रविवार, 7 जुलाई 2019

राष्ट्रद्रोह कानून खत्म नहीं करेगी सरकार


राज्यसभा में उठाए गये महत्वपूर्ण मुद्दे                                                       

हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा में सांसदों ने विभिन्न मुद्दे उठाए, जिनमें एक सांसद के सवाल पर केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि राष्ट्र द्रोह के कानून को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है।
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान डा. प्रकाश बांडा ने सरकार से सवाल किया कि क्या सरकार उस राष्ट्रद्रोह कानून को समाप्त करने पर विचार कर रही है जो हमारे गणतांत्रिक देश के आजाद नागरिकों पर लागू होलने वाला औपनिवैश्विक युग का कानून है, तो इसके जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि राष्ट्र विरोधी, अलगवावादी और आतंकी तत्वों से प्रभावकारी तरीकों से निपटने में मदद के लिए इसके प्रावधान की जरुरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का इस कानून को खत्म करने का कोई विचार नहीं है। गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राष्ट्रद्रोह कानून को लेकर कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने काफी आपत्ति जाहिर की थी। उन्होंने कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए जो देशद्रो कानून के नाम से लोकप्रिय है, इसका दुरुपयोग राजनीतिक बहस का विषय बन गया था। संविधान में दिए अभिव्यक्ति की आजादी पर इससे खतरा होने का आरोप लगाया गया। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस कानून को खत्म करने का वादा किया था, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उसके ऊपर हमला करते हुए राष्ट्र विरोधी कदम उठाने का आरोप लगाया था। इस पर खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान इस कानून का विरोध करने को लेकर कांग्रेस की सोच पर सवाल उठाए थे, जिसे सरकार राष्ट्र विरोधी तत्वों से निपटने में एक महत्वपूर्ण औजार मानती है। यह भी गौरतलब है कि राष्ट्रद्रोह कानून के तहत ही जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार समेत कई अन्य छात्रों पर केस दर्ज किया गया था। इसलिए इस कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इस कानून का विरोध करते हुए इसे खत्म करने की मांग करते आ रहे हैं। दरअसल भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत राष्ट्रद्रोह कानून है। इस कानून के तहत लिखित या मौखित तौर पर, सांकेतिक तरीके, प्रतीक या किसी अन्य माध्यम से सरकार के विरुद्ध नफरत फैलाने, अवमानना करने, राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता और अखंडता के विरुद्ध काम करने पर दंडित करने का प्रावधान है।
पश्चिम बंगाल का नहीं बदलेगा नाम
राज्यसभा में बुधवार को तृणमूल सांसद रीताब्रता बनर्जी ने सवाल उठाया कि क्या यह सच है कि केन्द्र सरकार ने पश्चिम बंगाल राज्य का नाम ‘बांग्ला’ रखने के पश्चिम बंगाल सरकार के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। इसके जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि इसके लिए राज्य की से प्रस्ताव मिला है, लेकिन राज्य के नाम में परिवर्तन के लिए सभी प्रासंगिक कारकों पर विचार करने के पश्चात संवैधाननक संशोधन की आवश्यकता होती है और इसलिए राज्य का नाम  पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला रखने का प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जा सकता। मसलन गृहमंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि पश्चिम बंगाल का नाम नहीं बदला जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले भी वर्ष 2011 में भी राज्य का नाम बदल कर 'पश्चिम बंगो' रखने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने उस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया था।
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लिंग भेद और दुर्व्यवहार का मुद्दा
राज्यसभा में बुधवार को शून्यकाल के दौरान सपा सदस्य जया बच्चन ने महिलाओं के खिलाफ अपराध और लैंगिक असमानता पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र सरकार से इस संबंध में समुचित एवं प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। जया ने कहा कि पहली बार आम चुनाव में इतनी अधिक संख्या में महिलाएं जीती हैं, लेकिन आज भी लिंग भेद और आधी आबादी के साथ दुर्व्यवहार जारी रहना बेहद चिंता का विषय है। जया बच्चन के इस मुद्दे पर अन्य दलों के सदस्यों ने समर्थन किया।
सीमा पर तस्करी जारी
कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने शून्यकाल में ही पंजाब में सीमा पार से तस्करी कर नशीली दवाएं लाए जाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के दौर में पंजाब में 35,000 से अधिक लोग मारे गए थे। बाजवा ने कहा कि अब राज्य में सीमा पार से तस्करी कर लाई जा रही नशीली दवाओं का धंधा चिंताजनक है। सरकार को इस ओर तत्काल ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस के ही मधुसूदन मिस्त्री ने हिरासत में मौत का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि बीते तीन साल में हिरासत में 4476 लोगों की मौत हुई जो चिंताजनक है।
04July-2019

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