रविवार, 25 सितंबर 2016

राग दरबार: हवा में उड़ता पाकिस्तान..

आतंकवाद की हिमायत
भारत के खिलाफ आतंकवाद का खेल खेलते आ रहे पाकिस्तान के लिए वह कहावत सटीक बैठती है कि एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं। पर यहां तो कहीं ज्यादा ही हो रहा है। मसलन पाकिस्तान है कि मानता नहीं? यह भी पाक जानता है कि वह भारत के मुकाबले कहीं भी टिकने की औकात नहीं रखता। फिर भी पाकिस्तान उरी अटैक के बाद जिस प्रकार हवा में उड़ने का प्रोपगंडा करके झूठ पर झूठ बोलता जा रहा है, उसमे वह यूएन के मंच पर आतंकवाद की हिमायत करके फंसता नजर आ रहा है। उरी के आतंकी हमले के बाद सीनाजोरी करते पाक के प्रति अब भारत पूरी तरह सख्त हुआ और 56 इंच का सीना सामने कर पीएम मोदी की सरकार ने जैसे ही 56 साल पहले हुई जल संधि रद्द करने पर विचार किया तो पाक जल संधि टूटने के डर से ऐसा घबराया। आतंकवाद पर पानी जब सिर से ऊपर बहने लगे तो भारत के सब्र के बांध का टूटना स्वाभाविक है। विशेषज्ञों के सुर भी भारतीयों की भवनाओं में सख्त हो गये और चौतरफा पाक को कड़ा सबक सिखाने की आवाज उठ तही है तो भी पाक सीनाजोरी का्ररता नजर आ रहा है। अपने लडाकू विमानों की उडानों में भारत को युद्ध की तैयारी का प्रदर्शन करके भारत पर दबाव बनाने और कश्मीर का राग अलापकर आतंकवाद के मुद्दे से भटकाने का प्रयास भी कर रहा है। भारत इन सबके बावजूद भारत सिंधु जल संधि के सहारे पाकिस्तान पर दबाव बनाने की निर्णायक कार्रवाई के लिए तैयारी में जुट गया है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा की बात की जाए तो पानी की आपूर्ति और अन्य खाद्दानों जैसे व्यापारिक समझौते निरस्त करने की कार्यवाही से ही पाक बिना युद्ध के पराजित हो। यही तो है बिना औकात के हवा में उड़ना....।
अमर की जय-जयकार
समाजवादी पार्टी में कुछ दिन से चल रहे दंगल में ठाकुर अमर सिंह बड़ा हाथ मारने में कामयाब रहे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो अपने चाचा शिवपाल यादव के साथ चले झगड़े को इशारों ही इशारों में अमर सिंह की लगाई हुई आग करार दे दिया था। उनको बाहरी करार देने के बाद अखिलेश ने कहा था कि वे आगे से कभी भी ‘उनको’ अंकल नहीं कहेंगे। फिर ऐसा क्या हुआ कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह को पार्टी का महासचिव बना दिया। इतना ही नहीं मुलायम ने नियुक्ति पत्र खुद जारी किया वो भी अपनी लिखावट में। अमर की ताजपोशी का ऐलान होते ही साबित हो गया कि अखिलेश यादव की सुनने की बजाय मुलायम अपने छोटे भाई शिवपाल यादव की सलाह को ज्यादा अहमियत दे रहे हैं। रामगोपाल वर्मा और अखिलेश से अमर सिंह की पुरानी अदावत है। इन दोनों के कड़े विरोध के चलते ही सपा से उनका नाता टूटा था। यादव परिवार के भीतर अमर का कोई जिगरी यार है तो वो शिवपाल ही है। आजम खान के तगड़े विरोध के बावजूद शिवपाल यादव अपने मित्र को सपा से राज्यसभा में भिजवाने में सफल रहे और अब महासचिव भी बनवा दिया। अगले साल यूपी में चुनाव होना है। अब देखना ये है कि शिवपाल-अमर की जोड़ी अखिलेश-रामगोपाल पर भारी पड़ती है या नहीं।
संजीवनी की तलाश
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आ रहे है। वैसे-वैसै राज्य का सियासी पारा गर्माने लगा है। सपा,बसपा और बीजेपी को पीछे छोडते हुए कांग्रेस ने खाट पर चर्चा और राहुल गांधी की रैलियों से यूपी में सत्ता पर काबिज होने के लिए प्रचार शुरू कर दिया है,लेकिन अकबर रोड़ पर बैठे कांग्रेसी इससे कुछ अलग की राय रखते है। पार्टी के नेता प्रशांत किशोर की रणनीति को देखकर यह अंदाजा लगा रहे है कि इन सबसे से राज्य में हाशिए पर पर पड़ी पार्टी एकदम से सत्ता में तो नही आएगी,लेकिन राहुल के प्रचार से चुनाव में अच्छी स्थिति में जरूर पहुंच सकेंगे। राज्य में 65 से 70 सीटे हासिल भी कर लेंगे। इससे पार्टी में दूसरे राज्यों में मायूस बैठे कांग्रेस कार्यकर्ताओ में जोश जरूर देखने को मिलेगा। यूपी के चुनावी परिणाम पार्टी के अनुकूल आते है तो पार्टी जल्द ही दूसरे राज्यों में सियासी जमीन को मजबूत करने का काम शुरू कर देंगी,ताकि वहां के चुनाव में सफलता हासिल हो सके।
25Sep-2016

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