रविवार, 10 जनवरी 2016

आगे बढ़ी हर घर रोशन करने की मुहिम!






सभी को चैबीस घंटे बिजली देगी राज्य विशेष कार्य योजनाएं
-ओम प्रकाश पाल
भारतीय अर्थव्यवस्था की बढ़ती आवश्यकताओं और बिजली संकट से निपटने की चुनौती को स्वीकार करते हुए राजग की नरेन्द्र मोदी सरकार ने वर्ष 2019 तक देश भर में सातों दिन चैबीस घंटे बिजली देने के महत्वाकांक्षी मिशन पर कार्य को तेजी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। मसलन इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य में देश के छह लाख गांवों में से 1,25,000 गांवों को ग्रिड से जोडना है। सातों दिन चैबीस घंटे बिजली देने के मिशन में और भी अनेक कार्य शामिल हैं।
केंद्रीय विद्युत, कोयला तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार के इस मिशन के तहत मेगा योजनाओं का खाका पटरी पर उतार दिया है। बिजली सुधार की दिशा में मंत्रालय ने ट्रांसमिशन तथा वितरण को मजबूत बनाने, फीडर को अलग करने तथा उपभोक्ताओं के यहां मीटर लगाने के अलावा ताप विद्युत उत्पादन, पनबिजली विशेषकर सौर, पवन ऊर्जा उत्पादन तथा अन्य हरित ऊर्जा के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। पूर्वोत्तर विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना तथा पूर्वोत्तर राज्यों में ट्रांसमिशन और वितरण व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की योजना को मंजूरी देकर पूर्वोत्तर क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है।
ऐसे बढ़ेगी योजनाओं की गति
बिजली सुधार और पुनर्संरचना के मोर्चे पर बिजली अधिनियम तथा शुल्क नीति में अनेक संशोधन करने के साथ सरकार ने राज्यों के साथ साझेदारी में सभी घरों को सातों दिन चैबीस घंटे बिजली मुहैया कराने के लिए राज्य विशेष कार्य योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इन योजनाओं में बिजली उत्पादन, ट्रांसमिशन तथा वितरण शामिल होगा। विद्युत मंत्रालय ने ‘सभी के लिए बिजली’ कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न राज्य सरकारों के साथ सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य पूरे देश को कवर करना है। सरकार कृषि तथा ग्रामीण घरेलू उपभोग के लिए अलग-अलग फीडरों के माध्यम से बिजली सप्लाई करने की 43,033 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना लागू कर रही है, ताकि ग्रामीण घरों में चैबीस घंटे बिजली सुनिश्चित की जा सके। सब-ट्रांसमिशन तथा वितरण प्रणालियों को मजबूत बनाने के लिए 32,612 करोड़ रुपये की एकीकृत बिजली विकास योजना लांच की गई है। ट्रांसमिशन नुकसान में पांच प्रतिशत की कमी करने की महत्वपूर्ण योजना बनाई जा रही है। ट्रांसमिशन नुकसान 27 प्रतिशत के आस-पास रहा है। ट्रांसमिशन नुकसान में पांच प्रतिशत की कमी का अर्थ बिना किसी नये निवेश के 15 हजार मेगावाट अतिरिक्त बिजली भारत के पास उपलब्ध होना है। एक मेगावाट बिजली उत्पादन का अर्थ 5-7 करोड़ रुपये का निवेश है और नुकसान में 15,000 मेगावाट की
कटौती का अर्थ 75,000 से लेकर 1.05 लाख करोड़ रुपये तक की उपलब्धता अन्य निवेश के लिए सुनिश्चित होना है।
राज्यों में होगा नया सूर्योदय
