रविवार, 3 जनवरी 2016

राग दरबार: मिठास बनाम सियासी कडुवाहट

राग दरबार
मिठास का मतलब अन्नदाता
हरितक्रांति का मतलब अन्नदाताओं यानि कृषि को जीवंत बनाए रखना..। यह जानते हुए भी देश की सियासत किसानों पर करने में कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं है। देश पर राज करने वाली हरेक सरकार ही कृषि और किसानों के हितैषी होने का दम भरते देखे गये हैं। सरकारों के इस दावों के बावजूद खेती-किसानी की हालत बद से बदतर होती जा रही है। मसलन केंद्र सरकार जब कृषि या किसानों के हितों में कोई कदम आगे बढ़ाती है तो पिछले दशकों से विपक्ष उसमें अडंगेबाजी करता देखा गया है। दो दिन पहले ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ से दिल्ली के बीच सुपर एक्सप्रेस वे के शिलान्यास पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस इलाके के किसानों के दर्द को बयां करते हुए पूर्ववर्ती सरकार का नेतृत्व करने वाले राजनीतिक दल पर हमला बोलते हुए कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश गन्ना किसानों का प्रदेश है जो गन्ने का उत्पादन करके पूरे हिंदुस्तान का मुहं मीठा करने का काम करता आ रहा है,लेकिन गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की समस्या के लिए उनकी सरकार द्वारा उठाए गये कदमों के बीच में छह दशक तक देश में राज करने वाली पार्टी रोड़ा बन रही है। ऐसी पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्याय नहीं कर रही, बल्कि देशभर के मुहं की मिठास छीनने का प्रयास कर रही है। मोदी के इस कथन पर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि देश के अन्नदाताओं पर सियासत करने वाले दलों की ऐसी ही रणनीति रही तो देश में आने वाले समय में संकट पैदा हो जाएगा और उसके लिए सियासी कडुवाहट ही जिम्मेदार होगी।
तरक्की की आशा
एक खास तबके के कल्याण के लिए बने मंत्रालय के जूनियर मंत्री नए वर्ष में खुद का ओहदा बढ़ने को लेकर खासा आशांवित हैं। खुल कर तो वह कुछ नहीं बोलते पर मंत्रिमंडल विस्तार में वह खुद के लिए बड़ा ओहदा मिलने की संभावना जरुर जता रहे हैं। जब भी कोई पत्रकार उनसे पूछता है कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा? तो वह इस ओर से तो अपनी अनभिज्ञता जता देते हैं, पर यह पूछने पर की आप का आॅफिस बदलेगा कि नही तो मुस्कुरा देते हैं। लगे हाथ वो यह कहना नही भूलते कि अगर बड़ी जिम्मेदारी मिले तो वह कई बेहतर काम कर सकते हैं। वह बेहतर काम क्या-क्या हो सकता है इस बारे में पूछने पर मंत्री महोदय शायराना अंदाज में कह उठते हैं कि, हम अभी से क्या बताए, क्या हमारे दिल में है। लगता है कि शायद वह भूल गए हैं कि, प्रधानमंत्री परफार्मेंस पर ही तरक्की तय होगी। अब इन जनाब का ओहदा बढ़ेगा कि, घटेगा ये तो आने वाले दिनों में ही पता चल जाएगा।
लालबत्ती की जुगत
पूर्वी उत्तर प्रदेश से आने वाले एक युवा सांसद मोदी मंत्रिमंडल में अपने लिए जगह बनाने की जुगत में लग गए हैं। निजी संपर्क से लेकर वाया संघ भी लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा पूजा पाठ में भी किसी तरह की कोई कमी नहीं रख रहे। मकरसक्रांति के बाद वह एक प्रसिद्ध मंदिर में पूजा कराने जा रहे हैं। ताकि, ग्रह दशा की चाल को दूरूस्त किया जा सके। जिससे कि लालबत्ती मिलने की राह में किसी तरह की अड़चन न आ पाए। अब देखते हैं कि, उनके इस हवन पूजा का क्या नतीजा आता है।
इस प्रदूषण में तो हैं बड़े-बड़े झोल
वायु प्रदूषण ने देश की राजधानी दिल्ली की आबोहवा में इतना जहर घोल दिया है कि न चाहते हुए भी दिल्ली और केंद्र सरकार को सख्त कदम उठाने का ऐलान करना पड़ा। नियम ऐसे की कोई मंतरी हो या संतरी सब जन एक बराबर समझे जाएंगे। जो नियम तोड़ेगा समझो फंसेगा। अभी एक दिन पहले ही केंद्रीय पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली-एनसीआर समेत पड़ोस के तीन राज्यों यूपी, राजस्थान और हरियाणा को सख्त दिशानिर्देंशों का पालन करने का फरमान सुनाया है। नियमों के कड़ाई से पालन की निगरानी की जिम्मेदारी केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों पर डाली गई है। लेकिन इन सबके बीच ये क्या नए साल के पहले दिन पर्यावरण मंत्री से लेकर कुछ और केंद्रीय मंत्रियों की गड़ियां प्रदूषण मानकों पर खरी उतरती हुई नजर नहीं आर्इं। यहां तो रक्षक ही अलग राह पर चल दिए। भई इस प्रदूषण तो सही में हैं बड़े-बड़े झोल।
03Jan-2016

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