केंद्र सरकार
पर बढ़ा कामकाज का बोझ हटा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के
शीतकालीन सत्र में पीएम से माफी के मुद्दे की भेंट चढ़ती आ रही दोनों सदनों की
कार्यवाही के कारण सरकार पर कामकाज का बोझ बढ़ने है। हालांकि सरकार और विपक्ष के
बीच इस मुद्दे पर बने गतिरोध के कल बुधवार को समाप्त होने के आसार है, लेकिन
कांग्रेस समते विपक्षी दलों के तेवर मोदी सरकार के प्रति आक्रमक नजर आ रहे हैं।
केंद्र की
मोदी सरकार गत 15 दिसंबर से आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र में अभी तक अपेक्षा के
अनुरूप महत्वपूर्ण विधेयकों और सरकारी कामकाज पर आगे नहीं बढ़ सकी है। पिछले
सप्ताह एक दिन ही ऐसा रहा जब दोनों सदनों में कामकाज हुआ और दोनों सदनों में विधेयक
भी पारित किये गये। पिछले सप्ताह सोमवार के इस दिन को छोड़कर अभी तक विपक्ष खासकर
कांग्रेस के सरकार के प्रति आक्रमक तेवरों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन पर की गई
टिप्पणी को लेकर कांग्रेस लगातार संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी से माफी मांगने की मांग करते हुए हंगामा करती आ रही है। लोकसभा में तो इस शोर
शराबे के बीच सरकार विधेयक पेश करती आ रही है, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस के
हंगामे के सामने अभी तक कोई खास कामकाज सिरे नहीं चढ़ पाया है। यहां तक कि पिछले
सप्ताह मंगलवार को एक सांसद के रूप में पहली बार अल्पकालिक चर्चा में
विश्वप्रसिद्ध क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भी कांग्रेस ने बोलने से वंचित कर दिया
था। सरकार और विपक्ष के राज्यसभा में बढ़ते गतिरोध को खत्म करने के लिए सभापति
वेंकैया नायडू ने एक समिति बनाई थी, जिसकी विपक्षी दलों के साथ कई दौर की बातचीत
हो चुकी है और सूत्रों के अनुसार यह बातचीत आपसी सहमति के नजदीक है, जिसके कारण
संभावना है कि कल बुधवार से शुरू होने वाली संसद की कार्यवाही बिना किसी गतिरोध के
चल सकती है। हालांकि कांग्रेस के एक नेता की माने तो जब तक पीएम मोदी पूर्ववर्ती
पीएम मनमोहन के प्रति की गई टिप्पणी को वापस या खेद नहीं जताते उनकी पार्टी का
संसद में विरोध जारी रहेगा। यदि ऐसी स्थिति बनी रही तो केंद्र सरकार पर संसद में
कामकाज का बोझ बढ़ना तय है।
तीन तलाक पर विधेयक चुनौती
ससंद में कल
से आरंभ होने वाली कार्यवाही के एजेंडे में सरकार को तीन तलाक पर कानून बनाने वाला
विधेयक भी पेश करना है, जिसके विरोध में विपक्षी दलों में खेमाबंदी भी नजर आ रही
है। कुछ दल विधेयक में तीन तलाक के दोषियों की सजा के प्रावधान पर बदलाव की मांग भी
कर रहे हैँ। समाजवादी पार्टी इस विधेयक पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत
सभी पक्षों से बातचीत करने पर बल दे रही है। जबकि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के आदेश
का हवाला देकर गैरकानूनी करार दिये गये तीन तलाक में ऐसे नए कानूनी प्रावधान करने
का विरोध कर रही है। ऐसे में तीन तलाक पर इस विधेयक को पारित कराना केंद्र सरकार
के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार एफआरडीआई बिल पर ज्वॉइंट कमेटी
की रिपोर्ट के बावजूद चौतरफा हो रहे विरोध को देखते हुए सरकार इसे इस सत्र में
ठंडे बस्ते में डाल सकती है।
संसद में आज छह विधेयक
संसद की
आगे की कार्यवाही में कल बुधवार के एजेंडे में लोकसभा व राज्यसभा में तीन-तीन
विधेयक पेश किये जाने हैं। ऐजेंडे के मुताबिक लोकसभा में माल और सेवा कर(राज्यों को
प्रतिकर)संशोधन विधेयक, सरकारी स्थान (अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली) संशोधन विधेयक तथा प्राचीन संस्मारक
तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष (संशोधन) विधेयक पेश किये जाने हैं। जबकि राज्यसभा
में भारतीय वन (संशोधन) विधेयक, भारतीय पेट्रोलियम और ऊर्जा संस्थान विधेयक तथा
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (संशोधन) विधेयक पेश किये जाने हैं। इससे
पहले उच्च सदन में वन विधेयक पर राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश को विधेयक में
बदलने का प्रस्ताव पेश होगा। दोनों सदनों में विधेयकों के अलावा कई अन्य
महत्वपूर्ण सरकारी कामकाज और मुद्दों पर चर्चा भी एजेंडा का हिस्सा होंगे।
27DEc-2017
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