रविवार, 7 जुलाई 2019

केंद्रीय बजट: पीपीपी मॉडल पर आगे बढ़ेगी रेलवे परियोजनाएं


आम बजट में रेलवे के काम पर 12 साल का खींचा खाका
2022 तक पूरा हो जाएगा फ्रेट कॉरिडोर का काम
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
मोदी सरकार के पहले केंद्रीय बजट में रेलवे के कायाकल्प की दिशा में चलाई जा रही परियोजनाओं को पूरा करने के लिए वर्ष 2030 तक का खाका खींचा गया है, जिसमें 50 लाख करोड़ के निवेश की आवश्यकता के साथ रेलवे ट्रैक और रॉलिंग स्टॉक्स यानी रेल इंजन, कोच व वैगन निर्माण कार्य और यात्री माल सेवाएं संचालित करने में तेजी से काम करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी यानि पीपीपी मॉडल का का प्रस्ताव किया गया है।
लोकसभा में शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किये गये केंद्रीय बजट में रेलवे के लिए भारतीय रेलवे के कायाकल्प की कवायद में विजन-2032 तक मोदी सरकार निवेश की महत्वाकांक्षी योजना में 35.3 लाख करोड़ रुपये की रकम में व्यापक बदलाव करते हुए साल 2018-2030 तक 50 लाख करोड़ रुपये के भारी-भरकम निवेश का अनुमान लगाया है। रेलवे में ट्रैक और रॉलिंग स्टॉक्स यानी रेल इंजन, कोच व वैगन निर्माण का काम पूरा करने का लक्ष्य है। रेलवे की इन महत्वकांक्षी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने और रेल यात्री व माल ढुलाई सेवाओं में तेजी से विकास करने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी यानि पीपीपी मॉडल अपनाने का प्रस्ताव रखा गया है। उन्होंने कहा कि रेलवे का पूंजीगत व्यय 1.5 से 1.6 लाख करोड़ प्रति वर्ष है और इन सभी स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने में दशकों लगेंगे, इसीलिए ट्रैक और रॉलिंग स्टॉक्स यानी रेल इंजन, कोच व वैगन निर्माण कार्य और यात्री माल सेवाएं संचालित करने में तेजी से विकास लाने के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी की जरूरत है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीपीपी मॉडल के जरिए रेलवे के बुनियादी विकास पर बल देते हुए कहा कि इस दौरान काम निजी भागीदारी के साथ मिलकर रेलवे में आदर्श किराया योजना लागू करके एक आदर्श किराया कानून बनाया जाएगा। वहीं सरकार की समर्पित माल ढुलाई गलियारा परियोजना यानि फ्रेट कॉरिडोर को लेकर उन्होंने ऐलान किया कि यह काम वर्ष 2022 तक पूरा किया जाएगा, जो जो रेल यात्रियों के लिए मौजूदा रेलवे नेटवर्कों को मुक्त रखेगी। वहीं इससे कंजेशन की समस्या दूर होने के साथ रेलवे की गति में तेजी आएगी। इन योजनाओं के जरिए भविष्य में सेमी हाई स्पीड ट्रेन के लिए रास्ते भी तेजी से खुलेंगे।
रेल यात्रियों की सुविधाओं पर फोकस
बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि रेलवे का यात्रियों की सुविधाओं और उनकी सुरक्षा पर ज्यादा फोकस है। उन्होंने कहा कि उपनगरीय रेलवे में निवेश के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल का प्रस्ताव है। रेलवे के उपशहरी और लंबी दूरी वाली सेवाएं छोटे शहरों में बेहतर तरीके से हो रहे काम के कारण यात्रियों को दी जा रही सुविधाएं और भी ज्यादा बेहतर होंगी। उन्होंने कहा कि ट्रेन समय से खुले और यात्रियों को स्टेशन पर आकर इंतजार नहीं करना पड़े, इसके रेलवे लगातार प्रयास कर रहा है, देश में रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और अत्याधुनिक तकनीकों से सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे ट्रेक और रेलवे फाटकों को अपग्रेड करने की योजना पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बजट के दौरान कहा कि रेलवे को दिल्ली-मेरठ मार्ग पर प्रस्तावित रैपिड रीजनल ट्रांसपोर्ट सिस्टम जैसी विशेष प्रयोजन साधन संस्थाओं के लिए उप-शहरी रेलवे में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। बजट के दौरान वित्त मंत्री ने किा कि देश में 657 किलोमीटर का मेट्रो रेल नेटवर्क कार्य करने लगा है और उन्होंने कहा कि 300 किलोमीटर मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी दी गई है।
रेल प्रचालन अनुपात बढ़ाने का लक्ष्य
गौरतलब है कि सरकार ने वर्ष 2019-20 में रेलवे के लिए वर्ष 2018-19 में आंबटित 1.48 लाख करोड़ में बढ़ोतरी करके 1.58 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय आवंटन का प्रस्ताव किया था, जिसमें अंतरिम बजट में रेलवे को 64587 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया। रेलवे सुधार की योजनाओं के तहत वर्ष 2019-20 में रेलवे परिचालन अनुपात को 95 फीसदी की बेहतर दिशा देने का लक्ष्य है, जो 2017-18 में 98.4 फीसदी था, जिसे मौजूदा वर्ष में सुधार कर 96.2 फीसदी तक लाया गया है।
06July-2019

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