अंतर्राष्ट्रीय
सम्मेलन में शामिल होंगे शोधपत्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
गिरते भूजल के स्तर को सुधारने के लिए केंद्र सरकार विदेशी विशेषज्ञों के साथ मंथन
करके रोडमैप तैयार करने के प्रयास में हैं। इस मुद्दे पर मंथन करने के लिए भारत की
मेजबानी में यहां 11 दिसंबर से एक तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होगा, जिसमें
15 से ज्यादा देशों के विशेषज्ञ प्रतिनिधियों द्वारा हिस्सेदारी की जाएगी।
केंद्रीय
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार देश में भूजल के मुद्दों को लेकर ‘ग्राउंड वॉटर विज़न
2030- जल सुरक्षा, चुनौतियां और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय
सम्मेलन 11 से 13 दिसंबर 2017 तक आयोजित किया जा रहा है। जल संसाधन मंत्रालय
द्वारा केंद्रीय भूजल बोर्ड, नेशनल इंस्टीट्यूट रुड़की के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में 15 से ज्यादा देशों के
प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस सम्मेलन में 250 शोध पत्रों के अलावा
भूजल संबन्धी 32 मूलभूत दस्तावेज प्रस्तुत किया जाएगा, जिनके आधार पर गिरते भूजल
स्तर को सुधारने के उपायों पर विचार विमर्श होगा। सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय जल
संसाधन एवं सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी करेंगे, जिसमें केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता
मंत्री सुश्री उमा भारती, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिक मंत्री डा. हर्षवर्धन
के अलावा केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डा. सत्यपाल सिंह आदि भी शामिल
रहेंगे। इस सम्मेलन के दौरान देश में पानी के इस्तेमाल और बदलते जलवायु परिदृश्य के
अंतर्गत भू-जल की वर्तमान स्थिति और उसके प्रबंधन की चुनौतियों का जायजा लिया जाएगा
और जल संबन्धी प्रमुख ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होगी। देश में जल संसाधनों से जुड़े
विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहक्रियाशील नीति विकल्पों पर भी गौर किया जाएगा और
2030 के विकास लक्ष्यों के लिए चुनौतियों को दूर करने के संबंध में एक रोड मैप तैयार
किया जाएगा।
देश में लगातार गिर रहा है भूजल
मंत्रालय
के अनुसार यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश में पानी का परिदृश्य, खासतौर
से भू-जल परिदृश्य दिनों दिन बदल रहा है। पिछले दशकों के दौरान देश में भू-जल का इस्तेमाल
कई गुना बढ़ा है और आज गांवों में 80 प्रतिशत घरेलू जरूरतें, सिंचाई के पानी की 65
प्रतिशत जरूरतें, औद्योगिक एवं शहर की 50 प्रतिशत जल की जरूरतों का स्रोत हमारे भू-जल
संसाधन हैं। भू-जल के दोहन से पंजाब, बुंदेलखंड और राजस्थान सहित देश के अन्य प्रमुख
क्षेत्रों में कृषि कार्यों के लिए खतरा पैदा हो रहा है, जिससे भविष्य में खाद्य सुरक्षा
के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। वहीं भारी वर्षा होने की स्थिति में देश में भू-जल
के फिर से भरने की स्थिति में बदलाव आ सकता है। भू-जल के अत्याधिक दोहन के कारण अनेक
इलाकों में भू-जल की गुणवत्ता प्रभावित होने लगी है और इसमें आर्सनिक जैसे तत्व पाए
जाने लगे हैं।
09Dec-2017
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