राज्यसभा
में चुनाव सुधार को लेकर हुई अल्पकालिक चर्चा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
में सभी राजनीतिक दल चुनाव सुधार पर बल तो दे रहे हैं, लेकिन चुनाव सुधार की दिशा
में जहां सत्ता पक्ष ने ‘एक देश-एक चुनाव’ को चुनाव सुधार की दिशा में समय की मांग
बताया। वहीं विपक्षी दल ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए वापस बैलेट पेपर पर लौटने की
मांग करते नजर आए।
राज्यसभा
में बुधवार को चुनाव सुधार की दिशा में राजनीतिकके लिए जहां सत्ता पक्ष ने एक
देश-एक चुनाव को समय की मांग करार दिया है, वहीं विपक्षी दलों ने ईवीएम पर सवालिया
निशान लगाते हुए बैलेट पेपर पर वापस लौटने पर बल दिया।
दरअसल
राज्यसभा में बुधवार को देश में चुनाव सुधारों की आवश्यकता पर अल्पकालिक चर्चा
हुई। उच्च सदन में करीब तीन घंटे चली इस चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि संविधान सभा में देश की आवाम को वोट की ताकत दी गई थी,
हालांकि चुनाव में हार-जीत लगी रहती है. लेकिन इस बार के चुनाव में रिकॉर्ड महिला वोटरों
ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया है। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम पर उठाए
जा रहे सवालों पर कहा कि वर्ष 1999 के बाद से 4 लोकसभा और 122 विधानसभा चुनाव ईवीएम
से हुए हैं। मनमोहन सिंह ईवीएम से प्रधानमंत्री बने, मायावती, अखिलेश, ममता मुख्यमंत्री
बनीं तो ठीक है। कांग्रेस ने इसी ईवीएम से तीन राज्यों में जीत हासिल की तो ठीक है,
लेकिन नरेंद्र मोदी को देश चुने तो ईवीएम खराब है, यह कौन का तर्क है। कांग्रेस तीन
राज्यों की जीत के बाद भी कहती कि हम अपने मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे तो फिर से बैलेट
के जरिए चुनाव कराए जाते, लेकिन यह दोहरा रवैया ठीक नहीं है। रविशंकर प्रसाद ने कि
देश की सुरक्षा चुनाव में मुद्दा क्यों नहीं होना चाहिए। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि
भारतीय चुनाव की सराहना पूरी दुनिया में हो रही है। उन्होंने कहा कि देश के कई हाई
कोर्ट ने ईवीएम को बिल्कुल सटीक और निष्पक्ष पाया है। अब तो वीवीपैट का इस्तेमाल हो
रहा है और पारदर्शिता और ज्यादा बढ़ी है। उन्होंने कहा कि हमें एक राष्ट्र एक चुनाव
के प्रस्ताव पर गंभीरता से और खुले दिमाग से विचार करना होगा, क्योंकि देश चुनाव दर
चुनाव के बीच में फंसा रहता है और आज एक देश-एक चुनाव समय की मांग भी है।
इससे पहले चुनाव सुधार पर तृणमूल के डेरेक ओब्राईन
ने अल्पकालिक चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि अच्छी बात है कि सदन में इस मुद्दे
पर अल्पकालिक चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि सैन्य बलों का इस्तेमाल चुनाव में किसी
भी तरह से नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन इस चुनाव में पुलवामा के शहीदों और बालाकोट
एयर स्ट्राइक के जांबाजों के नाम पर वोट मांगे गए, जबकि सेना हम सभी की है, सेना देश
की है और उसका राजनीतिक इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने सदन में चुनाव आयोग पर
चर्चा पर बल देते हुए कहा कि आयोग संसद से ऊपर नहीं है। डेरेक ने कहा कि चुनाव आयोग
पर भी सवाल खड़े किये, इस पर भाजपा के सांसद भूपेंद्र यादव ने नियमों का हवाला देते
हुए कहा कि किसी संवैधाविक संस्था पर सदन के भीतर सवाल उठाना ठीक नहीं है और सदन में
चुनाव सुधारों पर चर्चा होनी चाहिए। भूपेंद्र यादव ने कहा कि चुनाव लक्ष्य नहीं साधन
होना चाहिए क्योंकि चुनाव सरकार बनाने का जरिया है और लक्ष्य सरकार बनाकर 5 साल चलाने
का है। इसी वजह से राज्यों के और लोकसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए। यादव ने तर्क
दिया कि यह बात बहुत पहले संविधान सभा में कही गई थी कि लोकसभा और राज्य विधानसभा
के एक साथ चुनाव कराने से क्षेत्रीय दलों के नुकसान नहीं होगा। उन्होंने ईवीएम पर
सवाल खड़े करने वाले दलों को नकारात्मक राजनीति करने से देश के लोकतंत्र को मजबूत
नहीं बनाया जा सकता। चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल
ने कहा कि जितना पैसा इस चुनाव में खर्च हुआ उतना किसी चुनाव में खर्च नहीं हुआ। सेंटर
फॉर मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिब्बल ने कहा कि इस बार 60 हजार करोड़
रुपया चुनाव में खर्च हुआ जिसमें 45 फीसदी सिर्फ भाजपा ने खर्च किया है जो कि 27 हजार
करोड़ होता है। सिब्बल के इस बयान के बाद रविशंकर प्रसाद ने आपत्ति जताई और आंकड़ों
की प्रमाणिकता पर सवाल उठाए लेकिन सभापति ने कहा कि संस्था गैर सरकारी है और इसका जिक्र
खुद सांसद ने किया है। सिब्बल ने कहा कि संविधान बदल चुका है, इसकी नींव में दरार आ
गई है। ईवीएम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका, जर्मनी सहित कई देशों में
चुनाव मतपत्रों से होते हैं। बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने चुनाव सुधार पर चर्चा
के दौरान कहा कि ईवीएम में धांधली होती है और इसके जरिए चुनाव नहीं होना चाहिए। उन्होंने
कहा कि हमारी पार्टी इसके खिलाफ है और हम सुप्रीम कोर्ट भी जा चुके हैं। मिश्रा ने
कहा कि ईवीएम से चुनाव हो लेकिन वीवीपैट को भी गिनना चाहिए, भले ही कितना भी समय क्यों
न लगे। बसपा सांसद ने कहा कि वीवीपैट की पर्ची को देखने का अधिकार वोटर को होना चाहिए,
अगर ऐसा न हो तो हमें फिर से बैलेट पेपर से चुनाव कराने चाहिए। उन्होंनें चुनाव आयुक्त
की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम लागू करने कीभ भी मांग की। चर्चा में कांग्रेस
के आनंद शर्मा, सपा के रामगोपाल यादव, माकपा के डी राजा, आप के संजय सिंह, राजद के
मनोज झा, एनसीपी के माजिद मेमन आदि दलों के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया और ईवीएम पर
सवाल खड़े किये। 04JUly-2019
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