हजारों
करोड़ो स्वाह करने के बावजूद जहरीले भूजल की समस्या बरकरार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
मोदी-2
सरकार ने 2024 तक जल संकट से निपटने के देश में 'हर घर नल और हर घर जल' का लक्ष्य
साधकर 'जल जीवन मिशन' शुरू करने का निर्णय लिया है, जो अरसों से तीन चौथाई राज्यों
के भूजल में खुले फ्लोराइड, आर्सेनिक व नाईट्रेट जैसे कई जहरीले तत्वों का मिश्रण
इस मिशन के सामने कड़ी चुनौती साबित हो सकता है। मसलन भूजल में विभिन्न संदूषकों
से निपटने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें पिछले कई अरसों में हजारों करोड़ रुपये
की रकम स्वाह कर चुकी है, लेकिन सरकार के तमाम सुधारात्मक उपाय और योजनाएं कारगर होने
के बजाए जलजनित रोगों का मानव स्वास्थ्य पर खतरा बरकरार है। उधर जहां अब केंद्रीय
जल शक्ति मंत्रालय ने जहां 'जल जीवन मिशन'
के तहत 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में 'हर घर जल' के लिए राज्यों के साथ मिलकर कमर
कस ली है, वहीं केंद्र सरकार के इस मिशन में देश के अधिकांश राज्यों के भूजल में
विभिन्न संदूषकों को लेकर भी चिंता बनी हुई है। मंत्रालय के अनुसार मानव स्वास्थ्य
के लिए खतरा बने फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाईट्रेट, लौह, सीसा, कैडमियम और क्रोमियम
जैसे जहरीले तत्वों का भूजल में मिश्रण की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत संदूषित भूजल से निपटने की दिशा में
शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की विभिन्न स्कीमों हेतु राज्यों को 18309.55 करोड़
रुपये जारी कर चुकी है, लेकिन अभी भी देश में 23 राज्यों के 423 जिलों के भेजल में
फ्लोराइड़, 21 राज्यों के 152 जिलों में आर्सेनिक, 23 राज्यों के 152 जिलों में
नाईट्रेट, 27 राज्यों के 341 जिलों में लौह, 14 राज्यों के 92 जिलों में भारी धातु
सीसा, 10 राज्यों के 29 जिलों में क्रोमियम तथा नौ राज्यों के 24 जिलों में
कैडमियम का मिश्रण के अलावा 18 राज्यों के 249 जिलों का भूजल लवणता के प्रभाव में
है।
क्या है सरकार की योजना
मंत्रालय
के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों में के भूजल में भूजनित (प्राकृतिक) तथा मानवजनित
(मनुष्यों द्वारा)संदूषित होने की पुष्टि हो चुकी है। इसलिए देश के 23 राज्यों में
फ्लोराड और 21 राज्यों में आर्सेनिक उच्च मात्रा पाया जाना मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ी
चुनौती बना हुआ है। मंत्रालय की ग्रामीण इलाकों में शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की
दिशा में तैयार की गई योजना के तहत भूजल के स्तर को सुधारने और भूजल में संदूषित तत्वों
से निपटने के लिए मेगा योजना बनाई जा रही है। इसमें भूजल को रिसाईकिलंग करने हेतु केंद्रीय
जल आयोग ने भू-जल विज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ मिलकर भारत में भू-जल को कृत्रिम
रूप से रिचार्ज करने के लिए ‘मास्टर प्लान’ का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के भूजल में सुधार
जल
शक्ति मंत्रालय के अनुसार फिलहाल छत्तीसगढ़ राज्य में 19 जिलों का भूजल फ्लोराइड के
मिश्रण से प्रभावित है, जिसका असर डेढ़ साल पहले 22 जिलों में था। जबकि राज्य में के
आर्सेनिक का प्रभाव एक जिले एक जिले राजनंदगांव में है। इसके अलावा राज्य के 12 जिलो
का भूजल नाइट्रेट, 17 जिले लौह और एक-एक जिला शीशा, कैडमियम व क्रोमियम से प्रभवित
है। एक जिले के भूजल में लवणता का प्रभाव है।
मध्य प्रदेश में सर्वाधिक जिलो
का भूजल संदूषित
देश
में मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां सर्वाधिक 43 जिलों के भूजल में फ्लोराइड़ का
मिश्रण पाया गया है, जिसका असर डेढ साल पहले केवल 39 जिलों में था। जबकि राज्य के
52 में से 51 जिलों में नाईट्रेट, 41 जिलों में लौह, 18 जिलों के भूजल में लवणता
और 16 जिलों के भूजल में सीसा का प्रभाव है। मध्य प्रदेश में 8 जिले ऐसे हैं जहां
के भूजल में आर्सेनिक का प्रभाव है।
हरियाणा में फ्लोराइड का
प्रभाव बढ़ा
मंत्रालय
के अनुसार हरियाणा के 21 जिलों के भूजल में फ्लोराइड की मात्रा पाई गई, जिससे
पिछले साल केवल 20 जिले प्रभावित थे। राज्य में 21 जिलों में नाइट्रेट और 15 जिलों
के भूजल में जहरीला माने जाने वाला आर्सेनिक खुला हुआ है। नाइट्रेट का मिश्रण भी
19 जिलों से बढ़कर 21 जिलों के भूजल तक पहुंच गया है। राज्य के 17 जिलों में लौह
और सीसा, 8 जिलों में लवणता, सात जिलों के भूजल में कैडमियम जैसे पदार्थ के साथ 18
जिलों का भूजल लवणता के प्रभाव में है।
13July-2019
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