बुधवार, 14 सितंबर 2016

एलएनजी जल्द बनेगा नौकाओं का ईंधन

पहले एलएनजी भंडारण हेतु 10 एकड़ भूमि देगा केंद्र
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में गंगा समेत 111 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग में तब्दील करके जल परिवहन परियोजना से क्रांतिकारी बदलाव में जुटी केंद्र सरकार वाराणसी से हल्दिया तक गंगा में मालवाहकों जहाजों का ट्रायल पूरा कर चुकी है। इस परियोजना में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए अब सरकार ने एलएनजी को नदियों में दौड़ने वाले जल वाहनों यानि नौकाओं का र्इंधन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, जिसके लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के तहत हल्दिया गोदी परिसर के निकट एलएनजी के भंडारण के लिए 10 एकड़ भूमि मुहैया कराई जाएगी।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार सरकार ने माल लागत घटाने और नौकाओं के लिए ईंधन के रूप में एलएनजी का उपयोग करके प्रदूषण को कम करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी ने एनएनजी के भंडारण एवं अन्य सुविधाओं के लिए हल्दिया गोदी परिसर को एक सकारात्मक और सुरक्षित रूप में देखते हुए इस योजना को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के तहत हल्दिया गोदी परिसर में, हल्दिया तेल घाट नंबर-1 के आसपास स्थित क्षेत्र में 30 वर्ष की अवधि के लिए एलएनजी भंडारण सुविधाओं की स्थापना हेतु 10 एकड़ भूमि का निर्धारण किया है। इसमें निविदा एवं नीलामी के जरिए पाइपलाइन बिछाने और माल उतारने की सुविधा की अनुमति होगी। इस परियोजना को दिसंबर 2016 तक भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति देकर भूमि लीज मॉडल के तहत शुरू किया जाएगा। एलएनजी सुविधाएं भूमि के आवंटन की तारीख से 24 महीने के अंदर विकसित हो जाने का अनुमान है। मंत्रालय का दावा है कि जल परिवहन में विकसित की गई इस महत्वपूर्ण योजना के तहत सरकार एलएनजी की सुविधा और ढुलाई अंतर्देशीय जलमार्ग के साथ-साथ उचित स्थानों पर स्थापित करने के लिए कदम उठा रही है। दुनिया के कुछ विकसित देशों में एलएनजी र्इंधन से संचालित नौकाओं का बेहतर परिणाम को देखते हुए भारत में भी एलएनजी को नौकाओं का र्इंधन बनाने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि एलएनजी भंडारण केन्द्र गंगा नदी के साथ-साथ बनाए जा सकते हैं,जिससे संभावित गैस उपभोक्ताओं को भी सुविधा होगी। सरकार एलएनजी ईंधन का इस्तेमाल सड़क परिवहन क्षेत्र में भी करने पर विचार कर रही है।
जल परिवहन को मिलेगा बढ़ावा
मंत्रालय के अनुसार जल परिवहन में एलएनजी के इस्तेमाल से 20 प्रतिशत र्इंधन की बचत होने का अनुमान लगाया गया है। वहीं इससे कार्बन डाइआॅक्साइड के उत्सर्जन में 20-25 प्रतिशत तथा नाइट्रोजन, सल्फर आॅक्साइड के उत्सर्जन में 90 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। मसलन एलएनजी को नौका ईंधन के रूप में पेश करने का प्रयास अंतर्देशीय जलमार्गों और तटीय शिपिंग को बढ़ावा देने के समग्र प्रयासों का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि अंतर्देशीय जल परिवहन एक लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल प्रणाली है, जिसे प्रोत्साहन देने के लिए पिछले दो सालों से महत्व दे रही सरकार ने जल मार्ग विकास के अधीन गंगा नदी में नौकायन की सुविधा के लिए टर्मिनलों और अन्य सुविधाओं का निर्माण पहले से ही कराना शुरू कर दिया है।
डीपीआर का इंतजार
जहाजरानी मंत्रालय इस योजना को सिरे चढ़ाने के लिए पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) के बीच मंथन कर रहा है। यही नहीं इसके लिए पीएलएल हल्दिया, साहिबगंज, पटना और गाजीपुर में एलएनजी सुविधाएं स्थापित करने के लिए विस्तृत व्यवहार्य रिपोर्ट (डीपीआर)तैयार करने की प्रक्रिया में जुटा है। मंत्रालय ने डीपीआर में पीएलएल से नौकाओं के ईंधन के लिए एलएनजी की ढुलाई के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा सहायता का ब्यौरा तैयार करने का भी अनुरोध किया था, ताकि अपेक्षित गतिविधियां अर्जित करने के लिए लक्ष्य निर्दिष्ट करने में आसानी हो सके। इस रिपोर्ट में गोवा और महाराष्ट्र के जलमार्ग में एलएनजी नौकाओं की शुरूआत करने की संभावनाओं को तलाशने का भी अनुरोध सरकार कर चुकी है। यह रिपोर्ट इस वर्ष गत अप्रैल में मुम्बई के समुद्रीय भारत सम्मेलन के दौरान आईडब्ल्यूएआई के साथ किये गये एक करार के अनुसार तैयार की जा रही है, जिसका मंत्रालय को इंतजार है।
14Sep-2016

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