रविवार, 17 जनवरी 2016

राग दरबार: मोदी के दम से बेदम पाक

राह बदलता नजर आया पाक
पाकिस्तान को सीधे रास्ते पर लाने के लिए खासकर आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की सभी रणनीतियां पटरी से अलग ही रही हैं। यह पहली बार है कि पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तान अपनी जमीन से आतंकवादियों पर कार्यवाही कर रहा है, भले ही वह उसका दिखावा हो या फिर अमेरिका के बढ़ते दबाव। खैर यदि इसे दिखावा ही माने तो इससे पहले कभी भी पाकिस्तान ने ऐसा दिखावा भी नहीं किया था। बल्कि इससे पहले जिस पाकिस्तान के लिए ‘हम नहीं सुधरेंगे,कुत्ते की पूंछ डेढी..वाली कहावते लगातार तीर के निशाने पर रही हैं, जो आज राह बदलता नजर आ रहा है। जहां तक भारतीय राजनीति और कूटनीति का सवाल है उसमें विदेश मामलों के जानकार यह कहने को मजबूर हैं कि आतंकवाद के मुद्दे पर सही रास्ते पर चलने की सीख नरेन्द्र मोदी जैसे भारत के प्रधानमंत्री के दम पर मिलना शुरू हुई हैं अन्यथा अन्यों में कहां दम था। मोदी ने ही जोखिम उठाते हुए अचानक पाकिस्तान की धरती पर कदम रखने की हिम्मत दिखाई, जिससे दुनियाभर ने नरेन्द्र मोदी की कूटनीति और विदेश नीति का लोहा मानते हुए उनके इस कदम की सराहना की है। राजनीति गलियारों जो चर्चाए आम हैं, उनमें भारत-पाक के बीच रिश्तों के बीच पिघलती इस बर्फ में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान पर बने चौतरफा दबाव के पीछे पाकिस्तान पर विश्वास करने का बूता भी अहम है, जो केवल भाजपा सरकार के ही बूते की बात हो सकती है। भले ही भारत ने पठानकोट हमला झेला हो, लेकिन इस बार पाक पर विश्वास करने का असर बेदम होते पाक पर साफतौर से दिख रहा है।
खैर मनाएं मंत्रीजी
पूर्वी यूपी से आने वाले भाजपा के एक सांसद महोदय मंत्रियों के कामकाज से खासा नाराज हैं। कांग्रेसी रह चुके इन सांसद महोदय को इस बात की टिस है कि मंत्री कार्यकर्त्ताओं और पदाधिकारियों और सांसदों की नहीं सुन रहे। चूंकि, ये सांसद महोदय कांग्रेस में रह चुके हैं तो वह सरकारी कार्यशैली से भी बखूबी वाकिफ हैं। हाल ही एक अहम महकमे के जूनियर मंत्री के पास वह एक सिफारिश लेकर पहुंचे। मंत्री ने उनकी बात सुनीं और अधिकारी से पूछा कि क्या हो सकता है। अधिकारी ने टरकाने के अंदाज में कई कारण गिना दिए। सांसद महोदय ने कई दलील दी। पर, नतीजा ढ़ाक के तीन पात। बस इन महोदय का भी पारा चढ़ गया और उन्होंने मंत्रीजी से मुखातिब होते हुए कहा कि, बस अब कभी आपके पास सिफारिश लेकर नही आऊंगा। चर्चा है कि सांसद महोदय पार्टी के आला नेताओं के पास जाकर भी इस बात का जिक्र कर रहे हैं। अब मंत्रीजी. .खैर मनाएं।
ताकि भरी रहे अन्नदाता की झोली
केंद्र सरकार ने देश के किसानों की बर्बाद होने वाली फसलों की भरपाई के लिए नई फसल बीमा योजना का ऐलान किया है, जिसमें सरकार का दावा है कि देश के अन्नदाता की झोली फसल का नुकसान होने पर भी भरी रहे इसके लिए इस किफायती बीमा योजना को बहुत ही कम प्रीमियम पर शुरू किया गया है। कृषि विशेषज्ञों ने मोदी सरकार के इस ऐलान का स्वागत तो किया है लेकिन देश के अन्नदाता की झोली भरने के सभी उपाय नहीं किया। मसलन इस नई फसल बीमा योजना में किसानों की उस फसल के नुकसान का बीमा मान्य नहीं होगा, जो जंगली या अन्य जानवरों के कारण होगा। जबकि देश में कुछ राज्य ऐसे हैं जहां किसानों की ज्यादातर फसलों को जंगली जानवर नष्ट करते नजर आए हैं। किसान भी इस नई फसल बीमा योजना में किसानों की परेशानी को दूर करने के लिए ऐसा प्रावधान भी शामिल करे जिसमें किसी भी कारण नष्ट होने वाली फसल की बीमा के जरिए भरपाई हो सके..। तभी केंद्र सरकार की इस नई फसल बीमा योजना को प्रधानमंत्री की एक बड़ी पहल की संज्ञा दी जा सकती है।
-हरिभूमि ब्यूरो

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