सरकार का
ड्रिप व पाईप से सिंचाई पर बल
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
अब जल संरक्षण की दिशा में सरकार अब बिजली सर्किट की तर्ज पर जल सर्किटों को
विकसित करेगी। वहीं देश में जल संकट से निपटने की दिशा में नदियों को आपस में
जोड़ने के अलावा बैराजों, बांधों को मजबूत बनाने के साथ ड्रिप और पाईप के जरिए
सिंचाई करने पर बल देगी।
यहां
मंगलवार को ‘गंगा जल में परिवर्तन की बहुमूल्यता’ विषय पर जल संसाधन मंत्रालय के राष्ट्रीय
स्वच्छ गंगा मिशन के सहयोग से गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्ययन केंद्र आईआईटी कानपुर
द्वारा आयोजित चार दिवसीय ‘भारत जल प्रभाव’ सम्मेलन शुरू हुआ। इस सम्मेलन में
बोलते हुए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने देश
में नदी संपर्क, बैराजों, बांधों, रबड़ के बांधों के निर्माण, ड्रिप और पाईप से सिंचाई
की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस देश में बेहतर जल संरक्षण के लिए बिजली सर्किट
की तर्ज पर जल सर्किट विकसित करने की योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। गडकरी ने कहा
कि ऐसी योजनाओं के जरिए उचित जल प्रबंधन किये बिना केंद्र सरकार के 2022 तक किसानों
की आय दुगुना करने के लक्ष्य को हासिल नहीं की जा सकेगा। गडकरी ने कहा कि विदेशी
तकनीक की तर्ज पर ड्रिप और पाइप के जरिए सिंचाई शुरू करने से पानी की बर्बादी कम होगी
और यह किसानों के लिए किफायती होगी। ऐसी तकनीकों को अपनाने के कारण नदी संपर्क कार्यक्रम
से तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जल
की समस्या में कमी आएगी। सम्मेलन के दौरान एकीकृत जल संसाधनों के प्रबंधन मॉडल को
अपनाने की दिशा में बढ़ने के लिए जल क्षेत्र से जुड़े बड़े और छोटे मुद्दों पर चर्चा
होगी। सम्मेलन में इस मौके पर गंगा नदी बेसिन प्रबंधन और अध्ययन केंद्र द्वारा तैयार
‘विजन गंगा’ शीर्षक के दृष्टि पत्र का भी विमोचन किया गया।
उमा का नमामि गंगे मोह
केंद्रीय पेयजल
और स्वच्छता मंत्री सुश्री उमा भारती ने कहा कि ‘अविरल और निर्मल गंगा’ के तहत
नमामि गंगे कार्यक्रम के लक्ष्य को हासिल करने में सरकार के अलावा आम जन की संकल्प
शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चर्चा काफी हो गई हैं और यह समय कार्य
करने तथा परिणामा हासिल करने का है। भारती ने कहा कि वे चाहती हैं कि नमामि गंगे
के तहत स्वच्छ गंगा से संबंधित सभी परियोजनाएं अक्टूबर 2018 तक पूरी तरह से शुरू हो
जाए।
गिरते भूजल गंभीर समस्या
केंद्रीय जल
संसाधन मंत्रालय में सचिव नवनियुक्त सचिव यू पी सिंह ने देश के कई क्षेत्रों में भू-जल
स्तर में कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रीय जलदायी स्तर तलाश कार्यक्रम
(नेशनल एक्विफर मैपिंग प्रोग्राम) के तहत करवाए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि भू-जल
स्तर कई क्षेत्रों में गंभीर रूप से निम्न स्तर पर पहुंच चुका है। प्रति व्यक्ति
जल की उपलब्धता भी कम हो रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि जल सरंक्षण के
लिए हो रहे मंथन सत्र में कुछ ठोस सुझाव और कार्य योजना सामने आएगी जिससे जल संसाधनों
के संरक्षण एवं गंगा की स्वच्छता के लिए निश्चित रणनीति तैयार की जाएगी।
06Dec-2017
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