हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
उप
राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने लोकतंत्र को मजबूती देने की दिशा में विश्वसनीय
सूचनाओं को जनता तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भरोसेमंद सूचनाओं
से न कि लोकतंत्र प्रगतिशल बनेगा, बल्कि इससे व्यवस्था के संचालन में जनभागीदारी
भी बढ़ेगी।
यह बात
वेंकैया नायडू ने बुधवार को यहां ‘मामलों पर स्वत: संज्ञान लेना, रिकार्ड सुरक्षित
रखना और आरटीआई के प्रवर्तन के दौरान उभरते मुद्दे’ विषय पर आयोजित केन्द्रीय सूचना
आयोग के 12वें वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए कही। नायडू ने सम्मेलन में आए
राज्यों के सूचना आयुक्तों, देशभर से आए प्रतिनिधियों और आरटीआई के क्षेत्र में
सक्रिय कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र की सार्थकता के लिए यह
जरूरी है कि जनता तक भरोसेमंद सूचनाओं की पहुंच हो। पिछले दो दशक से सूचना के
अधिकार के तहत सूचनाओं के आदान प्रदान में दुनियाभर में ही भारी बढ़ोतरी देखी जा
रही है, क्योंकि सूचनाओं के आदान प्रदान को बढ़ावा देने से शासन की जवाबदेही
सुनिश्चित होती है। उन्होंने कहा कि सूचनाओं का आदान प्रदान और जनता के प्रति
जवाबदेह पारदर्शी शासन ही भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के प्रमुख आधार हैं। उन्होंने
महान नीतिशास्त्री कौटिल्य का जिक्र करते हुए कहा कि जनकल्याण को सुनिश्चत करना ही
बेहतर प्रशासन का मकसद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार के तहत सरकार
की जवाबदेही बढ़ने के साथ शासन में जनभागीदारी भी सुनिश्चित होती है और सरकारी
कामकाज में पारदर्शिता लाने की सीख भी मिलती है। सम्मेलन में केंद्रीय कार्मिक,
लोक शिकायत और पेंशन मंत्री जितेन्द्र सिंह तथा केंद्रीय सूचना आयोग में मुख्य
सूचना आयुक्त राधाकृष्ण आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
लंबित मामलों पर चिंता
सम्मेलन
में उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने केंद्रीय सूचना आयोग और राज्यों के सूचना आयुक्तों
से सूचना आयोगों में लंबित मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए अपील की है कि ऐसे
लंबित मामलों निस्तारण त्वरित किया जाना जरूरी है, ताकि जनता की शिकायतों का शीघ्र
समाधान सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि केंद्रीय और राज्य सूचना आयोग
प्रशासनिक अधिकारियों और नागरिकों के बची एक सेतु की भूमिका निभाते हैं, इसलिए
आयोगों को व्यवस्थाओं में जनता की भागीदारी को सार्थक बनाते हुए लोकतंत्र को
प्रगतिशील बनाने की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राज्यसभा के
सभापति के रूप में दो दिन पहले जदयू के शरद यादव व अली अनवर अंसारी को अयोग्य करार
देने के निर्णय की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में तीन माह के
भीतर फैसला किया गया है, क्यों उन्होंने कहा कि का मामले पर कहा कि उन्होंने इन
नेताओं को अयोग्य करार देने वाले मामलें में त्वरित फैसला किया है। उन्होंने कहा
कि किसी मामले में निर्णय लेने में देरी उसका समाधान न करने जैसा है। इसलिए मामलों
को लंबित रखने के बजाए त्वरित निपटान करने पर ध्यान होना चाहिए।
07Dec-2017
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें