शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

राज्यसभा: विपक्ष के हंगामे व बहिष्कार के बावजूद हुई चर्चा

संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा जारी
लोकसभा में भी नहीं रूका प्रश्नकाल व शून्यकाल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की अनुमति न मिलने से खफा विपक्षी दलों के हंगामे और पूरे दिन की कार्यवाही का बहिष्कार करने के बावजूद सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा चलती रही। इसी प्रकार लोकसभा में भी अभिभाषण पर चर्चा से पहले विपक्ष के हंगामें के बावजूद शून्यकाल व प्रश्नकाल पूरे किये गये।
उच्च सदन में विपक्ष के अलग-अलग मुद्दो पर दिये गये नोटिसों को नामंजूर करने के विरोध में हंगामे के कारण दो बार स्थगन के बाद सदन की कार्यवही दोपहर बाद तीन बजे शुरू हुई तो लामबंद हो चुके विपक्षी दलों ने सभापति एम. वेंकया नायडू पर लोकहित के मुद्दे सदन में न उठाने का आरोप लगाया, लेकिन सभापति ने सोमवार को शुरू की जा चुकी राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा को आगे बढ़ाने का कहा। इस पर कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, आप, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके आदि विपक्षी दलों के सदस्य पूरे दिन की कार्यवाही का बहिष्कार करके सदन से बाहर चले गये और समाचार लिखे जाने तक अभिभाषण पर चर्चा जारी थी। 
नहीं चल सके शून्यकाल व प्रश्नकाल
इससे पहले राज्यसभा में मंगलवार को सुबह शुरू हुई कार्यवाही के दौरान सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और शून्यकाल शुरू करने को कहा। तभी तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने नोटिस के तहत पश्चिम बंगाल में राज्य के कार्यो में राज्यपाल के हस्तक्षेप का मामला उठाने का प्रयास किया, लेकिन सभापति ने कहा कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस के अलावा शिरोमणि अकाली दल और तेदेपा सदस्यों की ओर से अलग अलग मुद्दों पर नोटिस मिले हैं जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया है और शांत रहने की अपील करते हुए शून्यकाल की कार्यवाही को आगे बढ़ाने को कहा, लेकिन डेरेक ओब्रायन अपना पक्ष रखने क अपने दल के सदस्यों के साथ खड़े होकर हंगामा करने लगे। इसी प्रकार सपा ने कासगंज के मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग की और सदन में हंगामा होते देख सभापति ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान विपक्षी दलों ने अपने अपने मुद्दों पर हंगामा शुरू किया, जिसके कारण उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन की कार्यवाही तीन बजे तक स्थगित कर दी गई।
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सभापति के खिलाफ विपक्ष ने खोला मोर्चा
कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार को सदन से बहिष्कार करने के बाद विपक्षी दलों ने सभापति पर जनहित से जुड़े मुद्दे नहीं उठाए दिए जाने का आरोप लगाते हुए एकजुट होकर मोर्चा खोल दिया। राज्यसभा में प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने संसद भवन में ही संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि सभापति लोकहित के मुद्दे पर बोलने नहीं दे रहे हैं, जो सही नहीं है। इसी कारण कांग्रेस के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी और डीएमके आदि दलों ने एकजुटता के साथ दिनभर के लिए सदन की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किया है। आजाद ने कहा कि सभापति नियमों के तहत सदन की कार्यवाही चलानी चाहिए, लेकिन विपक्षी दलों की जनहित के मुद्दों पर आवाजा दबाने का प्रयास किया जा रहा है। सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने इस रवैये को अलोकतांत्रिक करार देते हुए कहा कि समूचा विपक्ष इस बारे में अपने विरोध को लिखित में राज्यसभा के सभापति को देंगे। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि सपा ने कासगंज व फर्जी एनकाउंटर पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने के लिए नोटिस दिया हुआ है, लेकिन विपक्षी दलों की आवाज को दबाया जा रहा है। यदि उन्हें सदन में बोलने नहीं दिया जाएगा तो संसद का क्या मतलब रह जाएगा? आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि सदन को इस ढंग से चला रहे हैं कि सदन के बाहर और भीतर दोनों जगह विपक्ष को बोलने नहीं देना है। सुबह पूरा सदन ऑर्डर में था और कोई भी वेल में नहीं गया। इसके बावजूद सभापित ने सदन को 2:00 बजे तक के लिए स्थगित करने का मतलब समझ से परे है।

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लोकसभा में हंगामे के बावजूद हुआ प्रश्नकाल
लोकसभा में भी मंगलवार को विपक्षी सदस्यों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर भारी हंगामा किया, जिसके कारण अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद भी हंगामा थमा नहीं, लेकिन इस हंगामे के बावजूद सदन में प्रश्नकाल चलता रहा। हालांकि दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर तेदेपा सदस्य हाथों में बैनर लेकर नारे लगाते हुए फिर अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए। तेदेपा के सदस्यों के हंगामे के बीच ही लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही जारी रखी और इस हंगामे के दौरान ही प्रश्नकाल पूरा कराया गया। लोकसभा में इससे पहले राजद सांसद जय प्रकाश यादव ने बिहार के बक्सर जिले के नंदन गांव में महादलितों पर हुए अत्याचार मामले पर यह नोटिस भेजा था। जबकि समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेन्द्र यादव ने भी नोएडा के कथित एनकाउंटर के मुद्दे पर लोकसभा में शून्य काल नोटिस व स्थगन नोटिस भेजा था। वहीं टीडीपी सांसदों ने बजट में आंध्र प्रदेश की अनदेखी को लेकर संसद भवन परिसर में महात्‍मा गांधी की प्रतिमा के समीप हाथों में तख्ती लेकर प्रदर्शन किया।
08Feb-2018
 


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