सोमवार, 11 जनवरी 2016

नमामि गंगे मिशन पर आगे बढ़ा कानपुर!

कानपुर में अन्य जगहों से ज्यादा हो रहा काम
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली
केंद्र सरकार की राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान के तहत चलाई जा रही महत्वकांक्षी योजना नमामि गंगे मिशन ने कानपुर में ज्यादा गति पकड़ी है, जहां केंद्र सरकार के जारी दिशा-निर्देशों के तहत परियोजना को अन्य जगहों से ज्यादा काम हो रहा है। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के अनुसार गंगा को बचाने की इस मुहिम में वैसे तो जनजागृति का प्रसार हुआ है, लेकिन यूपी के कानपुर से गुजर रही गंगा की स्वच्छता के लिए प्रशासन, पुलिस और लोग सक्रिय होकर इस अभियान में तेजी से आगे बढ़े हैं। दावा किया जा रहा है कि कानपुर में कानपुर और आस-पास के घाटों और गंगा नदी किनारे बसे गांवों में लोगों की मदद से शवों को गंगा में प्रवाहित करने से रोकने के प्रयास में नदी पुलिसिंग और प्रशासन के साथ आम लोगों में सक्रियता बनी हुई है। इसमें गंगा किनारे शवों को जलाने वाले लोग भी घाटों की सफाई से जुड़ी किसी भी परियोजना या नियम को समझने का प्रयास कर रहे हैं, जिनमें गंगा सफाई को लेकर जागरुकता भी बढ़ रही है। इसका कारण यह भी है कि गंगा के किनारे और घाटों को साफ करने के लिए जीआरएफडी प्लान को केंद्र पहले ही मंजूरी दे चुकी है।
मंत्रालय के अनुसार 1986 में गंगा एक्शन प्लान का उद्देश्य गंगाजल में प्रदूषण की मात्रा को कम करना और गंगाजल की गुणवत्ता को सुधारने के लिए बनाई गई स्कीमों के कार्यान्वयन के तहत अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी लक्षित सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र लगाए जा रहे हैं। मौजूदा केंद्र सरकार ने गंगा कार्ययोजना का दायरा बढ़ाते हुए ऐसी स्कीमें भी लागू की है जिसमें शहरों और गांवों के नालो तथा औद्योगिक ईकाइयों का प्रदूषित जल गंगा नदी में न आ सके। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए सिर्फ गंगा ही नहीं, बल्कि इसमें मिलने वाले और इसके किनारे पर स्थित झील एवं तालाबों को भी साफ करने की योजनाओं को भी शुरू किया गया है और गंगा और इसमें वाली नदियों को भी साफ किए जाने की पहल शुरू हो चुकी है।
प्रशासन के साथ आम लोग भी कर रहे घाटों की सफाई
नदियों के प्रदूषण पर एनजीटी द्वारा जारी कुछ सख्त दिशा निर्देशों का अनुपालन कराने का भी कानपुर में ज्यादा असर बताया गया है, जहां गंगा नदी के प्रदूषण की स्थिति ज्यादा बद से बदतर थी। इसलिए भी सरकार और प्रशासन सक्रिय है और वहीं केंद्र सरकार की इस परियोजना के प्रति भी सहजता नजर आ रही है।
11Jan-2016

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