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने विद्युत वितरण कंपनियों के समक्ष मौजूद वित्तीय कठिनाइयों में कमी सुनिश्चित करने के लिए हाल ही में उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना अथवा ‘उदय’ को मंजूरी दी है। इस स्कीम का उद्देश्य विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर 4.3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज बोझ से निपटना है। इसके अतिरिक्त स्कीम में बिजली की चोरी रोकने संबंधी कदमों और बिजली उत्पादन की लागत के अनुरूप उपभोक्ता शुल्क दरें तय करने का उल्लेख किया गया है। ‘उदय’ इस क्षेत्र से जुड़े बीते एवं आने वाले समय के मुद्दों के स्थायी निदान के जरिए कुशल और बेहतरीन डिस्कॉम के उभरने का आश्वासन है। इससे डिस्कॉम को अगले 2-3 वर्षों में लाभ की स्थिति में आने का मौका मिलेगा। यह इन चार कदमों की बदौलत संभव होगा, जिसमें डिसकॉम की परिचालन क्षमता बेहतर करना, विद्युत की लागत में कमी लाना, डिस्कॉम की ब्याज लागत कम करना और राज्यों की वित्तीय व्यवस्था के साथ तालमेल के जरिए डिस्कॉम पर आर्थिक अनुशासन लागू करना शामिल है। अभी तक इस स्कीम को आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जैसे 12 राज्यों ने ‘उदय’ से जुड़ने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। मसलन सरकार ने उपभोक्ताओं को बिजली की अबाधित आपूर्ति करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकारों के साथ तालमेल करते हुए अनेक कदम उठाए हैं।
एलईडी से रोशन होंगा भारत
देश में बिजली संकट से निपटने की दिशा में ऊर्जा बचत की दक्षता और कार्बन उत्सर्जन कम करने को प्रोत्साहन देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं में शामिल बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने योजनाओं को आगे बढ़ाया है। एक साल पहले ही सरकार ने सभी परंपरागत स्ट्रीट लाइटों को एलईडी लाइटों में बदलने और देश के सभी परिवारों को एलईडी बल्ब उपलब्ध कराने के लिए घरेलू कुशल प्रकाश व्यवस्था कार्यक्रम को राष्ट्रीय कार्यक्रमों की शुरूआत की थी। ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) जो विद्युत मंत्रालय के प्रशासन के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, उसे घरेलू उपयोग के लिए एलईडी बल्वों को वितरित करने का कार्यभार सौंपा गया है। ईईएसएल ने दिसंबर, 2015 तक अपनी फ्लैगशिप पहल घरेलू कुशल प्रकाश व्यवस्था कार्यक्रम (डीईएलपी) के अधीन 3.90 करोड़ से भी अधिक बल्बों का वितरण किया है। इसके अलावा सभी केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को सीएफएल और अन्य बल्बों की जगह एलईडी बल्ब लगाने की मुहिम भी जारी है। मंत्रालय के अनुसार विशाखापट्टनम में अभी हाल में आए विनाशकारी हुदहुद चक्रवात के बाद ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) ने 91,000 स्ट्रीट लाइटों की जगह एलईडी लाइट लगाई हैं। चेन्नई और मुंबई नगर पालिकाओं ने भी कुछ क्षेत्रों में सीएफएल और सोडियम वेपर लैम्पों की जगह एलईउी स्ट्रीट लाइट लगाने का काम शुरू कर दिया है।
स्मार्ट मीटर एवं स्मार्ट ग्रिड मिशन
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने देश को बिजली संकट से मुक्त करने की दिशा में ईएलडी बल्ब के बाद हर घर में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना बनाई है। इसके लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की ऊर्जा क्षेत्र की नीति में देश को बिजली की कटौती से मुक्त करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार से उन्हें बिजली क्षेत्र में 28 करोड ऐसे लोग विरासत में मिले, जिन तक बिजली की पहुंच नहीं थी। सरकार ने एक साल में 1500 गांव में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत विद्युतीकरण किया है। राजग सरकार ने भारत में विद्युत के बुनियादी ढांचे को किफायती, जवाबदेह और भरोसेमंद बनाने के लिए राष्ट्रीय स्मार्ट ग्रिड मिशन शुरू किया है। स्मार्ट ग्रिड विद्युत संयंत्र से लेकर प्लग तक के समूचे परिचालन के दौरान होने वाले दोतरफा ऊर्जा प्रवाह के स्वचलन, निगरानी एवं नियंत्रण के लिए सेंसर, मीटर, डिजिटल कंट्रोल एवं विश्लेषणात्मक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं। यह एक काफी महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है और प्रस्तावित 100 स्मार्ट सिटी में भी स्मार्ट ग्रिड होंगे, जिससे बिजली की काफी बचत संभव होगी।
