सोमवार, 5 फ़रवरी 2018

विश्व बैंक की मदद से चलेगी जलमार्ग परियोजनाएं

भारत ने किया 3.75 करोड़ डॉलर का करार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने बनारस से हल्दिया तक राष्ट्रीय जलमार्ग-एक पर नौवहन को बढ़ावा देने की दिशा में जलमार्ग विकास परियोजना के लिए विश्व बैंक के साथ समझौता किया है।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार आईडब्ल्यूएआई के विश्व बैंक के साथ 3.75 करोड़ डॉलर के ऋण के लिए हस्ताक्षर किये गये हैं, जिसमें बनारस से हल्दिया तक चल रही राष्ट्रीय जलमार्ग-एक परियोजना को को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। इस परियोजना पर नौवहन को बढ़ावा देने के लिए 80 करोड़ डॉलर वाली जेएमवीपी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग  द्वारा पहले ही मंजूरी दे चुकी है। इस मंजूरी के बाद विश्व बैंक के 3.75 करोड़ डॉलर का ऋण समझौता साथ इस के जल मार्ग विकास परियोजना (जेएमवीपी) के लिए आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय के साथ 3.75 करोड़ डॉलर का ऋण समझौता हुआ है। मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना के लिए शेष राशि में से 380 मिलियन अमरीकी डॉलर का भारत सरकार के समकक्ष निधि के माध्यम से बजटीय आवंटन और बांड इश्यू से आय प्राप्त करना है। एक अन्य यूएस $ 45 मिलियन पीपीपी मोड के तहत निजी क्षेत्र की भागीदारी से आएगा। जेएमवीपी को विश्व बैंक की वित्तीय मदद और तकनीकी सहायता से लागू किया गया है।
कई राज्यों को होगा फायदा
मंत्रालय के अनुसार इस परियोजना के विकास और राष्ट्रीय जलमार्ग-1 परियोजना के विकास और संचालन से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल राज्यों में 46 हजार के प्रत्यक्ष रोजगार उत्पादन और 84 हजार के अप्रत्यक्ष रोजगार का सजृन होगा। इस परियोजना में वाराणसी, हल्दिया और साहिबगंज में सुदूर, मल्टी-मोडल टर्मिनलों का विकास, नदी नेविगेशन प्रणाली, संरक्षण कार्यों, आधुनिक नदी सूचना प्रणाली, डिजिटल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम,रात नेविगेशन सुविधाएं, आधुनिक तरीके चैनल अंकन, फराक्का इत्यादि में एक नए राज्य के अत्याधुनिक नौवहन तालाब का निर्माण शामिल है। जेएमवीपी के परिणामस्वरूप परिवहन की एक पर्यावरण-अनुकूल, ईंधन-कुशल और लागत प्रभावी विकल्प मोड, विशेष रूप से थोक वस्तुओं, खतरनाक सामान और अति-आयामी माल के लिए होगा।
अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क बनेगा
मंत्रालय के अनुसार राष्ट्रीय जलमार्ग-1 जहां प्रस्तावित पूर्वी समर्पित फ्रेट कॉरिडोर को जोड़ेगा, वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग जलमार्ग-2 के साथ पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) को जोड़ने वाले भारत के पूर्वी परिवहन मार्ग नेटवर्क को मजबूत करेगा। यहीं नहीं यह परियोजना बांग्लादेश के लिए एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा, जिसमें कोलकाता बंदरगाह और भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के माध्यम से म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और अन्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का नेटवर्क तैयार होगा। 
05थ्मइ92018


1 टिप्पणी:

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