
पटरी से
उतरी राज्यसभा की कार्यवाही बुधवार तक स्थगित
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद के शीतकालीन
सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेकर की
गई टिप्पणी पर माफी की मांग को लेकर कांग्रेस पार्टी का जारी गतिरोध थमने का नाम
नहीं ले रहा है। संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस लोकसभा की अपेक्षा राज्यसभा के
कामकाज में बाधक बना हुआ है। इस हंगामे के कारण शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही
शुरू होने के कुछ देर बाद ही आगामी बुधवार 27 दिसंबर की सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दी
गई। जबकि लोकसभा में हंगामे के बावजूद कामकाज होता रहा।
उच्च सदन
में शुक्रवार को जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई और सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक
दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये। इसके बाद जैसे ही सभापति ने शून्यकाल शुरू करने का
ऐलान किया तो कांग्रेस के सदस्यों ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर गुजरात चुनाव
प्रचार के दौरान दिए गये बयानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी मांगने को
लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। जबकि नायडू ने कहा कि शून्यकाल के लिए कई सदस्यों के नोटिस
मिले हैं और उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए। इसके बावजूद सदन में
प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा इस मुद्दे पर बने गतिरोध दूर होने तक
कार्यवाही स्थगित रखने की मांग करते नजर आए। वहीं कांग्रेस के अन्य सदस्य पीएम
मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर हंगामा करते हुए आसन के नजदीक आए, जिसके कारण सदन की
कार्यवाही को अगले सप्ताह बुधवार 27 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले राज्यसभा
में सभापति वेंकैया नायडू ने विपक्ष को साफ तौर पर फिर कहा कि राज्यसभा में कुछ नहीं
हुआ है, इसलिए कोई भी माफी मांगने नहीं जा रहा है। इसके बावजूद कांग्रेस ने नियम
267 के तहत कांग्रेस पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर पीएम नरेंद्र मोदी
द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर राज्यसभा को स्थगित करने का नोटिस दिया, जो खारिज कर
दिया गया।
सुलह के प्रयास विफल
सदन में
शुक्रवार को संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सदन में जारी इस गतिरोध
दूर करने के लिए बनायी गई समिति की अब तक दो-तीन बैठकें हो चुकी है और गतिरोध को दूर
करने की कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि सदन चलने दिया जाना चाहिए क्योंकि गतिरोध का
कोई न कोई समाधान निकल लिया जाएगा। गौरतलब है कि एक दिन पहले कांग्रेस के हंगामे ने
गुरुवार को सचिन तेंदुलकर को भी बोलने नहीं दिया गया था और राज्यसभा में 2जी स्पेक्ट्रम
और पीएम मोदी के माफी मांगने का मुद्दे पर कांग्रेस के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही
पहले 2 बजे तक बाद में शुक्रवार 11 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
दूसरी ओर
लोकसभा में भी इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस का हंगामा नहीं थम रहा है। शुक्रवार को लोकसभा
में कांग्रेस के हंगामे के बावजूद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने प्रश्नकाल व शून्यकाल
और अन्य कामकाज को जारी रखा। इससे पहले कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा
महाजन ने दुबई में हाल ही में आयोजित एशियाई युवा पैरालम्पिक खेलों में भारतीय दल की
सफलता की जानकारी सदस्यों को दी और सदन की ओर से दल के खिलाड़यिों को बधाई दी। इसके
बाद अध्यक्ष ने जैसे ही प्रश्नकाल शुरू करने की अनुमति दी, सदन में कांग्रेस के नेता
मल्लिकार्जुन खडगे ने कुछ कहने की अनुमति मांगी। महाजन ने अनुमति नहीं दी। इसके
बाद पिछले दिनो की तरह कांग्रेस के सदस्य अध्यक्ष के आसन के पास पहुंच गये और ‘प्रधानमंत्री
माफी मांगो’ जैसे नारे लगाकर हंगामा करने लगे, लेकिन स्पीकर महाजन ने सदन में प्रश्नकाल
जारी रखा, जिसके बाद शून्यकाल भी चलता रहा।
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राज्यसभा में फिर उठा
सांसदों की वेतन वृद्धि का मुद्दा
सपा के
नरेश अग्रवाल हर सत्र में कर रहे हैं वेतन बढ़ाने की मांग
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
राज्यसभा
में कांग्रेस के हंगामे के बीच कार्यवाही स्थगन होने से पूर्व सपा सदस्य नरेश
अग्रवाल ने एक बार फिर से सांसदों और विधायकों के वेतन वृद्धि का मुद्दा उठाया और
संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग की।
सदन की
कार्यवाही शुरू होने के बाद कांग्रेस सदस्यों के शोरशराबे के बीच ही शून्यकाल के
दौरान सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने व्यवस्था के प्रश्न के तहत यह मुद्दा उठाते हुए
कहा कि सरकार ने न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि के लिए कल एक विधेयक लोकसभा में पेश
किया गया, जिसका हम स्वागत करते हैं। लेकिन सांसदों और विधायकों के वेतन में वृद्धि
वाला मामला लगातार विलंब होता जा रहा है, जिसमें संसद की समिति ने वेतन एवं भत्तों
में वृद्धि करने की सिफारिश की थी। अग्रवाल ने कहा कि संविधान में सांसदों को वेतन
और भत्तों का अधिकार दिया गया है। सांसदों और विधायकों के वेतन में वृद्धि की बात पिछले
सात आठ साल से चल रही है। जबकि इस संबंध में गठित की गई योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में
एक समिति समिति अपनी रिपोर्ट भी सौंप चुकी है। सपा नेता ने इस मामले में सरकार से
जल्द निर्णय लेने की मांग की है। इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए जवाब में
सभापति एम. वेंकैया नायडू ने भरोसा दिलाया कि इस संबन्ध में संबन्ध में सदस्यों की
इस भावना से वे वित्तमंत्री को अवगत कराएंगे, ताकि इस मामले पर सदन में चर्चा की
जा सके। गौरतलब है कि सपा सदस्य नरेश अग्रवाल संसद के पिछले सभी सत्रों के दौरान
इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं। उनका कहना है कि समिति ने भी यह सिफारिश की की है कि
सांसदों के वेतन को सातवें वेतन आयोग से जोड दिया जाए और उनका वेतन मुख्य कैबिनेट सचिव
के वेतन से एक रुपया ज्यादा होना चाहिए।
23Dec-2017
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