रविवार, 7 जुलाई 2019

नशे के भंवरजाल में फंसता जा रहा है देश का भविष्य!

स्कूली बच्चों में तेजी से बढ़ रही है नशे की लत
देश में 16 करोड़ शराबी, नशीले पदार्थ करने वालों की भी कमी नहीं
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के देश को नशामुक्त करने की दिशा में चलाए जा रहे अभियानों के बावजूद देश का भविष्य कहे जाने वाले स्कूली बच्चों में बढ़ती नशे की लत पर संसद भी इसलिए चिंतित है कि इसके लिए कराए गये एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में 16 करोड़ शराबियों के अलावा करोड़ों लोग अफीम, गांजा और अन्य मादक पदार्थ का सेवन करने की पुष्टि की गई है।  
देश में स्कूली बच्चों में तेजी के साथ बढ़ रही नशे की लत को इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार ने भी माना है कि नशामुक्ति के लिए अभियान में लोगों को सुधारने की मुहिम चलती है तो उतने ही नए लोगों को नशे की लत लग जाती है। दरअसल गुरुवार को राज्यसभा भाजपा सांसद आरके सिन्हा द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्कूली बच्चों में नशीली दवा की लत बढ़ने संबन्धी रिपोर्ट से बनी चिंताजन स्थिति पर पेश किये गये ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर हुई चर्चा के बाद केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलौत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़ो के साथ अपना जवाब दिया और सदन को बताया कि सरकार देश को नशामुक्त करने की दिशा में विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर काम कर रही है। गहलोत ने कहा कि उनके मंत्रालय ने 2018 में पूरे देश में 10 से 72 आयु वर्ग के लोगों में नशीले पदार्थो के इस्तेमाल और पद्धति पर एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण कराया। इस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि देश में करीब 16 करोड़ लोग एल्कोहल यानि शराब का सेवन करते हैं, जिनमें 5.7 करोड़ लोग अत्याधिक एल्कोहल का इस्तेमाल करने वाले पाए गये। वहीं 3.1 करोड़ लोग भांग जैसे मादक पदार्थो, 2.26 करोड़ अफीम का सेवन करते हैं। उन्होंने जानकारी दी कि इस आयु वर्ग के करीब 1.18 लोग सीडेटिव्स, 26 लाख बच्चों समेत 77 लाख लोग इनहेलेंट्स जैसे नशे के अलावा लाखों लोग फ्लूड, पेट्रोल और सोल्युशन सूंघकर नशे के लत के दायरे में पाए गये। उन्होंने कहा कि देश के ज्यादा नशा प्रभावित 133 जिलों में कराए जा रहे सर्वे की रिपोर्ट दिसंबर तक आएगी, जिसके आधार पर इस दिशा में एक रोडमैप तैयार किया जा सकेगा।       
महानगरों में नशे में फंसते स्कूली बच्चे      
केंद्रीय मंत्री ने माना कि महानगरों और बड़े शहरों में स्कूली बच्चों को नशे की लत लगाने वाले गिरोह सक्रिय पाए जा रहे हैं, जो पहले बच्चों को मुफ्त में नशीले पदार्थ देते हैं और लत लगने के बाद वे बच्चों से बड़े पैमाने पर धन लेकर उन्हें नशा बेचते हैं, जिसके कारण बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति पनपती है जो परिजनों से झूठे बहानों से पैसे लेते हैं या फिर चोरी करते हैं। इस दिशा में केंद्रीय मंत्री गहलोत ने कहा कि ऐसे अपराधों के लिए गृहमंत्रालय और वित्त मंत्रालय की प्रवर्तन दल कार्यवाही करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नशीली दवा के दुरुपयोग की समस्या के समाधान हेतु मद्यपान और नशीले पदार्थ दुरुपयोग निवारनण योजना के तहत कार्यवाही कर रहा है, जिसके लिए सरकार एक विधेयक भी ला रही है, जिसमें कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। सरकार ने कहा कि नशामुक्ति अभियान के लिए सरकार ने 2019-20 के दौरान बजट में भी एनएपीडीडीआर के तहत 135 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली बेहाल
गौरतलब है कि दो दिन पहले ही छत्तीसगढ़ के सांसद मोतीलाल वोरा ने बच्चों में बढ़ती नशे की लत का मुद्दा उठाया था। इस दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम के 8 से 11 साल तक के स्कूली बच्चों पर हुए एक सर्वेक्षण में आए आंकड़ो पर चिंता जताई गई थी। इस सर्वे में निगम के 368 स्कूलों में 75037 छात्रों में से 12627 बच्चे नशीले पदार्थो का इस्तेमाल करते मिले। इनमें 8182 सुपारी के साथ अफीम, 2613 तम्बाकू का 1410 और सिगरेट के आदि पाए गये हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई इस सर्वे में 231 बच्चे तो शराब और फ्लूड, पेट्रोल और सोल्युशन सूंघकर नशे के लत के दायरे में पाए गये। इस स्थिति को देखते हुए उन्होंने सरकार से मांग की देश के भविष्य यानि बच्चों को नशे के कुएं में जाने से बचाने के लिए बच्चों को नशे की लत लगाने वाले कैमिस्टों और कुछ गिरोहों पर सख्त कानूनी शिकंजा कसा जाना चाहिए।
05July-2019

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