राष्ट्रीय
पोषण मिशन की स्थापना को दी मंजूरी
नरेन्द्र
मोदी सरकार ने देश में कुपोषण और इससे जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिए कमर कस ली
है। केंद्रीय कैबिनेट ने इस दिशा वर्ष 2022 तक ठोस नतीजे निकालने के लिए 9046.17 करोड़
रूपये के बजट के साथ ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ गठित करने की मंजूरी दी है। केंद्र
सरकार ने यह फैसला इसी माह आई एक वैश्विक रिपोर्ट में भारत की कुपोषण के मामले में
बदतर स्थिति में सुधार करने के तहत किया है।
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।

प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस मंजूरी
की जानकारी शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी के साथ केंद्रीय
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दी है। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह ही 'द ग्लोबल न्यूट्रिशन
रिपोर्ट-2017' में दी गई चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री की
अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में देश में अल्पपोषण व इससे संबंधित समस्याओं
को रोकने और कम करने के लिए किए उठाए गए कदमों की प्रगति और प्रयासों की समीक्षा की
गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री कार्यालय, नीति आयोग और अन्य संबन्धित मंत्रालयों के
अधिकारियों के साथ कुपोषण से निपटने के लिए वर्ष 2022 तक सकारात्मक नतीजे लाने पर
विचार हुआ और इसके लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) की स्थापना करने का
प्रस्ताव किया गया। कैबिनेट ने इस प्रसताव को तीन साल की अवधि में अनुमानित खर्च
के रूप में 9046.17 करोड़ रूपये के बजट के साथ मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि 140
देशों पर जारी इस रिपोर्ट में कुपोषण के तीन प्रकारों के विश्लेषण में भारत की आधी
से ज्यादा मां बनने में सक्षम महिलाओं को खून की कमी की बीमारी एनीमिया की मरीज बताया
गया है।
शीर्षस्थ निकाय का रूप होगा मिशन
केंद्रीय
मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किये गये राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) के प्रस्ताव में
किये गये प्रावधानों के तहत यह मिशन एक शीर्षस्थ निकाय के रूप में मंत्रालयों के पोषण
संबंधी हस्तक्षेपों की निगरानी, पर्यवेक्षण, लक्ष्य निर्धारित करने तथा मार्गदर्शन
करने का काम करेगा। प्रस्ताव में यह मिशन कुपोषण का समाधान करने हेतु विभिन्न स्कीमों,
अत्यधिक मजबूत अभिसरण तंत्र प्रारंभ करने, आईसीटी आधारित वास्तविक समय निगरानी प्रणाली
के साथ तय किये गये लक्ष्यों को हासिल करने वाले राज्यों को को प्रोत्साहित करेगा।
दस करोड़ लोगों को होगा लाभ
सरकार का
दावा है कि राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के इस कार्यक्रम से 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को
लाभ मिलेगा। सभी राज्यों और जिलों को चरणबद्ध रूप से यानि वर्ष 2017-18 में 315 जिले,
वर्ष 2018-19 में 235 जिले तथा 2019-20 में शेष जिलों को शामिल किया जाएगा। यह कार्यक्रम
लक्ष्यों के माध्यम से ठिगनेपन, अल्प पोषाहार, खून की कमी तथा जन्म के समय बच्चे
के वजन कम होने के स्तर में कमी के उपाय करने के लिए संबन्धित मंत्रालयों के अलावा
राज्यों के साथ समन्वय बनाकर लक्ष्य हासिल करेगा।
आंगनवाड़ी में नहीं होगा रजिस्टरों के प्रयोग
मिशन के
प्रस्तावों में आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों द्वारा रजिस्ट्ररों के प्रयोगों को समाप्त
करने के साथ आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों की ऊंचाई के मापन प्रारंभ की जाएगी,
जिसका सामाजिक लेखा परीक्षा भी मिशन करेगा। कुपोषण के खिलाफ इस मिशन में आम लोगों
को जन आंदोलन के जरिए पोषण पर विभिन्न गतिविधियों आदि के माध्यम से शामिल करने और पोषण
संसाधन केंद्रों की स्थापना भी की जाएगी।
दस करोड़ लोगों को होगा लाभ
सरकार का
दावा है कि राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के इस कार्यक्रम से 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को
लाभ मिलेगा। सभी राज्यों और जिलों को चरणबद्ध रूप से यानि वर्ष 2017-18 में 315 जिले,
वर्ष 2018-19 में 235 जिले तथा 2019-20 में शेष जिलों को शामिल किया जाएगा। यह कार्यक्रम
लक्ष्यों के माध्यम से ठिगनेपन, अल्प पोषाहार, खून की कमी तथा जन्म के समय बच्चे
के वजन कम होने के स्तर में कमी के उपाय करने के लिए संबन्धित मंत्रालयों के अलावा
राज्यों के साथ समन्वय बनाकर लक्ष्य हासिल करेगा।
छह माह का बच्चा भी आधार से जुड़ेगा
राष्ट्रीय कुपोषण मिशन के गठन के निर्णय पर केंद्रीय
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि इस कार्यक्रम के
तहत सरकार अब छह माह के बच्चों को भी आधार कार्ड से जोडऩे का काम करेगी। उन्होंने कहा
कि कुपोषण को दूर करने के लिए छह माह के बच्चे की पहचान के लिए उसे आधार कार्ड से जोड़ा
जाएगा। स्पष्ट किया कि 0 से पांच वर्ष तक के बच्चे का बायोमेट्रिक नहीं बनता, लेकिन
उसे एक सख्यां दी जाती है और उसकी जगह मां का बायोमेट्रिक लिया जाता है। छह माह के
बच्चे का भी बायोमेट्रिक नहीं लिया जाएगा, लेकिन उसे आधार सख्यां दी जाएगी।
02Dec-2017
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