सोमवार, 18 दिसंबर 2017

पूरा हुआ पानी में हवाई जहाज उतारने का सपना!

मुंबई में चौपाटी बीच पर समुद्र पर हुआ पहला ट्रायल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
भारत का देश में जमीन और पानी दोनों से उड़ान भरने तथा उतरने की क्षमता वाले एंफीबियन विमानों यानि सी-प्लेन के सपने को पूरा करते हुए पहले ट्रायल में मुंबई हवाई अड्डे से उड़ान भरते हुए सी-प्लेन चौपाटी बीच पर समुद्र में इसे उतारा गया।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन तथा जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार की देश में सी-प्लेन शुरू करने की योजना का शनिवार को पहला ट्रायल किया गया। इस ट्रायल में केंद्रीय नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू और जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी परीक्षण फ्लाइट में उड़ान भरी। केंद्र सरकार की किफायती विमान सेवा कंपनी स्पाइसजेट ने देश में एंफीबियन विमानों के परिचालन की तैयारी की है और इसके लिए जापान की सेटॉची होल्डिंग्स से कोडियेक क्वेस्ट विमानों का सौदा किया है। परीक्षण उड़ान भरने के बाद गडकरी ने कहा कि टर्मिनल पर सीमित निवेश से ही हवाई यात्रा की संभावना का द्वार सी-प्लेन से खुलता है। हर नदी सी-प्लेन के लिए हवाई पट्टी बन सकती है। इससे कम से कम समय में हवाई सेवा शुरू करनी संभव हो सकेगी। गडकरी ने बताया कि मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय सडक़ परिवहन राजमार्ग व जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी की पानी पर हवाई जहाज उतारने व उड़ान भरने की योजना को अंजाम देने के लिए भारतीय विमानन कंपनी स्पाईजेट द्वारा एक 16 सीटर विशेष हवाई  जहाज को जापान के सहयोग तैयार कराकर पहले ही भारत में लाया जा चुका था। गौरतलब है कि नागर विमान मंत्रालय ने वाटरड्रम या जलपत्तनों की पहचान और वहां एंम्फीबियन विमानों के परिचालन की संभावनाओं के अध्ययन के लिए अक्टूबर में तीन-चार टीमें बनायी थीं। लगभग 15 से 16 वाटरड्रमों की पहचान की गयी है जहां विमानों के परिचालन की संभावना का अध्ययन किया जाना है। टीमों में नागर विमानन महानिदेशालय के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार 300 मीटर की लंबाई वाले किसी भी जलाशय का इस्तेमाल हवाई-पट्टी के रूप में किया जा सकता है। जहाजरानी मंत्रालय सी-प्लेन के जरिये हवाई संपर्क मुहैया कराने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करने में हरसंभव योगदान देगा।

क्या है सी-प्लेन की योजना
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गत सोमवार को ही दिल्ली-मेरठ महामार्ग के निरीक्षण के दौरान बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए रूस के उन विमानों का जिक्र किया था तो कृत्रिम बारीश करते हैं। इसके लिए उन्होंने कहा था कि खासकर दिल्ली-एनसीआर में इस दिशा में वे दिल्ली सरकार से बातचीत करके ऐसी योजना बनाना चाह रहे हैं, जिसके बाद रूस से ऐसे विमान को लाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि ऐसी योजना के तहत गडकरी गोवा, वाराणसी, कोलकाता के अलावा आगरा, शिरडी में सी-प्लेन की संभावनाओं को तलाश रहे हैं। मंत्रालय का मानना है कि ऐसे जहाज जलमार्ग यातायात और हवाई यातायात दोनों सेवा देने में सक्षम हैं। इसके आलवा ऐसे जहाजों उपयोग मुख्य रूप से आपात स्थितियों में राहत-बचाव कार्यों, जंगलों में आग पर काबू पाने और समुद्री पर्यावरण की निगरानी में किया जा सकेगा।
10Dec-2017

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