रविवार, 11 सितंबर 2016

जल्द होगा जीएसटी परिषद का गठन!

शीतकालीन सत्र में जीएसटी पारित कराने की कवायद
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार अगले साल एक अप्रैल से जीएसटी कानून लागू करने की समय सीमा तय करने के बाद इससे जुड़े संविधान संशोधन के पड़ाव को पूरा कराने के बाद जीएसटी परिषद के गठन की तैयारी में जुट गई है, जिसकी जल्द ही अधिसूचना जारी हो सकती है। सरकार का मकसद जीएसटी कानून को संसद के आगामी शीतकालीन में पारित कराना है, ताकि अन्य औपचारिकताओं को तय समय सीमा से पहले पूरा किया जा सके।
देश में अर्थव्यवस्था के सुधार की दिशा में केंद्र सरकार अगले साल एक अप्रैल से जीएसटी कानून लागू करने की समय सीमा तय कर चुकी है, जिसके लिए सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबन्धि संविधान संशोधन विधेयक संसद और करीब 20 राज्यों से पारित कराने के बाद राष्ट्रपति की भी मंजूरी हासिल कर ली। इससे सरकार के लिए एक अप्रैल 2017 को देश में जीएसटी कानून लागू करने का रास्ता साफ होने लगा है, जिसके लिए सरकार विस्तृत खाका पहले ही सार्वजनिक कर चुकी है। जीएसटी के जरिए सरकार का लक्ष्य काराधान की उपयुक्त दर तय करना है। हालांकि जीएसटी दर के बारे में अंतिम फैसला जीएसटी परिषद का होगा, जिसके गठन का प्रावधान अंजाम हासिल कर चुके जीएसटी संबन्धी संविधान (122वें संशोधन) विधेयक में शामिल है। सूत्रों के अनुसार सरकार जीएसटी परिषद के गठन की तैयारी में सरकार जुट गई है, वहीं केन्द्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी के साथ ही एकीकृत जीएसटी कानूनों का खाका तैयार करने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारें रात-दिन काम कर रही हैं। सरकार का मकसद है कि जीएसटी कानून को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित कराया जा सके। केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली पहले ही कह चुके हैं कि जीएसटी कानून लागू होने से देश भर में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में आमूल-चूल परिवर्तन होना तय है, जिसके लागू होने पर उत्पाद शुल्क, बिक्री कर, सेवा शुल्क, चुंगी और अन्य तरह के कर इसमें समाहित हो जाएंगे और कर संग्रह को केंद्र तथा राज्यों के बीच बांटा जाएगा।
जीएसटी परिषद पर मंथन
दरअसल जीएसटी दर के बारे में फैसला करने वाली जीएसटी परिषद में केंद्र के अलावा राज्यों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में गठित होने वाली जीएसटी परिषद में केंद्र के राजस्व के प्रभारी वित्त राज्यमंत्री और राज्यों के वित्त मंत्रियों के अलावा आर्थिक विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा सकता है। दरअसल जीएसटी परिषद अन्य बातों के अलावा कर ढांचे, कर दरों, रियायतों और आवश्यक नियमों के बारे में भी सुझाव देगी। वहीं यह परिषद को जीएसटी काननू में राजस्व अनिवार्यताओं तथा कर की दर कम करने की जरूरत जैसे पहलुओं को ध्यान में रखकर संतुलन कायम करने का प्रावधान करना होगा। इसी परिषद को लेकर इस समय माथापच्ची चल रही है।
बन सकती है निपटान प्रणाली
आर्थिक विशेषज्ञों की माने तो जीएसटी परिषद के सुझाव केंद्र और राज्यों के बीच विवाद खड़ा कर सकते हैं। इस आशंका को देखते हुए यह जरूरी है कि जीएसटी कानूनों को सहिष्णुपूर्ण माहौल में क्रियान्वित कराने के लिए संभावना है कि एक समुचित विवाद निपटान प्रणाली का भी गठन होगा। ऐसे विवादों के समाधान के लिए जीएसटी विधेयक की धारा 279ए (11) में जीएसटी परिषद को यह अधिकार मिला है कि वह कोई विवाद होने पर उससे निपटने के लिए एक प्रणाली का गठन कर सकती है। मसलन जीएसटी संबंधी विधेयक की धारा 279ए (11) के मौजूदा प्रावधान कई गंभीर संवैधानिक और कानूनी सवाल भी खड़े करते हैं।
क्या कहता है मंत्रालय
जीएसटी लागू करने के लिए वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव हसमुख अधिया का कहना है कि जीएसटी के संविधान संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से सरकार की समय सीमा में जीएसटी कानून लागू करने का रास्ता साफ हो गया है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली का एक अहम मकसद पूरे देश के लिए एकसमान कर ढांचा तैयार करना है, जिससे समूचा भारत एकल बाजार बन जाएगा। हालांकि भारतीय संघीय व्यवस्था के तहत इस तरह की राजस्व सुसंगतता को अक्सर संविधान में वर्णित वित्तीय स्वायत्तता के सिद्धांतों के प्रतिकूल माना जाता है।
11Sep-2016

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