संसद
से मिली केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षक के कॉडर में आरक्षण) विधेयक को मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्रीय
उच्च शिक्षण संस्थानों में सीधी भर्ती में विभागवार आरक्षण की बजाय संस्थान को इकाई
मानने और 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के प्रावधान को लागू करने वाले केंद्रीय शैक्षणिक
संस्था (शिक्षक के काडर में आरक्षण) विधेयक को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल
गई है। लोकसभा के की मंजूरी के बाद बुधवार को इस विधेयक को राज्यसभा ने ध्वनिमत से
पारित कर दिया है। इस विधेयक के प्रावधानों के तहत अब केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं व
शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जाति-जनजाति, पिछड़े वर्गों व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग
को उचित आरक्षण मिल सकेगा।
राज्यसभा
में मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा पेश
किये गये केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षक के काडर में आरक्षण) विधेयक पर अधूरी
चर्चा को बुधवार में पूरा कराया गया। चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन
मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से कतार में खड़े अंतिम
व्यक्ति की चिंता समाप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थाओं और
शिक्षकों के काडर में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, सामाजिक एवं शैक्षणिक
रूप से पिछड़े वर्गों तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लोगों की सीधी भर्ती द्वारा
नियुक्तियों में पदों के आरक्षण का प्रावधान किया गया है। सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति
एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के हितों की रक्षा की पूरी तरह से पक्षधर है। निशंक ने उन परिस्थितियों
का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया जिसके तहत यह विधेयक लाने की आवश्यकता महसूस की गई। उन्होंने
विपक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान उन आरोपों का भी जवाब दिया कि सरकार इससे
संबंधित अध्यादेश को चुनाव को ध्यान में रखते हुए लेकर आई थी। उन्होंने तर्क दिया
कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद अभी तक की सरकारों ने इस दिशा में कोई कदम
नहीं उठाए और मोदी सरकार ने इस चिंता को समझा और न्याय दिलाने के लिए इसके लिए
अध्यादेश लेकर आई। केंद्रीय मंत्री के जवाब के बाद इस विधेयक में कुछ सदस्यों
द्वारा लाए गये संशोधनों के प्रस्ताव को ध्वनिमत से खारिज कर दिया गया और
सर्वसम्मिति से उच्च सदन ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी। गौरतलब है कि लोकसभा ने इस
विधेयक को सोमवार को पारित कर दिया था। अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही इस
विधेयक के प्रावधान लागू हो जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
इससे पहले सदन में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री
निशंक ने कहा कि इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने जब सरकार और यूजीसी की याचिका को
खारिज कर दिया तो इस परिस्थिति में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए सरकार अध्यादेश
लेकर आई। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित मामले में 29 फरवरी को उच्चतम न्यायालय का आदेश
आया, तो उसके बाद बाद सात मार्च को राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी कर दिया, जिसे यूजीसी
ने मार्च महीने में ही तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया। मानव संसाधन विकास मंत्री ने
कहा कि मोदी सरकार ने शिक्षण संस्थानों को विश्व स्तर पर मान्यता दिलाने के लिए पूरी
तरह से प्रयासरत है। 04July-2019
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