रविवार, 31 जनवरी 2016

राग दरबार: नेताजी पर कांग्रेस हलकान या फजीहत

मोदी सरकार पर निशाना साधने के बहाने
मोदी सरकार द्वारा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस से जुड़े इतिहास की 100 फाइलों को सार्वजनिक करना प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को कतई नहीं पच पाया,जबकि नेताजी के बारे में जानने के लिए सवा सौ करोड़ का देश हमेशा लालायित रहा है। खुद तो कांग्रेस दस साल तक केंद्र की यूपीए सरकार का नेतृत्व करने के बावजूद समय-सयम पर उठे मुद्दे के बावजूद नेताजी की मौत और उनके जीवन से जुड़े इतिहास का खुलासा करने से कतराती रही, लेकिन जब वायदे के मुताबिक मौजूदा राजग सरकार ने नेताजी से जुडी 100 फाइले सार्वजनिक ही नहीं की, बल्कि एक वेबसाइट पर भी अपलोड करके हिम्मत जुटाई तो कांग्रेस ऐसी हलकान होती दिखी कि फाइलों का खुलासा होने के महज 15 मिनट बाद ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मोदी सरकार पर उस पत्र को लेकर पलटवार किया जिसमें कथित तौर पर नेताजी को ब्रिटिश सरकार का युद्ध अपराधी बताते जवाहलाल नेहरू के ब्रिटेन के तत्कालीन क्लीमेंट इटली को लिखने का जिक्र है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस पत्र में इस बात का जिक्र भी है कि नेहरू ने नेताजी को अपने यहां शरण देकर रूस को धोखेबाज भी कहा गया है। मसलन शर्मा ने मोदी सरकार पर निशाना साधने के इस उत्साह में इस बात की भी पुष्टि करने का भी प्रयास नहीं किया कि ऐसा पत्र सार्वजनिक हुई इन फाइलों में सामने आया है या नहीं? बल्कि हलकान कांग्रेस के इन वरिष्ठ नेता ने मोदी सरकार को फर्जीवाड़ा कर नेहरू को बदनाम करने का आरोप जड़ दिया। बाद में पता चला कि इन सार्वजनिक फाइलों में ऐसे किसी भी पत्र को जारी ही नहीं किया गया। राजनीति गलियारों में कांग्रेस की पहली बार नहीं, बल्कि कई बार फजीहत करा चुके आनंद शर्मा के बारे में यही चर्चा रही कि मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस बहाने तलाशने के प्रयास में औंधे मुहं गिरती रही है। नतीजन बामुश्किल कांग्रेस हाईकमान ने इस मामले को दबाने का काम किया और शर्मा को संभलकर बोलने तक की हिदायत भी दे डाली।
बड़ा नेता बनने का फॉर्मूला
पूर्वांचल से आने वाले एक भाजपा सांसद को बड़े कद का नेता बनने का फॉर्मूला मिल गया है। उनकी गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि वे बकायदा एक सहायक की तलाश में हैं जो उस फॉर्मूला को लागू करने का हुनर रखता हो। दरअसल, बड़े नेताओं के सोशल मीडिया नेटवर्क और उनके फालोवर की लंबी फेहरिस्त देखकर इन महोदय को यह लग रहा है कि वे भी अगर सोशल मीडिया पर अपनी आमद मजबूती से दर्ज करा लें तो उनकी लोकप्रियता को भी पंख लग जाएंगे। नतीजतन वे एक ऐसे सहायक की तलाश में हैं जो तकनीकी तौर पर तो हुनरमंद हो ही, सम सामयिक विषयों पर भी पकड़ रखता हो। जिससे कि सांसद महोदय के सोशल मीडिया एकाउंट को हैंडल करने के साथ ही वह रोजाना किसी न किसी अहम मसले पर नेताजी की तरफ से टीका-टिप्पणी कर सके। क्योंकि नेताजी का मानना है कि वह समय अभाव के कारण सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त नही दे पाएंगे। अब इन महोदय को कौन समझाए कि, सहायक के भरोसे उनका कद बड़ा होना. . बड़ा कठिन है।
वाह ये हुआ न असली देसी तड़का
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने के बाद भले ही विपक्ष बार-बार सत्ता पक्ष पर अपना किया हुआ कोई वादा पूरा न करने का आरोप लगाता रहे। लेकिन एक बड़ा तथ्य तो इस दौर में सबसे सामने है ही। वो ये कि एनडीए सरकार गठन के बाद देश में ही नहीं बल्कि विदेशों मेंं भी भारतीयता की झलक को मजबूती के साथ प्रदर्शित किया गया है। इसकी एक बानगी सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को उनके कामकाज को हिंदी भाषा में अधिक से अधिक प्रचारित-प्रसारित करने और परंपरागत विधाओं के उभार के रूप में भी सामने है। इसी भारतीयता से लबरेज इस बार बीटिंग द रिट्रीट का समारोह भी होने वाला है। इसमें पहली बार विदेशी के साथ देशी धुनों में शास्त्रीय संगीत की झलक देखने को मिलेगी। इससे तो कोई इंकार नहीं कर सकता कि शास्त्रीय संगीत भारत की बेहद प्रचीन संगीत परंपरा रही है। बीटिंग द रिट्रीट में इसकी धुनों को सुनकर दर्शक मंत्रमुग्ध तो जरूर हो जाएंगे। इसे तो कहना ही पड़ेगा असली देसी तड़का।
31Jan-2016

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