कांग्रेस की खुद्दारी या गद्दारी
किसी
उपन्यासकार ने बैरागी नाला का जिक्र करते हुए शायद सही ही कहा
होगा-बैरगिया नाला जुलुम जोर,नौ पथिक नचावय तीन चोर,जब तबला बाजय
धीन-धीन,तब एक-एक पर तीन-तीन..। कहा जाता है कि ऐसी राजनीतिक रणनीति को
अपनाते हुए कभी बैरागी नाला पर साधुओं और फौज के बीच हुई लड़ाई में सैनिकों
ने साधुओं के चीमटे छीन कर उन पर हमला करते यह गाना गाया था। यूपी की
राजनीति में भी कांग्रेस और सपा को लेकर कुछ ऐसी ही सियासत का द्वंद्ध
प्रतीत होता दिख रहा है। मसलन यूपी-2017 मिशन को फतह करने की तैयारी में
राजनीतिक दलो ने जिस प्रकार की रणनीति को हवा देना शुरू कर दिया है उसकी
झलक यूपी में तीन विधानसभा सीटों पर आगामी 13 फरवरी को होने वाले उपचुनाव
की तस्वीर साफ करती दिख रही है। इन तीनों सीटों पर ही कांग्रेस ने मुस्लिम
प्रत्याशी उतारकर सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के सामने मुश्किलें खड़ी करना
शुरू कर दिया है, जबकि सपा हमेशा कांग्रेसनीत यूपीए सरकार की खैवनहार रही
है। सपा के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधबाजी से कांग्रेस की इस सियासी रणनीति
पर राजनीति गलियारों में चर्चा है कि इससे मुस्लिम वोटों के बंटवारे से
सीधे भाजपा को लाभ होगा। इसका कारण राजनीतिकार यह भी मान रहे हैं कि इन उप
चुनाव में सपा की प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी हिस्सा नहीं ले रही है,
जिसका ईशारा इन उप चुनाव में किसी भी नतीजे की दिशा बदल सकती है। यह तो कुछ
इस कहावत को यूपी की सियासत पर सटीक बैठ रहा है कि बुरे वकत में ही सबके
असली रंग दिखते हैं-दिन के उजाले में तो पानी भी चांदी लगता है।
मंत्री ने लगाई क्लास
एक
अहम मंत्रालय के सीनियर मंत्री की आदत है कि वे बिना किसी तामझाम के काम
करने में मशगूल रहते हैं और जूनियर मंत्री करते कम बताते ज्यादा हैं।
नतीजतन, सीनियर मंत्री ने मीडिया में खुद की कवरेज न के बराबर होने और
जूनियर मंत्री के लगातार छपने पर अपने मीडिया सलाहकार से कारण पूछा। अब
सलाहाकार महोदय करें तो क्या। क्या जवाब दें। गाज गिरनी तय दिखने लगी।
उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि, दरअसल जूनियर मंत्री का पीआर तगड़ा
है और वह तुकबंदी खुब कर लेते हैं। इसके अलावा, सलाहकार ने और भी कई कारण
गिनाए। मंत्री ने ध्यान से सुनने के बाद कहा कि, सारी बाते अपनी जगह पर
मीडिया में पीआर बनाने के लिए ही तो आपको रखा है। आप किस मर्ज की दवा हैं।
इतना ही नही, चर्चा है कि मंत्रीजी ने सलाहकार महोदय से अब तक के पीआर का
ब्योरा भी देने को कहा है। बेचारे.. सलाहकार महोदय, अब बीट कवर करने वाले
पत्रकारों से इन दिनों अलसुबह ही दुआ बंदगी कर रहे हैं।
परेड में आकर्षण का केंद्र होगी ‘डॉग स्क्वॉड’
इस
बार गणतंत्र दिवस की परेड बीते कुछ सालों की तुलना में कुछ अलग नजर आने
वाली है। इस बार जहां एक ओर पहली बार परेड में कोई विदेशी रेजीमेंट शामिल
होगी। तो दूसरी ओर थलसेना की डॉग स्क्वॉड राजपथ पर लेफ्ट-राइट करती हुई
दर्शकों के बीच आकर्षण के अलग केंद्र के रूप में नजर आएगी। परेड में शामिल
होने के लिए इन डॉग्स को सेना के द्वारा कड़ा अभ्यास कराया गया है। डॉग
स्क्वॉड में करीब 48 कुत्तों को शामिल किया गया है। इनके साथ हैंडलर्स भी
हैं जो इन्हें प्रशिक्षण देते वक्त हर पल इनके साथ रहते हैं। पहले भी परेड
में डॉग स्क् वॉड को शामिल किया जाता था। लेकिन बीते करीब दो दशक से इन्हें
परेड में शामिल नहीं किया जा रहा था। ऐसे में इस बार इनकी मौजूदगी परेड का
आकर्षण तो जरूर बढ़ाएगी।
24Jan-2016
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