जीएसटी के दायरे में हो सकते हैं पेट्रोलियम उत्पाद: जेटली
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के
शीतकालीन सत्र में कांग्रेस ने मनमोहन के प्रति टिप्पणी पर पीएम मोदी से माफी की
मांग को लेकर हंगामा करने के साथ कई अन्य मामले भी दोनों सदनों में उठाए। इस
हंगामे के बावजूद दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से चलती नजर आई और दोनों
सदनों में विधेयक पेश होने के साथ अन्य कामकाज भी हुआ।
राज्यसभा
में मंगलवार को भी कांग्रेस सदस्यों ने मनमोहन सिंह के मुद्दे को उठाते हुए पीएम मोदी
से माफी की मांग पर हंगामा किया, लेकिन सभापति एम. वेंकैया नायडू की पहल पर बाद
में शून्यकाल और प्रश्नकाल के अलावा शाम तक कामकाज हुआ। राज्यसभा में कांग्रेस नेता
गुलाम नबी आजाद ने पीएम से माफी मांगने की बात को दोहराया। इसके अलावा राज्यसभा में
दागी नेताओं पर स्पेशल कोर्ट के गठन, पेट्रोलियम उत्पाद को जीएसटी के दायरे में लाने
तथा किसानों की कर्जमाफी जैसे अन्य मुद्दे भी विपक्षी दलों ने उठाए। उच्च सदनप में
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने जीएसटी का मुद्दा उठाते हुए सवाल किया कि जब केंद्र समेत
देश के 19 राज्यों में भाजपा सत्ता में है तब जीएसटी के तहत पेट्रोलियम उत्पादों
को लाने से उन्हें कौन रोक रहा है? जीएसटी परिषद इस विषय पर कब अपने विचार देगी। इसके
जवाब में अरुण जेटली ने कहा कि हम पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने के पक्ष
में हैं। हम राज्यों की ओर से प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं और उम्मीद है कि
जल्द या देर से राज्य इस पर सहमत हो जाएंगे।
दागी नेताओं पर विशेष कोर्ट पर
हंगामा
राज्यसभा
में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने दागी नेताओं पर स्पेशल कोर्ट के गठन का मुद्दा उठाया
और कहा कि सरकार विशेष अदालतों के गठन के लिए समुचित फंड का इंतजाम करना सुनिश्चित
करे, ताकि जब तक ट्रायल न हो जाए तब तक लोग लंबे समय तक के लिए जेल में कैदी बन कर
न रहे। कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कानून सभी के लिए होना चाहिए, विधायिका
को अकेले नहीं रहना चाहिए। सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद
14 में कहा गया है कि आम लोग हों या निर्वाचित प्रतिनिधि कानून सबके लिए बराबर है।
ऐसे में राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालतें कैसे
गठित की जा सकती हैं। ऐसी स्थिति में जब आतंकियों या खूंखार अपराधियों के लिए भी सुनवाई
को विशेष अदालतें नहीं हैं। उच्च सदन में कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने किसानों
की खुदकुशी का मामला उठाते हुए इसे रोके जाने के लिए वित्तीय मदद की मांग की। उन्होंने
कहा कि मामले का समाधान इसी साल हो जाना चाहिए। जिसके जवाब में कांग्रेस की ओर से शोर-शराबे
के बीच केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मामले के समाधान के लिए वह विपक्ष के
नेताओं समेत अपने सभी सहयोगियों को आमंत्रित करेंगे।
ऐसे दूर हुआ गतिरोध
इस दौरान कांग्रेस
और भाजपा सदस्यों के बीच तकरार की स्थिति बन गयी। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने दोनों पक्षों से शांति बनाए रखने की अपील करते
हुए गतिरोध को दूर करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने सुबह विभिन्न दलों के नेताओं
की हुई अनौपचारिक बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर सदन में बने
गतिरोध को दूर करने की पहल की है। सदन चले इसके लिए सदस्यों के सहयोग की जरूरत है।
नायडू ने कहा कि सहमति बनी है कि सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष बातचीत करेंगे ताकि
कोई समझौता हो सके और सदन का जरूरी समय बर्बाद नहीं हो। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह से मुलाकात होने का भी जिक्र किया। आजाद ने सुझाव दिया कि बैठक में विभिन्न
दलों के नेताओं को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके बाद सदन के नेता और वित्त मंत्री
जेटली ने घोषणा की कि वह जल्दी ही बैठक बुलाएंगे।
लोस से कांग्रेस का वाकआउट
राज्यसभा
के अलावा लोकसभा में भी मंगलवार को मनमोहन सिंह पर पीएम मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों
को लेकर कांग्रेस सांसदों ने लोकसभा में काफी हंगामा किया। मोदी की ओर से माफी की मांग
करते हुए कांग्रेस सांसद आसन में पहुंच गए और हंगामा किया। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा
