नायडू ने नसीहत के साथ विपक्ष की शिकायतों को
एक सिरे से किया खारिज
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद
के मौजूदा सत्र में आरटीआई विधेयक पास होने से बिफरे विपक्षी दलों की सरकार पर सदन
में संसदीय समिति से बिना जांच पड़ताल कराए विधेयकों को पारित करने आरोप के साथ की
गई शिकायत को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने एक सिरे से खारिज कर दिया
और सदन में विपक्ष को नसीहत दी।
राज्यसभा
में सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद शून्यकाल में सभापति एम. वेंकैया
नायडू ने सदन में जानकारी दी कि पिछले सप्ताह 25 जुलाई को 14 दलों के 15 सदस्यों
का एक शिकायती पत्र मिला, जिसके बारे में राज्यसभा में विपक्ष की आवाज को दबाने
वाले आरोप को खारिज दिया। वहीं इस पत्र में विपक्षी दलों के राज्यसभा में संसद की
स्थायी समितियों और प्रवर समिति से बिना जांच पड़ताल कराए बिना जिन विधेयकों को
सरकार द्वारा जल्दबाजी में पास कराने का आरोप लगाया गया, उनके बारे में नायडू ने
तर्क देते हुए कि कि यह बेहद चिंता का विषय है कि ऐसा आरोप लगाकर विपक्ष उच्च सदन
के कामकाज को लेकर गलत संदेश दे रहा है। इस सत्र के दौरान सदन में पास हुए विधेयकों
के बारे में उन्होंने कहा कि यदि 14वीं, 15वीं, 16वीं और वर्तमान लोकसभा के दौरान जांच
के लिए संसदीय समिति के पास भेजा गया था और जिन्हें नहीं भेजा गया था, तो यह उनके
अधिकार क्षेत्र में नहीं है। यदि राज्यसभा में पेश किये गये विधेयक के बारे में
शिकायत है तो उनके बारे में वह तथ्यपरक जानकारी सदन को देना चाहूंगा। सभापति नायडू
ने कहा कि उनकी अध्यक्षता में उच्च सदन के 244वें सत्र से लेकर 248वें सत्र के दौरान
सरकार ने दस विधेयक पहले राज्यसभा में पेश किए, जिनमें से उन्होंने 8 विधेयकों को विभाग
संबंधी स्थायी संसदीय समितियों के पास भेजा है, जबकि दो अन्य दो विधेयक कुछ समुदायों
को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल करने संबंधी होने के कारण स्थायी समिति से
जांच कराने की जरूरत महसूस नहीं की गई। उन्होंने लोकसभा में पारित मोटर वाहन (संशोधन)
विधेयक का हवाला देते हुए कहा कि उस विधेयक की भी स्थायी संसदीय समिति ने जांच की थी
और उच्च सदन में आने के बाद उसे प्रवर समिति को भेजा गया था। इसलिए ऐसे विधेयकों
के उच्च सदन में आने पर उन्हें समितियों को भेजने की मांग की जाती है तो उसका कोई
औचित्य नहीं है।
राज्यसभा में पेश किये गये चार
विधेयक
नायडू
ने कहा कि मौजूदा सत्र में चार विधेयक पहले राज्यसभा में पेश किए गए हैं, जिनमें
से चर्चा के बाद तीन को पारित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को स्थायी
समितियों के पास इसलिए नहीं भेजा गया, क्योंकि इन समितियों का अभी गठन नहीं हुआ है।
सभापति ने कहा विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजना है या नहीं, इस बारे में फैसला सभापीठ
नहीं, बल्कि यह सदन को करना होता है। ऐसे ही दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन)
विधेयक है जिसे राज्यसभा में पहले पेश किया गया। इस विधेयक को चर्चा एवं पारित करने
के लिए अभी लिया जाना है। उन्होंने कहा कि अभी लोकसभा से पारित सात विधेयक ऐसे हैं
जिन पर राज्यसभा में चर्चा होनी है और वे सभी सात विधेयक ऐसे हैं जिनकी संसदीय स्थायी
समितियों से जांच पड़ताल हो चुकी है। इसलिए सदन में विपक्ष विपक्ष की आवाज दबाने
के आरोप लगाना और सरकार द्वारा विधेयकों को जल्दबाजी में विधेयक पास कराना
लोकतंत्रिक और संसदीय मर्यादाओं के लिहाज से उचित नहीं है।
30July-2019
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