पीएम मोदी
के मनमोहन की टिप्पणी का मामला
संसद में
चार दिन के अवकाश के बाद शुरू हुई बैठक के तहत राज्यसभा में बुधवार को भी
प्रतिपक्ष नेता गुलामनबी आजाद ने मनमोहन के प्रति टिप्पणी पर पीएम मोदी की माफी
मांगने का मुद्दा उठाया, इस पर सदन के नेता एवं केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली
ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की
देश के लिए प्रतिबद्धता को लेकर कोई सवाल नहीं उठा सकता है। इस बयान से संतुष्ट
नजर आए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वह सदन के नेता के बयान पर आभार व्यक्त
करते हैं। आजाद ने भी सदन में कहा कि चुनाव के दौरान यदि किसी ने प्रधानमंत्री की गरिमा
गिराने जैसा कोई बयान उनकी पार्टी उस बयान से खुद को संबद्ध नहीं करती है। और नहीं
कांग्रेस को प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई भी बयान स्वीकार है। जेटली और आजाद के बयानों
के बाद सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलती नजर आई। गौरतलब है कि इस सत्र के
दौरान इससे पहले इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का दोनों सदनों में हंगामा होता रहा
और कार्यवाही बाधित होती रही है।
नए
मुद्दों पर हंगामे के बावजूद हुा सदन में कामकाज
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के
शीतकालीन सत्र में शुरूआती दिन से ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी के कथित बयान को लेकर चल रहा गतिरोध बुधवार को टूट गया है। सरकार की
ओर से इस मुद्दे पर आए बयान के बाद हालांकि दोनों सदनों में अन्य मुद्दों को लेकर
विपक्षी दलों ने हंगामा किया, लेकिन संसद की कार्यवाही पटरी पर आ गई और कामकाज भी
शुरू हो गया।

हेगड़े के बयान पर हंगामा
संसद के
दोनों सदनों में बुधवार को केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगडे के सेक्युलरिज्म
संबन्धी बयान को लेकर भी विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। लोकसभा में लगातार हंगामे के
कारण सदन की कार्यवाही को दो बार के स्थगन के बाद दोपहर सवा दो बजे आधे घंटे के लिए
स्थगित करना पड़ा दिया गया। लोकसभा कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मुद्दा
उठाते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री ने संविधान को बदलने की बात कही है और साथ ही कहा
है कि भाजपा संविधान बदलने के लिए ही सत्ता में आयी है। हालांकि संसदीय मामलों के मंत्री
अनंत कुमार ने इस मामले में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि भाजपा और एनडीए की संविधान
में अटूट श्रद्धा है और वह संविधान के सामने नतमस्तक है। राज्यसभा में हेगडे के
बयान पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री विजय
गोयल ने दोहराया कि हम संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं, सरकार हेगड़े के विचारों का
समर्थन नहीं करती।
जाधव के मुद्दे पर दोनों सदन गरमाए
संसद की
बुधवार को कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा हुआ। लोकसभा में पाकिस्तान
में कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के बीच ही शिवसेना के साथ कुछ
भाजपा सदस्यों ने भी कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी के साथ पाकिस्तान में दुर्व्यवहार
की खबरों की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिये। सदन
में इतना हंगा बढ़ गया कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भरोसा देना पड़ा कि वह कल यानी
गुरुवार को सदन में अपना बयान देंगी। हंगामे के कारण सदन की बैठक 12 बजे तक के लिए
स्थगित कर दी गई। उधर राज्यसभा में भी पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण
जाधव को लेकर समाजवादी पार्टी के सांसाद नरेश अग्रवाल के विवादित बयान बयान पर
हंगामा शुरू हो गया। अग्रवाल ने कहा है कि पाकिस्तान सरकार जाधव को एक आतंकवादी मानती
है इसलिए उसके साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार कर रही है। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम
स्वामी ने नरेश अग्रवाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि संसदीय कार्यमंत्री
को सदन में अग्रवाल के खिलाफ प्रस्ताव लाना चाहिए और एक कमेटी बनाकर उनकी सदस्यता की
समीक्षा करना चाहिए। हालांकि नरेश अग्रवाल ने बाद में इस पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने
ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।
