गुरुवार, 7 जनवरी 2016

केंद्र अपने भरोसे पूरा करेगी नमामि गंगे मिशन!



केंद्र और राज्य के 75:25 अनुपात खर्च में बदलाव
अब केंद्र सरकार ही वहन करेगी पूरा खर्च
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वकांक्षी ‘नमामि गंगे’ परियोजना को केंद्र सरकार ने अपने भरोसे शुरू कर दिया है। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने वाली इस परियोजना की वित्तीय व्यवस्था में बदलाव करते हुए केंद्र सरकार ने पूरा खर्च अपने जिम्मे वहन करने का फैसला किया है। इससे पूवे इस परियोजयना के लिए केंद्र का 75 प्रतिशत और राज्य का 25 प्रतिशत खर्च होने की व्यवस्था थी। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के अनुसार राज्य अपने हिस्से की 25 प्रतिशत धनराशि करने में हिचक रहे हैं जिसके कारण इस महत्वपूर्ण परियोजना में विलंब हो रहा है। सरकार नमामि गंगे परियोजना को तेजी के साथ आगे बढ़ाकर लक्ष्य हासिल करना चाहती है। ऐसी स्थिति में मंत्रालय के इस परियोजना के लिए नये ढांचागत एवं वित्तीय व्यवस्था के प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, जिसमें राज्यों के खर्च करने वाली 25 प्रतिशत व्यवस्था में बदलाव करते हुए संपूर्ण खर्च केंद्र सरकार ही वहन करेगी। केंद्र सरकार को इस परियोजना को तीन चरणों में पूरा करना है।नमामि गंगे परियोजना की शुरूआत
मंत्रालय के अनुसार नमामि गंगे मिशन के रूप में इस परियोजना की शुरूआत यूपी में अनूपशहर से कर दी गई है। इससे पहले इस परियोजना में केंद्र और राज्य के बीच खर्च का बंटवारा 75:25 के अनुपात मे होने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया और अब शत प्रतिशत खर्च केंद्र वहन करेगा। सूत्रों के अनुसार इस परियोजना का पहलो चरण एक वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है जिसमें गंगा नदी की अविरलता पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। कानपुर, इलाहाबाद और वाराणसी में इस पहल को सबसे पहले आगे बढ़ाया जा रहा है। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार नदी के किनारे स्थिति उद्योगों से निकलने वाले प्रवाह को हम 24 घंटे चलने वाले प्रदूषण निगरानी उपकरण से जोड़ने का कार्य आगे बढ़ा रहे हैं। यह नयी प्रौद्योगिकी पर आधारित है और कई तरह की श्रेणियों में हैं।
मिशन की बड़ी चुनौती
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना को पूरा करने की चुनौती भी कम नहीं है। मसलन इस परियोजना के तहत गंगा नदी के किनारे स्थित करीब 118 शहरों से प्रतिदिन निकलने वाले 363.6 करोड़ लीटर अपशिष्ट और 764 उद्योगों के हानिकारक प्रदूषकों के कारण नदी की धारा को निर्मल बनाना इतना भी आसान नहीं है। हालांकि सरकार का दावा है कि इन क्षेत्रों में उद्योगों से गंगा में आने वाले प्रवाह के समीप आधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त ऐसे यंत्र लगाए जा रहे हैं, जिससे 15 मिनट से ज्यादा प्रदूषण फैलने पर उक्त उद्योग के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी।
07Jan-2016

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