रविवार, 10 जनवरी 2016

बदली भारतीय खनन उद्योग की सूरत


खनन उद्योग में हुआ सकारात्मक सुधार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय खान मंत्रालय ने राज्यों को संसाधन संपन्न करने के लिए जिस तरह के कदम उठाए हैं उसमें नये अधिनियम को लागू करने की कवायद ने भारतीय खनन उद्योग की ही सूरत बदल दी। खनन उद्योग के बदले इस निजाम की बदोलत 19 माह के राजग शासनकाल में खनन मंत्रालय द्वारा लिये गये फैसलों के खनन उद्योग में सकारात्मक सुधार तो हुआ ही है, वहीं राज्यों को प्राप्त होने वाले राजस्व में तेजी से इजाफा दर्ज करने का दावा किया जा रहा है। मसलन खनन की नीलामी मे पारदर्शिता, निष्पक्षता और स्पष्टता आने से निवेशकों का भरोसा भी बढ़ने लगा है। जिससे आने वाले दिनों में खनन उद्योग को पंख लगेंगे। राजग सरकार द्वारा लागू किये गये नये अधिनियम के तहत रॉयल्टी दर तथा अनिवार्य किराए में संशोधन के कारण अब राज्यों को मिलने वाला कुल राजस्व लगभग 9400 करोड़ रुपए से बढ़कर तकरीबन 15 हजार करोड़ से भी ज्यादा पहुंच गया है।
मोदी सरकार को मई 2014 में सत्ता संभालते ही देश में आम आदमी का अविश्वास, भ्रष्टाचार, आर्थिक बदहाली, बढ़ती बेरोजगारी और सरकारी खजाना विरासत में मिला, जिसकी चुनौतियों को स्वीकारते हुए केंद्र सरकार ने जनता में केंद्र सरकार का विश्वास हासिल ही नहीं किया, बल्कि देश के विकास और जनता की उन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती से भी पार पाया है। केंद्रीय खान मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपने मंत्रालय की उपलब्धियों को जारी करते हुए कहा कि देश के सर्वांगीण विकास और कल्याणकारी योजनाओं को दिशा देना बड़ी चुनौती माना जा रहा था। सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के सपने को साकार करने के लिए उद्योग जगत के प्रति सकारात्मक माहौल तैयार किया है। इसी मकसद से सरकार ने खान और खनिज (संशोधन) विधेयक को संसद में पारित कराकर खनन उद्योग को मजबूती मजबूत ही नहीं किया, बल्कि सख्त सजा के प्रावधान के जरिए अवैध खनन पर भी लगाम लगाई है। रोकने को सख्त सजा का प्रावधान भी किया गया है। खनन उद्योग को बुलंदियों पर ले जाने के लिए इस ट्रस्ट में मौजूदा रॉयल्टी दर पर इस निधि में प्रतिवर्ष 300 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होने का अनुमान है। मसलन केंद्र सरकार ने कोयला व लिग्नाइट जैसे प्रमुख खनिजों(भंडारण के लिए रेत को छोड़ कर) की रायल्टी दरों को संशोधित ऐसा प्रावधान किया है जिससे प्रमुख खनिजों की रायल्टी में वृद्धि से 100 प्रतिशत रायल्टी पाने वाली राज्य सरकारों को लाभ निलेगा। इस संशोधन से कुछ राज्यों के राजस्व उगाही में तो 45 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। यही नहीं नए अधिनियम में इस नीति को अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को पूर्वेक्षण कार्य हेतु भी अधिसूचित किया है। इसका मकसद खनन प्रभावित क्षेत्रों के लोगो के कल्याण और विकास पर पहली बार ध्यान देकर एक व्यवस्था के तहत जिला खनिज निधि की स्थापना का प्रावधान किया गया है। इस तंत्र बनाने का मकसद के जरिए खनन क्षेत्र में विशेष रूप से अनुसूचित जाति के लोगों के जीवन स्तर को मजबूत बनाना है।
नीति और विधान की राह पर चलते हुए एमएमडीआर अधिनियम-1957 में संशोधन करके देश के सामने लाये गये नए अधिनियम ने खान ब्लॉकों की नीलामी व्यवस्था को भी पारदर्शी बनाया है। इसी संशोधन के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा खनिज संसाधन प्रदान करने की ‘पहले आओ, पहले पाओ’ जैसी विवेकाधीन व्यवस्था के स्थान पर पारदर्शी और स्पर्धी नीलामी प्रक्रिया अपनाना शुरू किया है। इस व्यवस्था से राज्यों को खनिज संसाधनों के मूल्य में अधिक हिस्सा मिलने की प्रक्रिया शुरू हुई है, वहीं समयावधि की निश्चितता और खनिज रियायतों के सहज अंतरण को सुनिश्चित करने के लिए प्रावधानों को लागू किया गया है। खान मंत्री नरेन्द्र तोमर का दावा है कि इस नीति को लागू करने के लिए सरकार द्वारा खनिज(खनिज सामग्री साक्ष्य)नियम-2015 तथा खनिज(नीलामी) नियम-2015 के जरिए प्रासंगिक नियमों के तहत मॉडल टेंडर दस्तावेज(एमडीटी) को राज्य सरकारों को उपब्ध कराया गया है ताकि वह नीलामी शुरू कर सकें। इसके बाद राज्यों की ओर से एनआईटी जारी करना प्रारंभ कर दिया है। गुजरात ,राजस्थान तथा महाराष्ट्र ने नवंबर 2015 में एनआईटी जारी किए हैं। कर्नाटक , तथा छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शीघ्र ही इस दिशा में कदम उठाएंगे।

