आधी से
ज्यादा रकम कानपुर में चमड़ा जल शोधन पर होगी खर्च
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राष्ट्रीय
गंगा स्वच्छ अभियान ‘नमामि गंगे’ परियोनाओं में बाधक बने कानपुर के चमड़ा उद्योग
से निकलने वाले गंदे और जहरील जल शोधन पर 2068.23 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे।
यूपी के अलावा बिहार व पश्चिम बंगाल में नमामि गंगे परियोजनाओं के लिए मिशन ने चार
हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

इलाहाबाद में 904 करोड़ करेगी सरकार
मंत्रालय
के अनुसार मिशन की कार्यसमिति ने इलाहाबाद में नैनी, सलारी, नुमायादही, राजापुर, पोनघाट,
पोडरा सीवरेज क्षेत्रों में सीवेज शोधन बुनियादी ढांचे के पुनर्वास और समेकन के लिए
हाईब्रिड एन्युईटी-पीपीपी मोड के अंतर्गत 904 करोड़ रुपए की एक परियोजना को मंजूरी
दी है। उपयुक्त कार्यान्वयन के लिए सभी एसटीपी और एसपीएस के लिए एक ऑन लाइन निगरानी
प्रणाली को भी मंजूरी दी गई है।
बिहार में सीवेज परियोजनाओं में संशोधन
बिहार में
बेगुसराय, हाजीपुर और मुंगेर में तीन सीवेज बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को क्रमश:
230.06 करोड़ रुपए, 305.18 करोड़ रुपए और 294.02 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत की संशोधित
मंजूरी दी गई है। इन परियोजनाओं में केन्द्र की हिस्सेदारी क्रमश: 161.04 करोड़ रुपए,
213.63 करोड़ रुपए और 205.81 करोड़ रुपए होगी।
बंगाल में पुनर्वास परियोजना मंजूर
पश्चिम बंगाल
में हाईब्रिड एन्युईटी मोड के अंतर्गत गार्डन रीच एसटीपी (57 एमएलडी) और केवड़ापुकुर
एसटीपी (50 एमएलडी) के लिए 15 वर्ष के संचालन और रख-रखाव के साथ पुनर्वास की एक परियोजना
को भी मंजूरी दी गई है। इस पर 165.16 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आएगी। केंद्र सरकार
पूंजीगत निवेश और 15 वर्ष संचालन तथा रख-रखाव करेगी।
जैव उपचारात्मक शोधन
मंत्रालय
के अनुसार बैठक में गंगा नदी में जाने वाले नालों के मूल स्थान/मूल स्थान से दूर
जैव उपचारात्मक शोधन की एक परियोजना को भी मंजूरी दी गई है, जिस पर 410 करोड़ रुपए
की लागत का अनुमान है। इन सभी परियोजनाओं में केंद्र सरकार पूंजीगत निवेश और 15 वर्ष
संचालन तथा रख-रखाव करेगी।
23Feb-2018
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