बाढ़
प्रबंधन के मुद्दे पर बोले केंद्रीय मंत्री शेखावत
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने जलवायु परिवर्तन तथा मानसून की अनिश्चितता के कारण देश में उत्पन्न हो
रही पर चिंता जताते हुए सूखा और बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए व्यापक एवं ठोस
कदम उठाने की पहल पर बल दिया।
यह
बात बुधवार को यहां बाढ़ प्रबंधन के मुद्दे पर आयोजित एक कार्यशाला में बोलते हुए
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कही है। उन्होंने देश में सूखा और
बाढ़, दोनों समस्याओं से निपटने के लिए का व्यापक पहल की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि केन्द्रीय जल आयोग जल्द ही अपनी स्थापना
का 75वां वर्ष मनाएगा, जिसमें आयोग के अनुभवों का लाभ लेते हुए व्यावहारिक समाधान
तलाशकर इन दोनों समस्याओं के लिए रोडमैप बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उनका
मंत्रालय देश में जल संकट से निपटने के लिए कई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसके
तहत कई परियोजनाएं चल रही हैं और अनके प्रक्रिया में हैं। समारोह में जल शक्ति
राज्यमंत्री रतनलाल कटारिया ने कहा कि असम और उत्तर बिहार जैसे राज्य प्रत्येक वर्ष
बाढ़ का सामना करते हैं, किन्तु नई प्रौद्योगिकी के आने से, केन्द्रीय जल आयोग तीन
से चार दिन पहले बाढ़ का पूर्वानुमान करने में समर्थ हो सकता है। उन्होंने कहा कि
दोषपूर्ण आयोजना के कारण हमारे कई शहरों में मानसून के दौरान जल जमाव की समस्या पैदा
होती है। उन्होंने कहा कि इन समस्याओं को दूर करने के लिए स्थानीय निकायों को केन्द्रीय
एजेंसियों के साथ समन्वयपूर्वक को काम करना चाहिए।
जल आयोग की अहम भूमिका
मंत्रालय
के अनुसार देश में वार्षिक जल संसाधनों के औसत मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय दूर संवेदी
केन्द्र (एनआरएससी), हैदराबाद के तकनीकी सहयोग से केन्द्रीय जल आयोग द्वारा ‘अंतरिक्ष
से प्राप्त तथ्यों के आधार पर भारत में नदी थाले के जल की उपलब्धता का पुनर्मूल्यांकन’
के लिए अध्ययन किया जाता है। देश के 20 थाले के लिए 1999.20 बिलियन घन मीटर औसत वार्षिक
जल संसाधन का अनुमान किया गया है। इस अध्ययन में पूर्णत: विज्ञान आधारित अत्याधुनिक
प्रारूपण उपकरणों और उपग्रह से प्राप्त आंकड़े का इस्तेमाल किया गया है। केन्द्रीय
जल आयोग, एनआरएससी, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और शिक्षा जगत के विशेषज्ञों की एक समिति
द्वारा पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया था। देश के जल संसाधनों
की समुचित आयोजना और विकास के लिए यह अध्ययन अत्यंत उपयोगी होगा।
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दिल्ली में
जल्द पूरी होगी यमुना में जल टैक्सी परियोजना
केंद्रीय
मंत्री मंडाविया ने किया प्रस्तावित परियोजना स्थल का निरीक्षण
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। दिल्ली में यातायात व्यवस्था को
दुरस्त और सड़क परिवहन के अलावा जल परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में यमुना नदी
की स्वच्छता अभियान के तहत यमुना में जल टैक्सी चलाने की परियोजना लागू करने का
प्रस्ताव है।
केंद्रीय
जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया ने बुधवार को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण
(आईडब्ल्यूएआई) की यमुना जल टैक्सी परियोजना के लिए प्रस्तावित सोनिया विहार स्थल का
निरीक्षण किया। निरीक्षण करने के दौरान मंडाविया ने कहा कि इस परियोजना से पर्यटन को
बढ़ावा मिलेगा और दिल्ली के यातायात में आसानी होगी। प्राधिकरण ने पर्यटन के मकसद
से से दिल्ली में यमुना नदी को विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। मंडाविया ने कहा कि
यमुना जल टैक्सी परियोजना शहरी परिवहन का एक नया साधन होगा, वहीं यह न केवल पर्यटन
को बढ़ावा देगा, बल्कि शहर में यातायात की भीड़ को कम करने में भी मदद करेगा।
परियोजना स्थल निरीक्षण के दौरान मंडाविया के साथ आईडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष, सदस्य
(तकनीकी), आईडब्ल्यूएआई के मुख्य अभियंता दिल्ली पर्यटन और दिल्ली सरकार के सिंचाई
विभाग के अधिकारी भी शामिल थे।
कैसी होगी परियोजना
जहाजरानी
मंत्रालय के अनुसार इस प्रस्तावित यमुना जल टैक्सी परियोजना की कल्पना एक एकीकृत विकास
परियोजना के रूप में की गई है, जिसमें टर्मिनल विकास और जहाजों के संचालन जैसे कई कार्य
शामिल हैं। परियोजना की कुल लंबाई 16 किमी है और इसमें दिल्ली में यमुना नदी के किनारे
पांच स्थान शामिल हैं, जिनमें फतेपुर जाट, ट्रोनिका सिटी, जगतपुर, सोनिया विहार और
वजीराबाद शामिल हैं। इसे दो चरणों में विकसित करने का प्रस्ताव है। पहले चरण में सोनिया
विहार से ट्रोनिका सिटी और दूसरे चरण में वजीराबाद से सोनिया विहार तथा ट्रोनिका सिटी
से फतेहपुर जाट तक परियोजना पूरी की जाएगी। इस परियोजना में यमुना में पर बहु-ईंधन
स्रोतों पर जहाजों को संचालित करने का भी प्रस्ताव है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल बनाता
है।
27June-2019
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