मंगलवार, 19 जनवरी 2016

कॉलेजियम प्रणाली के बावजूद बढ़ा जजों का टोटा

24 उच्च न्यायालयों में 443 जजों के पद रिक्त
 हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली। 
 केंद्र सरकार की एनजीएसी को बेअसर करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिर से बहाल की गई कॉलेजियम प्रणाली भी देशभर के न्यायालयों में जजों की रिक्तियों में कमी नहीं ला पा रही है। इसी का नतीजा है कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में जजों का टोटा बढ़ना शुरू हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने करीब तीन माह पहले 16 अक्टूबर को सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक करार देते हुए कॉलेजियम प्रणाली को बहाल कर दिया था। विधि एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार गत एक मार्च 2015 तक उच्चतम न्यायालय में दो न्यायाधीशों के पद रिक्त थे, जो बढ़कर पांच हो गये हैं। इसी प्रकार पिछले साल मार्च में देश के 24 उच्च न्यायालयों में मंजूर 1044 न्यायाधीशों के पदों में 346 न्यायाधीशों के पद रिक्त थे, लेकिन फिलहाल उच्च न्यायालयों में जजों की रिक्तियां बढ़कर 443 हो गई है। कॉलेजियम प्रणाली की वापसी होने के बाद भी इन पदों के लिए नये नामों की सिफारिश की जाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई, जिनमें मुख्य न्यायाधीश के आठ पद भी शामिल हैं। विधि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 24 उच्च न्यायालयों में रिक्त 443 जजों के रिक्त पदों के बाद केवल एक जनवरी तक 610 न्यायाधीशों से ही काम चलाया जा रहा है। सबसे ज्यादा 86 जजों के पद इलाहाबाद उच्च न्यायालय में रिक्त हैं। इसके बाद मद्रास उच्च न्यायालय में स्वीकृत 75 न्यायाधीशों के पदों के मुकाबले 38 रिक्त न्यायाधीशों का टोटा झेलते हुए दूसरे पायदान पर है। बंबई और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालयों में 35-35 न्यायाधीशों की कमी है। हालांकि त्रिपुरा उच्च न्यायालय में कोई पद रिक्त नहीं है जबकि मेघालय उच्च न्यायालय में एक पद रिक्त है जबकि उसकी क्षमता चार न्यायाधीशों की है। सिक्किम उच्च न्यायालय में तीन न्यायाधीशों की मंजूर क्षमता है जिसमें एक न्यायाधीश की कमी है। उच्चतम न्यायालय में मंजूर क्षमता 31 न्यायाधीशों की है जिनमें पांच न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं। जबकि जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में रिक्त पदों पर करीब पांच हजार न्यायाधीशों की नियुक्तियां अभी अधर में बताई गई है।

पिछले साल अप्रैल में ये थी स्थिति
देश के 24 राज्यों के उच्च न्यायालयों में अप्रैल 2015 के दौरान 346 न्यायाधीशों के पद रिक्त थें, जिनमें सर्वाधिक इलाहाबाद उच्च न्यायाल में 76 पदों को भरने की दरकार थी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आठ, मध्य प्रदेश और दिल्ली उच्च न्यायालय 19-19 तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायाल में 31 न्यायाधीशों के पद रिक्त थे। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 20, बंबई में 10, कोलकाता में 21, गुवाहाटी में सात, गुजरात में 12, हिमाचल प्रदेश में छह, जम्मू-कश्मीर में सात, झारखंड में 12, कर्नाटक में 26, करेल में सात पद खाली थे। इसी प्रकार से मद्रास हाईकोर्ट में 18, मणिपुर में एक, ओडिशा में आठ, पटना में 11, राजस्थान में 21, सिक्किम में एक तथा उत्तराखंड में पांच जजों के पद खाली थे। ताजा आंकड़े के अनुसार सभी हाईकोर्ट में जजों की कमी में इजाफा हुआ है।
19Jan-2016 

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