राष्ट्रीय खनिज खोज ट्रस्ट
सरकार ने खनन में एक्सप्लोरेशन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट की स्थापना की है, जिसमें इसके वित्तपोषण के लिए प्रावधान शामिल है। राष्ट्रीय मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट का उद्देश्य देश में खनिजों की खोज को प्रोत्साहित करना है। लीज धारकों से एनएमई की रायल्टी के 2 प्रतिशत के बराबर योगदान देने को कहा गया है। एमएमडीआर संशोधन अधिनियम 2015 के अनुसार देश में खनिज पदार्थों की खोज में तेजी लाने पर बल दिया जा रहा है ताकि खान भंडारों को खनन योग्य स्तर तक लाया जा सके। सरकार ने खनिज पदार्थ खोज में अन्य एजेंसियों की भागीदारी का द्वार खोल दिया है। इसी के अनुसार पांच सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठानों को संभावित लाइसेंस प्राप्त किए बिना खोज कार्य चलाने की अधिसूचना जारी हुई। केंद्रीय सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के तहत इन पांच संस्थानों में राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड, स्टील अथारिटी आफ इंडिया, राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड,कुद्रेमुख आयरन ओर कंपनी तथा मैगजिन ओर (इंडिया) लिमिटेड को एमएमडीआर अधिनियम-1957 के सेक्शन 4(1) के दूसरे प्रावधान के अंतर्गत अधिसूचित किया गया।
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना
प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना जिलों के डीएमएफ द्वारा डीएमएफ को प्राप्त धन का उपयोग करते हुए कार्यान्वित की जाएगी। पीएमकेकेकेवाई योजना का समग्र उद्देश्य है कि खनन प्रभावित क्षेत्रो में विकास तथा विभिन्न कल्याण परियोजनाओं-कार्यक्रमों को लागू किया जा सके और कल्याण परियोजनाओं-कार्यक्रमों को राज्य तथा केंद्र सरकार की जारी परियोजनाओं में पूरक बनाने में मदद मिले। इसी प्रकार खनन वाले जिलों में खनन के दौरान और खनन के बाद पर्यावरण, स्वास्थ्य और लोगों की समाजिक-आर्थिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभावों को कम करने के अलावा खनन क्षेत्र के प्रभावित लोगों के लिए दीर्घकालिक जीविका सुनिश्चित करना सरकार का मकसद है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने पिछले साल ही 31 खनिजों को राज्यों के नियमों के तहत लाकर को उन्हें लघु खनिज के रूप में अधिसूचित किया। इससे लघु खनिजों की संख्या 24 से बढ़कर 55 हो गई। इससे राज्यों को इन 31 खनिजों के लिए अनुदान और नियमन बनाने की शक्ति मिलेगी। वहीं इससे अब राज्य खनिज रियायतों, रायल्टी दरों, डीएमएफ में योगदान की मंजूरी के तौर-तरीके बना सकेंगे।
राष्ट्रीय खनिज संस्थानों को मिली ये सुविधाएं
केंद्र सरकार ने भारतीय खानों को खतरों के मूल्यांकन के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल भी मुहैया करा दिए गए हैं, जिससे आवश्यकता के अनुसार सुधार के उपाय करने में उद्योगों को केंद्र की सहायता मिलेगी। वहीं कम खतरनाक सीट और उपकरण के चयन में इसका उपयोग किया जा सकता है। खनन उद्योग को नवीनतम टेक्नोलॉजी के साथ ध्वनि मैपिंग सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। सरकार ने इसके अलावा अपने यहां मल्टीप्लेक्स एलीजा प्रोटोकॉल को भी विकसित किया है जिसमें छह 6 एंटीबॉडिज के पैनल का उपयोग किया गया है।
इस्पात के क्षेत्र भी पनपा
केंद्रीय खान एवं इस्पात मंत्रालय के अनुसार खनन उद्योग के साथ केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की इस्पात क्षेत्र में एक समन्वयक की भूमिका सामने आई है। इस्पात उद्योग यह एक अनियंत्रित क्षेत्र है, फिर भी मोदी सरकार ने इस्पात उद्योग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों के बीच एक सहयोगी और सहकारी भूमिका निभाते हुए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसी का नतीजा रहा कि मोदी सरकार के शासन के शुरूआती महीनों में ही सकारात्मक आंकड़ो ने वैश्विक ऊंचाईयां छूना शुरू कर दिया। इस क्षेत्र के आंकडे इस बात की गवाही दे रहे हैं कि इस्पात यानि स्टील उत्पादन में भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़कर अंतर्राष्टÑीय स्तर पर तीसरा स्थान हासिल करके शीर्ष पटल पर जाने का रास्ता प्रशस्त किया है। सरकार को पूरी उम्मीद है कि इस्पात क्षेत्र में बढ़ते निवेशकों के विश्वास के बीच इस्पात कंपनियों के आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण की लंबित योजनाओं को तेज गति देकर 2020 तक भारतीय इस्पात उद्योग विश्व में कम से कम दूसरे स्थान पर लाने का लक्ष्य हासिल हो जाएगा।
10Jan-2016

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