत्री ने कहा कि अगर इस्लामिक देश भी महिलाओं के लिए बदलाव की कोशिश कर रहे हैं तो लोकतांत्रिक देश होने के नाते हमें क्यों नहीं करना चाहिए। प्रसाद ने कहा कि गरीब परिवारों से ही तीन तलाक की 75 फीसदी महिलाएं आती हैं और हमें उनके बारे में विशेष तौर पर सोचना चाहिए।
31July-2019

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