शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

एक अप्रैल से लागू कर दी जाएगी बीएस-6 र्इंधन योजना



केंद्र की दिल्ली में प्रदूषण से निपटने की तैयारी!        
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को जारी आदेशों के तहत केंद्र सरकार ने बीएस-4 से सीधे बीएस-6 ईंधन की योजना को इसी साल एक अप्रैल से लागू करने का निर्णय लिया है। जबकि एनसीआर में अगले साल यह प्रणाली लागू करने की योजना है।
दरअसल केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने देश में वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में वाहनों के लिए कई वैकल्पिक ईंधन की योजनाओं पर काम करना शुरू किया है, जिसमें सरकार ने देश में बीएस-4 श्रेणी के ईंधन के बाद बीएस-5 और तथा 2020 तक बीएस-6 श्रेणी के ईंधन की योजना को लागू करने का खाका तैयार कर लिया था, लेकिन खासकर राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तेजी से बढ़ रहे प्रदूषण से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के समय-समय पर जारी आदेशों को देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट को एक शपथपत्र देकर अपने निर्णय में संशोधन करने की जानकारी दी, जिसमें केंद्र सरकार ने सबसे पहले राजधानी दिल्ली में एक अप्रैल 2018 से सीधे बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 ईंधन योजना को लागू करने का निर्णय लिया है, जबकि एनसीआर क्षेत्र में इस योजना को वर्ष 2019 में लागू कर दिया जाएगा। मसलन अप्रैल से दिल्ली में बीएस-6 श्रेणी का वाहन ईंधन बिकने लगेगा। मंत्रालय के अनुसार बीएस-6 फ्यूल के तहत पेट्रोल और डीजल में सल्फर की मात्रा को प्रति मिलियन के दसवें हिस्से तक ही सीमित कर दिया जाता है। हालांकि बीएस-6 गाड़ियां 2020 से बाजारों में आ सकेंगी।
कड़े होंगे उत्सर्जन मानक
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार बीएस-6 योजना को सबसे पहले राजधानी दिल्ली में लागू करने का मकसद है कि इस ईंधन प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थो की मात्रा करीब 75 फीसदी तक कम होगी। उन्होंने बताया कि परिवहन मंत्रालय ने आगामी एक अप्रैल से बीएस-6 ईंधन को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। खुद केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी पहले ही कह चुके हैं कि बीएस-4 से सीधे बीएस-6 ईंधन की योजना को लागू करने का मकसद राजधानी दिल्ली में तेजी से बढ़ती प्रदूषण की समस्या से निपटना है। अधिकारी की माने तो इस योजना के लागू होने पर प्रदूषण नियंत्रण के मानक कड़े हो जाएंगे। बीएस-6 ईंधन वाले वाहनों को नाइट्रोजन ऑक्साइड उत्सर्जन में 68 फीसदी की कमी करनी होगी, जिन्हें पर्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन को भी मौजूदा मानक से 5 गुना ज्यादा कम करना जरूरी होगा। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 5 फरवरी को प्रदूषण को मौजूदा और आने वाली पीढ़ी के लिए बहुत खतरनाक बताया था। कोर्ट ने सरकार को हलफनामा दायर कर इससे निबटने के लिए उठाए जाने वाले कदमों और बीएस-6 ईंधन की उपलब्धता के बारे में बताने के निर्देश भी दिए थे। कोर्ट ने मार्च 2017 में बीएस-4 मानकों के अनुरुप नहीं बिकने वाले वाहनों पर बैन लगा दिया था।
जल्द जारी होंगे यह नियम
मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार पहले ही दिशानिर्देश जारी कर चुकी है। यानि परिवहन मंत्रालय ने सभी कार कंपनियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया कि एक जुलाई, 2019 के बाद जिन भी कारों का निर्माण होगा, उनका सुरक्षा मानकों पर खरा उतरना अनिवार्य होगा। मसलन सरकार के जारी दिशानिर्देशों के अनुसार एक जुलाई 2019 के बाद बनने वाली कारों में एयरबैग्स, सीट बेल्ट रिमाइंडर्स, 80 किलोमीटर से ज्यादा की स्पीड के लिए अलर्ट सिस्टम, रिवर्स पार्किंग सेंसर्स और मैनुअल ऑवरड्राइव जैसे सेफ्टी फीचर का होना जरूरी होगा। वहीं वाहन निर्माताओं कंपनियों को वाहनों के निर्माण भी ईंधन की लागू होने वाली योजनाओं के तहत करना होगा, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण के लिए तय मानकों को सख्त किया जा रहा है। 
क्या है बीएस-6 योजना
केंद्र की इस योजना को लागू करने के फैसले के तहत भारतीय ऑटो मोबाइल मैन्युफैक्चरर्स सोसायटी (एसआईएम) भी अपने वाहनों को बीएस-6 ईंधन में अपग्रेड करने के लिए कमर कस चुकी है, जिसमें इस मानक तक पहुंचने के लिए तय सुरक्षा मानक अपनाए जाने हैं। दरअसल भारत स्टेज एमिशन स्टैंडंर्ड (बीएस-6) को भारत स्टेज (बीएस) के नाम से भी जाना जाता है। ये उत्सर्जन मानक होते हैं, जिनके जरिये इंजन और मोटर व्हीकल्स से निकलने वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 
23Feb-2018

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