रविवार, 4 फ़रवरी 2018

जलमार्ग क्षेत्र में जहाजों का निर्माण करेगा भारत



सीएसएल का रूसी जहाज निर्माण कंपनी से हुआ करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को प्रोत्साहन देने की दिशा में भारत अंतर्देशीय जलमार्गो और तटीय जहाजरानी के लिए विशेष जहाजों को विकसित करेगा। इस दिशा में पानी के जहाजों का निर्माण करने वाली रूस की यूनाइटेड शिप बिल्डिंग कारपोरेशन भारत को सहयोग करेगी, जिसके लिए उसके साथ भारतीय कंपनी कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड ने एक करार पर हस्ताक्षर किये हैं।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार भारतीय और रूसी दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से भारत में उच्च गति के जहाज, नदी-समुद्र कार्गो जहाज, यात्री जहाज, ड्रेजर, अंतर्देशीय जलमार्ग तथा तटीय जहाजरानी के लिए विकसित करने में सहयोग करेंगी। इसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन, जल संसाधन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में यहां नई दिल्ली में कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) तथा संयुक्त धारक कंपनी यूनाइटेड शिप बिल्डिंग कारपोरेशन (यूएससी) रूस ने सहमति ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए हैं। इस सहमति ज्ञापन पर कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड के अध्‍यक्ष और प्रबंध निदेशक मधु एस. नायर तथा रूस की ओर से यूनाइटेड शिप बिल्डिंग कॉरपोरेशन के अध्‍यक्ष एलेक्‍सी रखमानोवा ने हस्ताक्षर किये। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्गों, क्रूज पर्यटन तथा रो-रो परिवहन की विशाल संभावनाएं है। वहीं इस सहयोगी करार से आवश्यक उत्‍पाद के साथ-साथ नई प्रौद्योगिकी के लिए बाजार अभिनव भी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इसी प्रकार भारतीय कंपनी सीएसएल की क्षमता बढ़ने से देश में अंतर्देशीय जलमार्ग और तटीय जहाजरानी में रोजगार के अवसर भी निश्चित रूप से बढ़ेंगे।
मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन
भारत व रूसी कंपनियों के बीच हुए इस करार के तहत भारत में अंतर्देशीय तथा तटीय जलमार्गों के लिए समकालीन अत्‍याधुनिक जहाज के डिजाइन, विकास और कार्यान्वयन में सहयोग बढ़ेगा और मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में भी तेजी आएगी, क्‍योंकि सरकार सागर माला योजना के तहत भारतीय जलमार्गों तथा तटीय जहाजरानी मार्गों को पर्यावरण सहाज और आर्थिक दृष्टि से लाभकारी बनाना चाहती है। एक बार जल आधारित परिवहन के लिए आधारभूत संरचना बन जाने पर निकट भविष्य तथा दीर्घकालिक दृष्टि से विभिन्न तरह के विशेषज्ञ जहाजों की मांग होने लगेगी। यह सहमति ज्ञापन इसी संभावित मांग को पूरा करने के लिए एक प्रयास है।  इस अवसर पर श्री गडकरी ने कहा कि अंतर्देशीय जलमार्गों, क्रूज पर्यटन तथा रो-रो परिवहन की विशाल संभावना है। इस सहयोग से आवश्‍यक उत्‍पाद के साथ-साथ नई प्रौद्योगिकी के लिए बाजार अभिनव भी प्राप्त होगा।
04Feb-2018
 


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