मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

बंदरगाहों, जलमार्ग और तटों को मिलेगी तकनीकी मदद


गडकरी ने चेन्नई में रखी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र की आधारशिला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के बंदरगाहों के अलावा जलमार्ग और तटों के अत्याधुनिक विकास में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने आईआईटी चेन्नई में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र की आधारशिला रखी।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एनटीसीपीडब्ल्यू द्वारा इस राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र का निर्माण करने के लिए 70.53 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसमें बंदरगाहों व शिपिंग क्षेत्र को तकनीकी सहयोग मिलेगा। गडकरी की मौजूदगी में इस समारोह में आईआईटी चेन्नई और जहाजरानी मंत्रालय ने एक समझौता ज्ञापन पत्र पर हस्ताक्षर भी किए। मंत्रालय ने बताया कि इस केंद्र की स्थापना सरकार के प्रमुख कार्यक्रम सागरमाला के तहत किया जा रहा है। यह बंदरगाहों, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और अन्य संस्थानों के लिए इंजीनियरिंग व तकनीकी जानकारी तथा सहायता प्रदान करने के लिए मंत्रालय की एक तकनीकी शाखा के रूप में कार्य करेगी। मंत्रालय के अनुसार स्वदेशी सॉफ्टवेयर और प्रौद्योगिकी सेवा प्रदान करने वाला यह केंद्र सागर, तटीय और एस्ट्रिन फ्लो, तलछट परिवहन और मोर्फोडायनमिक्स,नेविगेशन और क्रियान्वयन, ड्रेजिंग और गाद, बंदरगाह और तटीय इंजीनियरिंग संरचनाओं और ब्रेकवाटर, स्वायत्त प्लेटफार्मों और वाहनों के प्रायोगिक, 2डी और 3डी मॉडलिंग के क्षेत्रों में व्यावहारिक अनुसंधान को जारी रखेगा। वहीं यह प्रवाह, सीएफडी मॉडलिंग, पतवार संबंधी कामों और महासागर नवीकरणीय ऊर्जा के हाइड्रोडायनामिक्स को लेकर पारस्परिक संवाद का काम करेगा।
मेक इन इंडिया की पहल
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि यह केंद्र सरकार की ‘मेक इन इंडिया’कार्यक्रम के लिए एक बड़ी कामयाबी होगी और इससे सागरमाला कार्यक्रम को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। इसमें विश्व स्तर के अत्याधुनिक केंद्र के रूप में तैयार की गई, एनटीसीपीडब्ल्यूसी नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों का केंद्र होगा और यह विदेशी संस्थानों पर हमारी निर्भरता को कम करेगा। इससे अनुसंधान की लागत बहुत कम हो जाएगी। साथ ही इससे पोर्ट और समुद्री क्षेत्र में काम करने के लिए लागत और समय की बचत होगी। यह तकनीकी दिशानिर्देशों, मानदंडों और पोर्ट संबंधी समस्याओं व समुद्री मसलों को मॉडल और सिमुलेशन के साथ रेखांकित करेगा। यह केंद्र न केवल नई तकनीक और नवाचारों को आगे बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि अपने सफल व्यावसायीकरण के लिए भी काम करेगा। यह जहाजरानी मंत्रालय में काम कर रहे लोगों के लिए सीखने के अवसर भी मुहैया कराएगा। उन्होने कहा कि भारतीय, वैश्विक बंदरगाह और समुद्री क्षेत्र के लिए उद्योग परामर्श परियोजनाओं के माध्यम से यह केंद्र तीन वर्षों में आत्मनिर्भर हो जाएगा। 
27Feb-2018

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