बारहवीं योजना में बड़े लक्ष्य
बिजली मंत्रालय ने उपभोक्ताओं को बिजली की अबाधित आपूर्ति करने के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये 12वीं योजना के दौरान अर्थात 2016-17 तक 1,18,537 मेगावाट (एमडब्ल्यू), 88,537 मेगावाट परंपरागत और 30 हजार मेगावाट नवीकरणीय सहित की अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने का निर्णय लिया है। वहीं इस दौरान 1,07,440 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण और 2,82,740 एमवीए रूपांतरण क्षमता की स्थापना करने की योजना को दिशा दी है। सरकार का मकसद यही है कि वह राज्यों के साथ भागीदारी करके राज्य विशिष्ट कार्ययोजनाओं की तैयारी करके देश में सभी को 24 घंटे बिजली की रोशनी मुहैया कराने के लक्ष्य को हासिल कर सके। इसके अलावा सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और इंटेग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम नामक नई योजनाओं के माध्यम से पर्याप्त और विश्वसनीय आपूर्ति करने और लाइन हानि कम करने के लिए उप-ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क को मजबूत बनाने का काम शुरू किया है, जिसमें कृषि फीडरों को अलग करने की योजना भी शामिल है।
ग्रामीण विद्युतीकरण का लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त 2015 को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में यह घोषणा की थी कि अगले 1000 दिनों में शेष 18,500 गैर विद्युतीकृत गांवों में विद्युतीकरण किया जाएगा। भारत सरकार ने 01 मई 2018 तक देश के सभी गैर विद्युतीकृत गांवों में विद्युतीकरण का निर्णय लिया है। गांवों में विद्युतीकरण के लिए कार्यनीतियों का 12 महीने में 12 मजबूत स्तरों पर मिशन के रूप में निश्चित समय सीमा के भीतर निगरानी के साथ कार्यान्वयन किया जायेगा। दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत वित्त वर्ष 2015-16 के लिए 4500 करोड़ रुपये का बजट आवंटन किया गया है। राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों की कई बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) पर काफी ऋण बकाया है। 12 राज्यों के 177 जिलों में जिला-ब्लॉक स्तर के 309 ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) नियुक्त किये गये हैं। शेष सभी गैर विद्युतीकृत गांवों में ग्रिड कनेक्शन के माध्यम से विद्युतीकरण की मंजूरी दी गई है। वर्ष 2015-16 के दौरान 3500 बिना कनेक्शन के गांवों में कनेक्शन देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिनमें से 2240 गांवों में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान पहले ही
कनेक्शन दिये जा चुके हैं।
यह भी रही उपलब्धियां
विद्युत मंत्रालय के अनुसार भारत के इतिहास में राजग के करीब डेढ़ साल के कार्यकाल में पहली बार बिजली के घाटे को न्यूनतम 3.6 प्रतिशत तक लाने में सफलता मिली है। पीयूष गोयल का कहना है कि इससे पहले एक साल के भीतर ही देश में बिजली उत्पादन क्षमता में 22,566 मेगावाट यानि 8.4 की बढ़ोतरी से पिछले दो दशक का रिकार्ड ध्वस्त किया जा चुका है। इसके अलावा ट्रांसमिशन लाइन क्षमता में 22,100 सर्किट कि.मी. और सब स्टेशन क्षमता में 65,544 मेगावाट क्षमता को बढ़ाने का काम देश के इतिहास में सर्वाधिक बढ़ोतरी का सबब बना है।
10Jan-2016

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