शनिवार, 30 दिसंबर 2017

बाढ़ व क्षरण से अब नहीं सिकुड़ेगा माजुली द्वीप



केंद्रीय मंत्री गडकरी ने रखी सुरक्षा कार्यो की आधारशिला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पूर्वोत्तर में बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने के लिए चलाई जा रही योजनाओं के तहत असम के माजुली द्वीप को बाढ़ और क्षरण से बचाने वाली परियोजना शुरू की गई है, जिसके लागू होने से माजुली द्वीप को सिकुडने बचाया जा सकेगा। 
केद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण, मंत्री नितिन गडकरी ने माजुली द्वीप की बाढ़ और क्षरण से बचाव के लिए प्रारंभ की गई विभिन्न परियोजनाओं के तहत ऐसी योजना की आधारशिला रखी है, जिसके लागू करने से माजुली द्वीप का सिकुड़ना बंद हो जाएगा। गडकरी ने उम्मीद जताई है कि इस सुरक्षा संबन्धी तकनीकी योजनाओं से ऐसी संभावना है कि जो जमीन पानी के अंदर जा चुकी है, वह भी अपने पूर्व स्वरूप धारण कर लें। इस परियोजना में एक उचित भूमि प्रबंधन प्रणाली के तहत माजुली की मुख्य भू‍मि से जोड़ा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के अनुरूप कार्य प्रारंभ हो जाएंगे और दो कार्य मौसमों में के आधार पर शुरू होंगे। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के चार घटक हैं, जिसके तहत माजुली के 27 किलोमीटर लम्‍बे तट पर तटबंधों और अवरोधों का निर्माण, 41 स्‍थलों पर आरसीसी स्‍क्रीन बिछाना, एक पायलट चैनल का निर्माण और बिरिनाबारी में नहर का निर्माण करना शामिल है।
निर्माण के बावजूद हुआ  नुकसान
मंत्रालय के अनुसर जल संसाधन मंत्रालय द्वारा गठित की गई विशेषज्ञों की एक समिति की सिफारिशों के आधार पर ब्रहमपुत्र बोर्ड ने बाढ़ और क्षरण से द्वीप को बचाने के लिए जनवरी गत 2004 से विभिन्न चरणों में सुरक्षा कार्य प्रारंभ किया था, जिनमें नदी किनारों पर तटबंध का निर्माण और सुदृढ़ीकरण, आरसीसी स्‍क्रीन को बिछाना, अवरोधों का निर्माण शामिल हैं। लेकिन इसके बावजूद वर्ष 2007 के मानसून में आई अप्रत्‍याशित बाढ़ की वजह से निचले माजुली में भूमि का अत्‍यधिक क्षरण हुआ है। ब्रह्मपुत्र बोर्ड द्वारा किये गये निर्माण कार्यों के बावजूद प्रभावित क्षेत्रों में क्षरण को रोका नहीं जा सका।  
तीन साल में हुआ 189 करोड़ का काम
मंत्रालय के अनुसार बाद ब्रह्मपुत्र बोर्ड ने वर्ष 2014 के बाद तीन साल यानि वर्ष 2017 तक कुल 189.07 करोड़ रुपये की धनराशि की लागत वाली विभिन्न योजनाओं को शुरू किया। इसके तहत पत्‍थरों से बनने वाले चार अवरोधों का निर्माण पूरा किया है, जिसमें सलमारा में भी अवरोध निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है। जबकि तटबंधों तथा आरसीसी अवरोधों का निर्माण और पांच ऊंचे प्‍लेटफार्मों का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और इसे जिला प्रशासन को सौंपा जा चुका है। गडकरी ने कहा कि ब्रह्मपुत्र बोर्ड के कार्यों से क्षरण प्रक्रिया रूक गई, लेकिन गाद जमा होने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई। सेटलाइट दृश्य के आधार पर माजुली द्वीप की भूमि का क्षेत्रफल 2004 में 502.21 वर्ग किलोमीटर था, जो नवंबर में 2016 में 524.29 वर्ग किलोमीटर हो गया। ब्रह्मपुत्र बोर्ड, जल संसाधन मंत्रलाय द्वारा गठित त‍कनीकी सलाहकार समिति की अनुशंसाओं के आधार पर कार्य करता है।

लगातार सिकुड रहा है द्वीप
माजुली द्वीप दक्षिण में विशाल ब्रह्मपुत्र नदी से तथा उत्तर में खेरकाटिया सूटी, लुइत सूटी और सुबनश्री नदियों से घिरा हुआ है और प्रत्‍येक वर्ष द्वीप पर बाढ़ आने तथा क्षरण होने का खतरा बना रहता है। 1914 में माजुली द्वीप का क्षेत्रफल 733.79 वर्ग किलोमीटर था, जो 2004 में 502.21 वर्ग किलोमीटर रह गया। 60 के दशक में असम सरकार ने तटबंधों का निर्माण किया, परंतु ये तटबंध द्वीप को आंशिक रूप से ही सुरक्षा दे पाए, जिसका परिणाम यह रहा कि यह प्रति वर्ष होने वाले क्षरण के कारण सिकुडता गया। 
30Dec-2017

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