गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

ट्रिब्यूनल में जाएगा छग-ओडिशा का महानदी विवाद!



कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही इसी माह गठित होगा ट्रिब्यूनल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़ और ओड़िशा के बीच महानदी के जल बंटवारे को लेकर 33 साल से चल रहे विवाद को निपटाने के लिए सभी प्रयास विफल होने के बाद केंद्र सरकार अब सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसी माह ट्रिब्यूनल का गठन करेगी। जल संसाधन मंत्रालय ने इस प्रक्रिया की मंजूरी के लिए केंद्रीय कैबिनेट को प्रस्ताव भेज दिया है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय में सचिव यूपी सिंह ने महानदी विवाद के लिए ट्रिब्यूनल के गठन की शुरू की जा रही प्रक्रिया के बारे में हरिभूमि को बतया कि केंद्र सरकार का एक विधेयक संसद में पहले से ही संसदीय समिति के पास है, जिसमें तमाम विवादों के लिए एक स्थायी ट्रिब्यूनल के गठन का प्रावधान है और सरकार चाहती थी कि छत्तीसगढ़ औ ओडिशा के महानदी विवाद को सुलझाने का मामला भी प्रस्तावित स्थायी ट्रिब्यूनल में भेजा जाए, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है तो सरकार कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए महानदी के लिए इसी माह ट्रिब्यूनल का गठन करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है, जिसके कैबिनेट नोट के प्रस्ताव को एक-दो दिन में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाएगी। जल संसाधन मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने यह भी बताया कि मंत्रालय ने केंद्रीय कैबिनेट को ट्रिब्यूनल संबन्धी दो प्रस्ताव भेजे हैं, जिनमें एक महानदी विवाद के लिए ट्रिब्यूनल गठन की मंजूरी और दूसरा स्थायी ट्रिब्यूनल के गठन के लिए है। इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब स्थायी ट्रिब्यूनल के गठन के लिए संसद में नए सिरे से विधेयक पेश करना होगा। दरअसल पिछले महीने 23 जनवरी को ही ओडिशा सरकार की दिसंबर 2016 में दायर एक याचिका पर केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच चल रहे महानदी के जल बंटवारे विवाद को सुलझाने के लिए एक माह के भीतर ट्रिब्यूनल का गठन करना है।
छग को नहीं दिया निर्देश
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने चूंकि छत्तीसगढ़ सरकार को कार्यबंद करने का कोई निर्देश जारी नहीं किया है, तो महानदी की बहती धारा पर चल रहे निर्माण कार्य जारी है। इस काम को रोकने के लिए ओडिसा सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसी कारण ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी को एक पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ सरकार को वहां चल रहे निर्माण कार्य को रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है, क्योंकि इसके लिए महानदी मुद्दे पर अब छत्तीसगढ़ सरकार से चर्चा करने का कोई अर्थ ही नहीं है। गौरतलब है कि पिछले साल 28 जनवरी को उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महानदी मुद्दे के समाधान करने का आग्रह किया था। दरअसल इस विवाद में ओडिशा का तर्क है कि डीपीआर के अनुसार महानदी के हीराकुंड बांध से 12.28 मिलियन एकड़ फीट का पानी के अलावा 3.67 मिलियन एकड़ का अतिरिक्त पानी उपयोग के लिए मिलना चाहिए।
ओडिशा ने नहीं माने केंद्र के फैसले
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ व ओडिशा के बीच महानदी के जल बंटवारे को लेकर चल रहे विवाद को निपटाने की दिशा में पिछले करीब डेढ़ साल से कई तरह के प्रयास किये ,लेकिन ओडिशा लगातार इस मामले के लिए ट्रिब्यूनल के गठन की मांग पर अडिग रहा। इस विवाद को निपटाने की दिशा में तत्कालीन जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने 17 सितंबर 2016 को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक से पहले संबन्धित अधिकारियों की अलग-अलग बैठकों के दौरान विवाद सुलझाने के प्रयास किये। केंद्र सरकार ने विवाद निपटाने के प्रयास में विशेषज्ञ समितियों के अध्ययन कराने के अलावा दोनों राज्यों के बीच समझौता कराने की दिशा में 19 जनवरी 2017 को केंद्रीय जल आयोग के आयुक्त की अध्यक्षता में एक समाधान समिति का भी गठन किया, लेकिन इस समिति की बैठक में ओडिशा ने हिस्सा ही नहीं लिया, बल्कि पीएम मोदी और मंत्रालय को ट्रिब्यूनल गठन करने की मांग करते हुए इस समिति को अंतर राज्य नदी जल विवाद अधिनियम-1956 का उल्लंघन करार देते हुए मानने से ही इंकार कर दिया था, जिसके कारण समिति किसी नतीजे तक नहीं जा सकी। 
15Feb-2018

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