आज पेश होगा तीन तलाक पर विधेयक
केंद्र
सरकार लोकसभा में कल गुरुवार को तीन तलाक के चलन को समाप्त करने के प्रस्ताव वाला ‘मुस्लिम
महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को पेश करेगी। इस विधेयक का विपक्ष द्वारा
किये जा रहे विरोध के मद्देनजर भाजपा ने अपने सभी सांसदों को कल और शुक्रवार को लोकसभा
में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया गया है। गौरतलब है कि इस विधेयक को गृह मंत्री
राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाले अंतर मंत्रीस्तरीय समूह ने तैयार किया है जिसमें मौखिक,
लिखित या एसएमएस या व्हाट्सएप के जरिये किसी भी रूप में तीन तलाक या तलाक ए बिद्दत
को अवैध करार देने तथा पति को तीन साल के कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।
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दिल्ली में नहीं हो सकेगा
अनाधिकृत निर्माण
लोकसभा
में पारित हुआ विधेयक में दूसरा
संशोधन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किया गया दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र विधि
(विशेष उपबंध) दूसरा संशोधन विधेयक पारित हो गया है। इस विधेयक में अतिक्रमण एवं अनधिकृत
निर्माण के संबंध में दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षा को 31 दिसंबर 2020 तक जारी रखने
का प्रस्ताव किया गया है।
लोकसभा
में बुधवार को इस विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के
मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि दिल्ली में अव्यवस्था की स्थिति से बचने के लिए
इस विधेयक का पारित होना जरूरी है, जिसमें वर्ष 2014 में लाए गये विधेयक की तरह ही
रेहड़ी-पटरी वालों के प्रावधान को हटाया गया है, क्योंकि इनके लिए अलग कानून है। पुरी
ने दिल्ली में अनधिकृत कालोनियों और वाणिज्यिक गतिविधियों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय
की एक टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों और हम सभी को अपने जिम्मेदारी
निभानी होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र दिल्ली सरकार, डीडीए तथा दूसरी सभी संबंधित एजेंसियों
के साथ संपर्क करेगी ताकि दिल्ली में अधिकृत निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सके। मंत्री
के चर्चा का जवाब देने के बाद इस विधेयक को सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे
दी। इसके तहत दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र विधि(विशेष उपबंध) दूसरा अधिनियम
2011 के उपबंधों का 1 जनवरी 2018 से 31 जनवरी 2020 तक तीन वर्ष के लिये विस्तार करना
आवश्यक है। यह विधेयक इसी मकसद से लाया गया है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
चर्चा के
दौरान कांग्रेस के सदस्यों पर निशाना साधते हुए पुरी ने कहा कि कांग्रेस कई वर्षों
तक दिल्ली और केंद्र की सरकार में रही, लेकिन उसने अव्यवस्था की इस स्थिति को दूर नहीं
किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया है कि दिल्ली
में अनधिकृत निर्माण से जुड़ा पूरा ब्यौरा तैयार करने में उसे दो साल का समय लगेगा।
क्या है विधेयक के प्रावधान
इस विधेयक
में प्रस्ताव किया गया है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र में अनधिकृत विकास
के कुछ रूपों की दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षा जारी रखने के लिये 2011 के अधिनियम की
विधि मान्यता की अवधि को 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। इसके तहत
सरकार, शहरी स्थानीय निकायों और इससे जुड़े अन्य संगठनों को अनधिकृत विकासों के संबंध
में योजना के सुव्यवस्थित कार्यान्वयन के लिये नीतियों, नियमों और रणनीतियों के लिये
संतुलित मत बनाने का प्रावधान किया गया है। इस विधेयक में संशोधन करने के कारण और उद्देश्यों
में कहा गया है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र में पिछले कई वर्षो में
असाधारण रूप से वृद्धि दर्ज की गई है, जिसके कारण आधारभूत संरचना और संसाधनों पर अत्यधिक
दबाव पड़ रहा है। दिल्ली में आवास, वाणिज्य स्थलों और अन्य सुविधाओं के लिये सतत रूप
से मांग में बढ़ोतरी के अलावा सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण, झुग्गी झोपड़ियों में बढ़ोतरी,
अनधिकृत निर्माण में वृद्धि, आवासीय क्षेत्रों का वाणिज्यिक उपयोग, आवास की अपर्याप्त
उपलब्धता की समस्याएं उत्पन्न हुई हैं।
28Dec-2017
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