मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

देश में सिरे चढ़ी इंटर मॉडल स्टेशन योजना!

वाराणसी व नागपुर में शुरू होने को तैयार पायलट परियोजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार की परिवहन व्यवस्था को असान बनाने की दिशा में देश के प्रमुख 15 शहरों में मल्टीलेबल इंटर मॉडल स्टेशन बनाने की योजना का खाका तैयार किया गया है, जिसमें पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के गृह क्षेत्र नागपुर में इस परियोजना को जल्द ही शुरू किया जाएगा, जिसके लिए डीपीआर अंतिम चरणों में है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की देश के 15 शहरों में मल्टीलेबल इंटर मॉडल स्टेशन बनाने की इस योजना में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने सबसे पहले वाराणसी में काशी और नागपुर में अजनी सेटेलाइट स्टेशन को चुना है, जिसमें पायलट परियोजना के लिए विस्तृत अध्ययन करने के बाद  विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है जो अंतिम चरण में है। इस परियोजना में सड़क, रेल मंत्रालय तथा संबंधित राज्य सरकार के बीच एसपीवी से अंतरमॉडल परियोजनाएं लागू की जाएंगी। हालांकि मंत्रालय का कहना है कि चयनित सभी 15 शहरों में इस परियोजना को लागू करने की प्राथमिकता तय की गई है। मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार इस योजना को आगामी 30 साल के लिए यात्रियों के आवागमन क्षमता को आंकते हुए पूरा किया जा रहा है। इसलिए इन स्टेशनों पर ट्रैवेलेटरों के साथ फुटओवर ब्रिज, सब-वे, साझा प्रतीक्षालय, स्वच्छ शौचालय और विश्राम गृह, एकीकृत सार्वजनिक सूचना प्रणाली, आधुनिक अग्निशमन सुविधा तथा आपातक्रिया सेवा, उपयोगी सामान भंडार, कॉनकोर्स तथा स्केलेटर, पर्याप्त सर्कुलेशन स्थान तथा वाणिज्यक प्रतिष्ठान भी होंगे। इस योजना को केंद्र सरकार व राज्य सरकारों के साथ मिलकर चलाया जाएगा।
दो शहरों में ऐसी होगी योजना
मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना को शुरू करने के लिए तैयार की जा रही डीपीआर के तहत वाराणसी में काशी स्टेशन पर रेलवे की करीब 30.28 एकड़ जमीन पर मल्टीलेबल इंटर माडल स्टेशन बनाया जाएगा, जहां वर्ष 2050 की डेढ़ लाख लोगों के आवागमन क्षमता के आकलन के तहत पांच रेलवे प्लेटफार्म और 100 बसवे विकसित करने की योजना है। मसलन रेल, सड़क, मेट्रो के अलावा अंतर्देशीय जलमार्ग यात्री टर्मिनल भी होगा। इसी प्रकार नागपुर में 75 एकड़ जमीन पर बनाए जाने वाले इंटरमॉडल स्टेशन पर तीन लाख लोगों की आवागमन क्षमता को आंका गया है, जिसके तहत यहां सात रेलवे प्लेटफार्म और 200 बसों का बस-वे के अलावा रेल, सड़क और मेट्रो के टर्मिनल होंगे।   
क्या है परियोजना
मंत्रालय के अनुसार मल्टीलेबल इंटर मॉडल स्टेशन ऐसी एक टर्मिनल संरचना है, जिसमें इंटरमॉडल स्टेशन को विकसित करते हुए नई जोड़ने वाली सड़कों, पुलों तथा फ्लाइओवरों के जरिये सड़क नेटवर्क विकास के साथ-साथ एकीकृत रूप में बनाए जायेंगे।  मसलन इस स्टेशन पर एक ही स्थान पर रेल, सड़क, मास रैपिड ट्रांजिट प्रणाली, बस रैपिड ट्रांजिट प्रणाली, अंतर्देशीय जल मार्ग, ऑटोरिक्शा, टैक्सी और निजी वाहनों जैसी सभी सुविधा मुहैया हो सकेगी, ताकि लोग बिना किसी बाधा के ऑटोमोबाइल के न्यूनतम उपयोग के साथ एक से दूसरे साधन से आवाजाही कर सकेंगे। सरकार का मानना है इस परियोजना से परिवहन के विभिन्न साधनों को एक स्थान पर लाकर अंतरमॉडल स्टेशन सड़कों पर भीड़भाड़ कम हो सकेगी और वाहन प्रदूषण में भी कमी आएगी। अंतरमॉडल स्टेशन लोगों को सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित कर तथा अंतर शहर बस यातायात के प्रवेश और निकास के लिए रिंगरोड़ और राष्ट्रीय राजमार्गों के कारगर इस्तेमाल करके भीड़भाड़ कम करने में मददगार साबित होंगे। अभी अधिकतर शहरों में बस अड्डे, रेलवे स्टेशन तथा अन्य पड़ाव एक दूसरे से अन्य स्थानों पर हैं। इसलिए पहले से भीड़भाड़ वाली सड़कों पर अंतरमॉडल आवाजाही से दबाव बनता है।
अंतरमॉडल स्टेशन के अनेक लाभ
एकत्रित आवागमन : अगल-अलग परिवहन टर्मिनलों की तुलना में अंतरमॉडल स्टेशनों पर अधिक लोगों का आवागमन होगा।
सुधरा यात्री अनुभव :  अनेक भागों के सहयोग के कारण सुविधाओं का बेहतर प्रबंधन होता है और वाणिज्यिक विकास एकत्रिक आवागमन से प्रेरित होता है। इसके अतिरिक्त यात्रियों को विभिन्न टर्मिनलों के बीच यात्रियों के आने-जाने के लिए समय और धन की आवश्यकता नहीं होती।
संसाधनों को साझा करना : फुटआवर ब्रिज, प्रतीक्षालय, कॉनकोर्स, सार्वजनिक सुविधा जैसी साझा आधारभूत संरचना से निवेश में कमी आती है और जमीन की आवश्यकता भी कम होती है। परिणामस्वरूप निवेश की कम जरूरत होती है और प्रणाली में आपसी तालमेल बढ़ता है। अंतरमॉडल स्टेशनों के विकास से शहरों में वाणिज्यिक विकास होगा, आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और इससे विकास के क्षेत्र का सामाजिक-आर्थिक स्वरूप बदलेगा।
27Feb-2018


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