सोमवार, 19 सितंबर 2016

सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में ओडिशा सरकार

महानदी जल विवाद:
पटनायक सरकार चाहती है न्यायाधिकरण का गठन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के जल बंटवारे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों के बीच ओडिशा सरकार का रवैया नकारात्मक दिशा में नजर आ रहा है। एक दिन पहले ही केंद्र सरकार के साथ दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री स्तर की हुई बैठक में आपसी सहमति से लिए गये कुछ निर्णय के बावजूद ओडिशा सरकार अब इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी में है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती की अध्यक्षता में शनिवार को महानदी मुद्दे का सुलझाने के लिए एक त्रिस्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ओर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के अलावा केंद्र और दोनों राज्यों के संबन्धित अधिकारियों की आपसी सहमति से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये। हालांकि इस मुद्दे पर पहले से ओडिशा के अडियल रवैये की झलक इस बैठक में देखने को मिली। फिर भी सहमति के तहत केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने महानदी पर दोनों राज्यों की निर्मित परियोजनाओं की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का ऐलान किया, लेकिन ओडिशा सरकार इस मामले पर अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम-1956 के तहत एक न्यायाधिकरण के गठन पर जोर दे रहा है। दरअसल ओडिशा सरकार किन्ही राजनीतिक कारणों से छत्तीसगढ़ सरकार की महानदी पर चल रही परियोजनाओं पर आपत्तियां जताकर उन्हें बंद कराने पर अड़ा हुआ है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय हस्तक्षेप के तहत इस विवाद को सुलझाने के प्रयासों के विपरीत अब ओडिशा सरकार ने अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम का सहारा लेकर न्यायाधिकरण के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट जाने के कारण में ओडिशा सरकार के सूत्रों की माने तो बैठक में नवीन पटनायक को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने यह आश्वासन नहीं दिया कि छत्तीसगढ़ सरकार की महानदी पर चल रही निर्माण प्रक्रिया को बंद कर दिया जाएगा।
लगातार रोड़ा बना है ओडिशा
केंद्र के साथ बैठक के दौरान दोनों राज्यों की सहमति से लिए गये निर्णयों के बावजूद ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का इसी बात पर तो जोर रहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को महानदी पर किसी भी निर्माण प्रक्रिया को बंद कर देना चाहिए। लेकिन छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के इस मुद्दे को सुलझाने के लिए संयुक्त नियंत्रण बोर्ड (जेसीबी) गठित करने पर सहमति जताने का प्रयास नहीं किया। ओडिशा सरकार ने राज्यों के हितों की रक्षा करने में जेसीबी के असक्षम करार देते हुए इस मुद्दे पर कानूनी विकल्प के तहत एक न्यायाधिकरण के गठन पर ज्यादा जोर दिया। जहां तक महानदी पर निर्मित परियोजनाओं की जांच का सवाल है के लिए गठित की जा रही विशेषज्ञ समिति पर पटनायक ने सहमति तो जताई लेकिन यहां तक कहा कि वह अपना रूख भुवनेश्वर जाने के बाद कैबिनेट की बैठक बुलाकर उसमें होने वाले फैसले के बाद बताएंगे।
असमंजस में है ओडिशा सरकार
महानदी मुद्दे को लेकर शायद ओडिशा सरकार असमंजस में है, जिसका कारण राजनीतिक माना जा रहा है। तभी तो ओडिशा सरकार का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार चिल्का झील, भितरकणिका, सतकोसिया और गहिरमाता अभयारण्य जैसे अनोखे जैव विविधता वाले पर्यटक स्थलों के पर्यावरणीय दृष्टिकोण को नजरअंदाज करते हुए महानदी पर जल परियोजनाओं का निर्माण कर रही है। ऐसा आरोप नवीन पटनायक ने केंद्रीय मंत्री उमा भारती के साथ हुई त्रिपक्षीय बैठक में भी मंढा था। गौरतलब है कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव स्तर की जुलाई में केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष की मौजूदगी में हुई बैठक में लिए गये निर्णय के मुताबिक दोनों राज्यों को एक-दूसरे राज्यों के साथ महानदी पर चल रही परियोजनाओं की जानकारी साझा करने पर सहमति बनने के बावजूद ओडिशा ने अभी तक एक भी जानकारी छत्त्तीसगढ़ सरकार को नहीं दी, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार अब तक पूरी हुई परियोजनाओं की पूरी जानकारी ओडिशा राज्य के साथ साझा कर चुका है।
19Sep-2016

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