महाजन ने इस हंगामे को लेकर नाराजगी भी जाहिर की। कांग्रेस सांसद पीएम मोदी से इस
मुद्दे पर माफी की मांग करते हुए वॉकआउट करके सदन से बाहर चले गये। लोकसभा में
राजद सांसद जयप्रकाश यादव ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर राजद प्रमुख लालू यादव की
सुरक्षा में कटौती का मामला उठाऔर इसके अलावा लोकसभा में एफआरडीआई बिल की वापसी की
मांग जैसे कई मुद्दे उठाए गये।
टीएमसी का प्रदर्शन
तृणमूल कांग्रेस
के तमाम नेताओं ने संसद में महात्मा गांधी की मूर्ति के पास विरोध प्रदर्शन किया।
इन्होंने मांग रखी है कि फिनांशल रिज्योलूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस विधेयक को वापस
लिया जाए। इस साल अगस्त में संसद में पेश किया गया वित्तीय संकल्प और जमा बीमा (एफआरडीआई)
विधेयक 2017 सुर्खियां बना हुआ है और इसकी वजह इसका विवादास्पद बेल-इन क्लॉज है।
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रास: सड़क सुरक्षा बिल
पारित कराने की मांग
एनजीओ ने
सभापति वेंकैया नायडू को लिखा पत्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सड़क
सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली कंज्यूमर वॉयस समेत कई निजी संस्थाओं ने संसद में
अटके नए मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक पर चिंता जताई है और राज्यसभा के सभापति व
प्रवर समिति और केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर इस विधेयक को पारित कराने की
मांग की है।
देश में प्रमुख
उपभोक्ता संस्थानों खासकर सड़क सुरक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था
कंज्यूमर वॉयस के अलावा सिटीजन कंजयूमर एंड सिविल एक्शन ग्रुप, कंज्यूमर यूनिटी
एंड ट्रस्ट सोसायटी तथा सामाजिक संस्था परिसर आदि ने संयुक्त रूप से राज्यसभा के
सभापति एम. वेंकैया नायडू को एक पत्र भेजकर इस बात पर चिंता जताई है कि नए मोटर
वाहन विधेयक का अध्ययन करने वाली राज्यसभा की प्रवर समिति ने समय सीमा समाप्त होने
के बावजूद सदन में अपनी रिपोर्ट पेश नहीं की है। इस मामले में सभापति से हस्तक्षेप
करने की मांग करते हुए इस विधेयक को मौजूदा संसद सत्र में पारित कराने पर बल दिया
है। इन संस्थाओं ने 24 सदस्यीय प्रवर समिति के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे,
उपसभापति पीजे कुरियन, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व राज्य मंत्री
मनसुख मंडाविया को भी इस संबन्ध में पत्र लिखा है और इससे पहले कंज्यूमर वॉयस के
सीआओ असीम सान्याल सभी दलों को पत्र लिखकर इस विधेयक को पारित कराने की मांग कर
चुके हैं।
नया कानून जरूरी
राज्यसभा
को संबोधित पत्र में इन संस्थाओं ने नए मोटर वाहन संशोधन विधेयक को पारित करने की
मांग करते हुए तर्क दिया है कि देश में हर साल सड़क हादसों में लाखों लोगों की
मौते हो रही हैं, जिसका कारण यातायात नियमों का उल्लंघन सामने आ रहा है। नए कानून
में सख्त प्रावधान करने वाले इस विधेयक के पास होने से सड़क हादसों पर अंकुश लगना
जरूरी है, जिसमें सजा और जुर्माने के साथ कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो देश
की परिवहन व्यवस्था को दुरस्त करने का सबब बनेंगे। इस पत्र में देश में हो रहे
सड़क हादसों के आंकड़ों का भी जिक्र किया गया है, जिसका असर देश की जीडीपी पर भी
पड़ रहा है। देश भर में एनजीओ और सड़क सुरक्षा
विशेषज्ञों ने विलंब के बिना विधेयक पारित करने की मांग की है। राज्य सभा के सभापति
वेंकैया नायडू को भेजे गये इस संयुक्त पत्र में सुरक्षा संगठनों की समय समय पर आई रिपोर्ट
का हवाला दिया है, जो भारत के लिए बेहद चिंतनीय है। इसलिए जल्द से जल्द इस विधेयक
को पारित करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट भी सख्त
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में सख्त रही है और
केंद्र सरकार को दिशानिर्देश देने के अलावा सड़क सुरक्षा पर समिति भी गठित कर चुकी
है, लेकिन राजनीतिक दलों ने भी तक इस विधेयक पर आम सहमति नहीं बनाई, जो बेहद चिंता
का विषय है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी लगातार इस विधेयक पर विपक्षी दलों को
सुप्रीम कोर्ट और सभी राज्यो के परिवहन मंत्रियों की आमराय का हवाला दे चुके हैं।
इसी आधार पर सरकार 2020 तक देश में हो रहे सड़क हादसों को आधा करने का लक्ष्य तय
कर चुकी है। 20Dec-2017
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