रविवार, 31 जनवरी 2016

‘नमामि गंगे’ पर बेहतर बनेगा रोड़ मैप!

गंगा संरक्षण में तय हुई ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षणी ‘नमामि गंगे’ मिशन में शहरी सीवरों और औद्योगिक इकाईयों के बाद अब गांवों के नालों का गंदा पानी सीधे नदियों में गिरने से रोकने की कवायद शुरू की गई है। मसलन केंद्र सरकार इस आधार पर एक रोडमैप तैयार करके इस मिशन को तेजी से आगे बढ़ाऐगी।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती गंगा और सहायक नदियों को स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त बनाने वाली महत्वाकांक्षी योजना ‘नमामि गंगे’ को तेजी से आगे बढ़ाने का संकल्प किया है। इसके लिए उन्होंने पहले ही शहरी क्षेत्रों और औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाले गंदे पानी को रोकने के लिए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड, नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों की भागीदारी से योजना को अंजाम दे दिया है। चूंकि नदियों के किनारे बसे गावों और बस्तियों से गंदे पानी की निकासी के लिए नाले सीधे नदियों मेंं गिर रहे हैं। इसलिए गांवों के नालों के इस गंदे पानी को सीधे नदियों में गिरने से रोकने की दिशा में सरकार ने कई मंत्रालयों के सहयोग से यूपी, उत्तराखंड, बिहार और झारखंड आदि राज्यों के ऐसे चिन्हित गांवों के ग्राम प्रधानों और सरपंचों की भी इस मिशन में सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए 1600 ग्राम प्रधानों व सरपंचों के लिए राष्ट्रीय स्तर के एक ‘स्वच्छ गंगा और ग्रामीण सहभागिता’ सम्मेलन बुलाया गया, जिसमें गांवों के गंदे पानी को नदियों में सीधे गिरने से रोकने की दिशा में उनकी सहभागिता
तय की गई।
नालों की रोकथाम का काम शुरू
ग्रामीण क्षेत्रों से नदी में गिरने वाले नालों की रोकथाम का काम केंद्र सरकार के कुछ सार्वजनिक उपक्रमों के सुपुर्द कर दिया है। इन उपक्रमों ने फील्ड सर्वेक्षण का कार्य भी शुरू कर दिया है एवं सर्वेक्षण पूरा होने के बाद इस दिशा में कार्य शुरू हो जाएगा। उन्होने कहा कि नालों के लिए हम इस प्रकार की योजना बना रहे हैं कि इनके गंदे पानी को जैविक रूप या अन्य तकनीक से शुद्ध कर इसका खेती तथा जब खेती में आवश्यकता न हो तब वाटर रिचार्जिगं में उपयोग किया जा सके।
शौचालय निर्माण पर 263 करोड़ जारी
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालयों के निर्माण के लिए केंद्र सरकार ने इस वित्त वर्ष में उनके मंत्रालय द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को 263 करोड़ रूपए मुहैया कराया गया है। ताकि ग्रामीण क्षेत्र में घरों के अलावा सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण की सुनिश्चितता तय की जा सके। खात बात यह है कि ग्रामीणों की सहभागिता के लिए बुलाए गये सम्मेलन में उमा भारती समेत कई वक्ताओं ने इस बात पर चिंता जताई कि ग्रामों में शौचालयों का निर्माण होने के बावजूद उनका उपयोग कम हो रहा है,इसलिए इसके लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी भी सरपंचों व ग्राम प्रधानों को निभाने का आग्रह किया गया है।
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ग्रामीणों की भागीदारी जरूरी
‘‘केंद्र सरकार नमामि गंगे कार्यक्रम क्रियान्वयन की दिशा की ओर तेजी से बढ़ रही हैं, हांलाकि गंगा में होने वाले प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से बड़े-बड़े शहरों के सीवर तथा औद्योगिक प्रदूषण जिम्मेदार हैं,लेकिन उन्होंने स्वंय भी अवलोकन करके देखा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़े-बड़े नाले गंगा में गिर रहे हैं और इसे गंदा कर रहे हैं। आंकड़े यह भी दशार्ते हैं कि गंगा की पूर्ण सफाई के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाली गंदगी की रोकथाम भी उतनी ही जरूरी है।’’
--सुश्री उमा भारती, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री
01Feb-2016

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