
मेक इन
इंडिया के तहत विकसित हुआ डिजाइन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पीएम मोदी
के महत्वपूर्ण ‘मेक इन इंडिया’ मिशन के तहत डिजाइन और विकसित किये गये अत्याधुनिक उच्च
शक्ति वाले दो रेल इंजनों को भारतीय रेल के बेड़े में शामिल कर लिया गया है।
रेल
मंत्रालय के अनुसार ज्यादा भरोसेमंद, आसान रखरखाव और उपलब्धता के साथ पहला डिजिटल के
रूप से पूर्ण सक्षम इन दोनों उच्च अश्वशक्ति के रेल इंजनों को मैसर्स जनरल इलेक्ट्रिक
के सहयोग से सार्वजनिक-निजी साझेदारी समझौते के अंतर्गत ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम
के तहत विकसित किया है। ये इंजन अत्याधुनिक इन्सुलेटेड-गेट बायपोलर ट्रांजिस्टर (आईजीबीटी)
प्रौद्योगिकी से लैस हैं, जिनके कारण इंजन की कुशलता बढ़ गई है। उच्च अश्वशक्ति के
इन दो रेल इंजनों को भारतीय रेल प्रणाली से जोड़ने की दिशा में लखनऊ में उत्तर रेलवे
के डीजल लोको शेड में एक समारोह के दौरान प्रतीकात्मक रूप से इंजनों की चाबी रेलवे
बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी को सौंपी है। इस मौके पर उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक
विश्वेश चौबे, प्रमुख मुख्य इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अजीत सिंह जांघू, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर मेकेनिकल इंजीनियरिंग
ट्रैक्शन रेलवे बोर्ड अनुपम शर्मा के अलावा जीई कम्पनी के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी
मौजूद रहे।
ये रेल इंजन की खासियतें
भारतीय
रेलवे के मेक इन इंडिया के तहत जीई कंपनी के सहयोग 13 हजारा करोड़ के कुल निवेश में
विकसित कराये गये उच्च अश्वशक्ति क्षमता वाले रेल इंजनों में 4 स्ट्रोक इंजन, 12 सिलेंडर,
06 ट्रेक्शन मोटर, एसी डुअल कैब लोकोमोटिव, लदान के लिए सुरक्षा उपाय, शौचालय सुविधा,
उन्नत कम्प्यूटर द्वारा नियंत्रित ब्रेक प्रणाली, इलेक्ट्रानिक फुइल इंजेक्शन प्रणाली,
कम खर्चीला इंजन, आईजीबीटी आधारित ट्रेक्शन तकनीक शामिल हैं। ये इंजन भारत के यूआईसी
उत्सर्जन नियम के अनुरूप हैं। वही ये आपदा के समय बचाव उपकरण से भी लैस हैं। अधिक भरोसे
और सुरक्षा के मद्देनजर भारतीय रेल अपने इंजनों के रखरखाव के लिए उच्च मानकों का पालन
करती है, जिसके संबंध में उसने उत्तर प्रदेश के रोजा और गुजरात के गांधीधाम में रखरखाव
सुविधाएं स्थापित की हैं।
एक हजार इंजन की होगी आपूर्ति
रेल
मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे को जीई कम्पनी लोकोमोटिव प्रौद्योगिकी प्रदान करती
आ रही है, जो भारतीय रेलवे के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी के रूप में वर्ष 2025 तक
1,000 ईधन-कुशल विकास श्रृंखला लोकोमोटिव (100 प्रतिवर्ष) की आपूर्ति करेगा। इन
इंजनों का इस्तेमाल ज्यादातर माल ढुलाई में किया जाएगा। इनमें 700 लोकोमोटिव 4500 अश्व
शक्ति डब्लूडीजी4जी और शेष 300 लोकोमोटिव 6000 हार्स पॉवर के होंगे। शुरूआत में 40
डीजल लोकोमोटिव को निर्माण जीई ईरी, पेन्सिलवेनिया संयुक्त राज्य अमेरिका में किया
जा रहा है जबकि शेष 960 डीजल लोकोमोटिव बिहार में सारण जिले के मरहौरा में एक नये संयुक्त
उद्यम के तहत निर्मित किये जायेंगे। गौरतलब है जीई द्वारा निर्मित पहला डीजल रेल इंजन
नम्बर 49001 भारतीय रेल के लिए अमेरिका से भेजा गया था। वह भारत में 11 अक्टूबर,
2017 को पहुंचा था और उसके बाद से उसका गहन परीक्षण शुरू हुआ।
24Feb-2018
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