नई
दिल्ली को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाने का रास्ता साफ
राज्यसभा
में पारित हुआ संबन्धित विधेयक,विरोध में तृणमूल का सदन से वाकआउट
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद
ने पंचाट परिषद के गठन संबन्धी दो विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल गई है। लोकसभा
से पारित नई दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र विधेयक और माध्यस्थम और सुलह
(संशोधन) विधेयक को गुरूवार देर शाम राज्यसभा ने मंजूरी दे दी है। इन विधेयकों को
संसदी समिति के हवाले करने की मांग को लेकर तृणमूल कांग्रेस ने सदन से वाकआउट
किया। वहीं राज्यसभा में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के हंगामे के कारण शून्यकाल
नहीं चल सका।
राज्यसभा
की गुरुवार को सुबह हुई कार्यवाही के दौरानसभापति वेंकैया नायडू ने आवश्यक
दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए, वहीं पाकिस्तान की जेल में बंद कुलभूषण जाधव की
फांसी पर रोक के मुद्दे पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का बयान कराया, लेकिन उसके बाद
कांग्रेस सदस्यों ने कर्नाटक सियासत पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध और सपा
सदस्यों ने यूपी के सोनभद्र में 10 लोगों की हत्या के मामले में कानून व्यवस्था को
लेकर हंगामा शुरू कर दिया। इस हंगामे के कारण सदन में शून्यकाल नहीं हो सका और सदन
की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसके बाद सदन में प्रश्नकाल चला
और दोपहर भोजनावकाश के बाद दो बजे शुरू हुई कार्यवाही के दौरान केंद्रीय महिला एवं
बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण संबंधी बिल
पेश किया। इसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नई दिल्ली
अंतर्राष्ट्रीय माध्यस्थम केंद्र विधेयक और माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) विधेयकों
को पेश किया और दोनों विधेयकों पर सहमति के आधार पर एक साथ चर्चा शुरू हुई, जिसे
कांग्रेस के आनंद शर्मा ने शुरू किया। सदन में देर शाम तक चली चर्चा के बाद नई दिल्ली
को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनाने संबंधी विधेयक को पारित कर दिया गया।
चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद सुखेन्दु शेखर राय ने दोनों विधेयकों को संसदीय समिति
में न भेजे जाने पर अपनी पार्टी की तरफ से आपत्ति जताई और बिल का विरोध किया। उन्होंने
कहा कि बिल के प्रावधान और मकसद मेल नहीं खा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही
विश्व बैंक में वादा कर चुकी है कि कारोबार के अनुमूल माहौल बनाने के लिए हम मध्यस्थता
केंद्र बनाएंगे, इसलिए यह बिल जल्दबाजी में लेकर आया गया है, सरकार की न्यायपालिका
में कोई आस्था नहीं है और यह सरकार विश्व बैंक के इशारों पर काम कर रही है। इसका
विरोध करते हुए तृणूल के सांसद सदन से वाकआउट कर बाहर चले गये।
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कब तक किराये के भवनों में चलेंगे
केंद्रीय विद्यालय
छग
के गुरुघासी दास विश्वविद्यालय में 221 शिक्षकों के पद रिक्त
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़
में 35 केंद्रीय विद्यालयों में से नौ के पास अपने भवन नहीं है। हालांकि सात
केंद्रीय विद्यालयों के भवनों के लिए निर्माण कार्य जारी है। लेकिन सवाल है कि ये
केंद्रीय भवन कब तक किराए के भवनों में चलते रहेंगे।
केंद्र
सरकार से यह सवाल गुरूवार को छत्तीसगढ़ के सांसद राम विचार नेताम ने प्रश्नकाल के
दौरान किया। इसके लिखित जवाब में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा.रमेश
पोखरियाल निशंक ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में 35 केंद्रीय विद्यालयों में से केवल
नौ ऐसे केंद्रीय विद्यालय हैं जिनके अपने भवन नहीं हैं। उन्होंने जानकारी दी कि
नारायणपुर, बीजापुर, कुर्द, सुकमा, नया रायपुर, कवर्धा और सरायपल्ली में किराए पर
चल रहे भवनों को अपने भवन मुहैया कराने के लिए भवनों का निर्माण कार्य चल रहा है।
जबकि केंद्रीय रिजर्व बल बिलासपुर के केंद्रीय विद्यालय का भवन आयोजनागत है और
केंद्रीय रिजर्व बल भिलाई के केंद्रीय विद्यालय के लिए प्रायोजक प्राधिकरण द्वारा
अभी भूमि अंतरित की जानी बाकी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों
द्वारा उच्चतर शिक्षा प्रयोगशाला कार्य हेतु कक्षाएं आयोजित करने के लिए संबन्धित
प्रायोजक प्राधिकरणों द्वारा उपलबध कराए गये अस्थायी आवासों में आवश्यक व्यवस्थाए
की जा रही हैं। फिर भी केंद्रीय विद्यालय संगठन के मानकों के अनुसार स्थायी भवनों
की कमी के कारण कुछ हद तक शिक्षण कार्यो में दिक्कतें आना स्वाभाविक है। नेताम के
सवाल के जवाब में केंद्र सरकार का कहना है कि केंद्रीय विद्यालयों हेतु स्थायी
भवनों का निर्माण की प्रक्रिया के तहत उचित भूमि की पहचान, प्रायोजक प्राधिकरणों
द्वारा केंद्रीय विद्यालय संगठन के पक्ष में लीज औपचारिकताओं को पूरा होने,
निर्माण एजेंसी द्वारा नक्शा प्रस्तुत करने, निधि की उपलब्धता और अपेक्षित अनुमोदन
आदि पर निर्भर करती है इसलिए स्थायी भवनों की उपलब्धता के लिए किसी समय सीमा को
निर्धारित नहीं किया जा सकता।
विश्वविद्यालय में सभी संविदा
के आधार पर नियुक्तियां
वहीं
प्रश्नकाल के दौरान छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सांसद छाया वर्मा के गुरुघासी दास
विश्वविद्यालय की स्थिति के बारे में पूछे गये एक सवाल के जवाब में केंद्रीय
मंत्री ने कहा कि राज्य के इस विश्वविद्यालय में कुल 221 शिक्षकों के रिक्त पदों
में से 110 पद अन्य पिछडा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित
हैं, जिन्हें भरने के लिए प्रयास किये जा रहे थे, कि आरक्षण रोस्टर के मुद्दे पर
मुकदमा अपेक्षित अर्हता वाले संकाय की अनुपलब्धता, कतिपय निर्दिष्ट ज्ञान आदि के
क्षेत्र में संकाय की अनुपलब्धता के कारण इन्हें भरा नहीं जा सका। उन्होंने
जानकारी दी कि विश्वविद्यालय ने पिछले माह तीन जून को सभी 221 रिक्त शिक्षकों के
पदों हेतु विज्ञापन दिया है। इसके अलावा छात्रों का अध्ययन प्रभावित न हो इसकी
सुनिश्चतता करने हेतु विश्वविद्यालय ने यूजीसी के संबन्धित दिशा निर्देशों के तहत
अस्थायी व्यवस्था के रूप में रिक्त पदों पर संविदा के आधार पर नियुक्तियां करने की
प्रक्रिया पूरी की है।
19July-2019
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