उच्च मार्ग परियोजना के मिश्रित वार्षिक खर्च को मिली मंजूरी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश
में सड़कों के जाल से पाटने की कवायद में जुटी मोदी सरकार ने चलाई जा रही
सड़क परियोजनाओं को तेजी से कार्यान्वित करने की दिशा में एक और कदम उठाया
है। केंद्र सरकार ने उच्च मार्ग परियोजनाओं को समय सीमा में पूरा करने की
दिशा में नई पद्धति के रूप में मिश्रित वार्षिक खर्च को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार उच्च मार्ग
परियोजनाओं के कार्यान्वयन के निष्पादन के उपायों में मिश्रित वार्षिक खर्च
वाली नई पद्धति को लागू करना एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस पद्धति की
मंजूरी का मंत्रालय को सड़क निर्माण की गति बढ़ाने के लिए इंतजार था। बुधवार
को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की
मंत्रिमंडलीय समिति ने मिश्रित वार्षिक खर्च को मंजूरी देकर उच्च सड़क मार्ग
परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने की राह को आसान कर दिया है।
दरअसल सड़क परियोजनाओं का ऐसा नमूना बॉट यानि पथकर पद्धति के नजरिये से
व्यावहारिक नहीं रह गया था। इसलिए सरकार इस नई पद्धति में सरकार द्वारा
मुहैया वित्तीय संसाधनों के भीतर किलोमीटर के आधार पर अधिकतम क्रियान्वित
करने के लिए प्रभावी बनाने का फैसला किया है। इसका प्रमुख मकसद उच्च मार्ग
संबंधी परियोजनाओं में बेहतर ढंग से लागू करना है। मंत्रालय के अनुसार सड़क
परियोजनाओं को पूरा करने वाली पद्धति के रूप में इस मॉडल को स्वीकार करने
से सार्वजनिक और निजी भागीदारी की व्यवस्था वाले सभी महत्वपूर्ण
हिस्सेदारों में शामिल प्राधिकरण, कर्जदाता और डेवलपर्स, छूट पाने वाले
उच्च मार्ग परियोजनाओं में निजी डेवलपर्स व निवेशकों को प्रोत्साहन मिल
सकेगा। वहीं इस नई व्यवस्था के जरिए सड़क निर्माण क्षेत्र पुनरुत्थान से
बेहतर परिणाम भी मिलेंगे और ये संबंधित परियोजना के माध्यम से नागरिकों और
पर्यटकों को सहूलियत भी दी जा सकेगी। सड़क परियोजनाओं के जरिए देश को सड़क
संपर्क मार्ग कसे जोड़ने की योजना में बढ़ोतरी होने के साथ आर्थिक गतिविधियां
भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि सड़क सम्पर्क में सुधार की जरूरत को
देखते हुए केंद्र सरकार ने अपने अधीन कार्यरत इंजीनियरिंग जैसी भारतीय
राष्ट्रीय उच्च मार्ग प्राधिकरण आदि एजेंसियों को क्रय और निर्माण के
कार्यों में सार्वजनिक कोष से बढ़-चढ़कर सम्पन्न करने की नीति अपनाई गई है।
इसलिए अहम है नई पद्धति
मंत्रालय
के अनुसार इस नई पद्धति के जरिए केंद्र सरकार और निजी भागीदार यानी डेवलपर
व निवेशक के बीच हिस्सेदारी में पारदर्शिता बनी रहेगी। मसलन जहां निजी
भागीदार निर्माण और रखरखाव पर लगातार निगरानी कर रहे हैं, वहीं यह भी जरूरी
है कि वे वित्तीय जोखिम को भी आंशिक रूप से वहन करने में सक्षम बन सकें।
इसके अलावा सड़क निर्माता यानि डेवलपर इस पद्धति के लागू होने से कहीं हद तक
जहां तक राजस्व और यातायात जोखिम से भी बच सकेंगे। सरकार का मानना है कि
देश के समूचे संपर्क में वृद्धि होने के साथ इससे आर्थिक गतिविधियां
बढ़ेंगी। इस तरह जनता की आर्थिक और सामाजिक दशाओं को ऊपर लाने में मदद
मिलेगी।
28Jan-2016
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें