शनिवार, 24 सितंबर 2016

फास्ट ट्रैक पर होगा नमामि गंगे मिशन!

प्राधिकरण के रूप में बनेगा नया संस्थागत ढांचा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में गंगा व सहायक नदियों के पानी की धारा को निर्मल और अविरल बनाने की योजना के तहत चलाए जा रहे ‘नमामि गंगे मिशन’को फास्ट ट्रैक पर लाने के लिए एक नया संस्थागत ढांचा तैयार किया जा रहा है। इस ढांचे को बनाने का रास्ता दो दिन पहले ही केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय परिषद के गठन को मंजूरी देने से आसान हुआ है।
केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को निरंतर चलाया जा रहा है, जिसमें गंगा नदी के तटों को सुधारने और घाटो तथा अन्य तटीय विकास के लिए जुलाई में सौ से भी ज्यादा योजनाएं एक साथ शुरू की जा चुकी हैं। गंगा स्वच्छता अभियान में तेजी लाने के लिए कुछ कानूनी अड़चने थी, जिन्हें दूर करने के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं संरक्षण मंत्रालय ने ‘गंगा नदी (कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन) के प्राधिकार के आदेश’ का एक कैबिनेट नोट केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष पेश किया, जिसे दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिल गई है। इसके तहत जल्द ही राष्ट्रीय परिषद का गठन होगा। मंत्रालय के अनुसार नमामि गंगे परियोजना को फास्ट ट्रैक पर लाने के लिए एक नया संस्थागत ढांचा तैयार किया जा रहा है, जो राष्ट्रीय मिशन की सशक्त बनाएगा, वहीं इससे परियोजना का संचालन निर्विघ्न और स्वतंत्र एवं दायित्वपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मंत्रालय ने इस प्राधिकरण को मिशन का दर्जा देने का फैसला किया है। मसलन इसके पास पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम-1986 के तहत आने वाली शक्तियां मिल जाएंगी। इसके तहत वित्तीय और प्रशासनिक प्रतिनिधिमंडल का गठन किया जा रहा है जिसकी इन कार्यों के प्रति जवाबदेही तय हो सकेगी। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने राष्ट्रीय परिषद के गठन के लिए मिली इस मंजूरी को नमामि गंगे मिशन को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम करार दिया है। मंत्रालय के अनुसार इस प्राधिकार के आदेश के लागू होने से मंत्रालय को स्वच्छ गंगा के लिए एक ठोस नीति तैयार करने में मदद मिलेगी। मसलन नमामि गंगे मिशन फास्ट ट्रैक पर आ जाएगा और इसके आसानी से क्रियान्वयित किया जा सकेगा।
राष्ट्रीय परिषद संभालेगा जिम्मेदारी
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार प्राधिकरण आदेश की मंजूरी मिलने के साथ ही गंगा नदी कायाकल्प, संरक्षण और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय परिषद का गठन किया गया है। इस परिषद की जम्मेदारी प्रदूषण की रोकथाम के अधीक्षण और गंगा नदी बेसिन के कायाकल्प करने की होगी। वहीं केंद्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जा रहा है जिसमें अन्य मंत्रालयों और विभागों के अलावा राज्यों के संबन्धित प्रतिनिधि भी शामिल किये जा रहे है। राष्ट्रीय परिषद के गठन से नमामि गंगे संबन्धी सभी गतिविधियों, गंगा नदी के कायाकल्प और गंगा नदी के संरक्षण का काम समय-सीमा के दायरे में काम करेगा,जिसकी एक कार्य योजना तैयार की गई है। इस कार्य योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक तंत्र विकसित किया गया है। मसलन समय सीमा के भीतर कार्य योजना का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए इससे मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों के बीच समन्वय स्थापित हो सकेगा।
राष्ट्रीय मिशन का बदला ढांचा
मंत्रालय के अनुसार स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन(एनएमसीजी) को यह प्राधिकरण लागू होने से पर्यावरण (संरक्षण)अधिनियम के तहत ज्यादा शक्तियां बढ़ गई है। इसलिए अब एनएमसीजी के ढांचे को दो स्तरों पर तैयार किया गया है, जिसमें पहले स्तर पर गवर्निंग काउंसिल(जीसी) होगी, जिसकी अध्यक्षता एनएमसीजी के डीजी करेंगे। इसके बाद एक कार्यकारी कमेटी(ईसी) होगी, जिसके अध्यक्ष एनएमसीजी के डीजी होंगे। एनएमसीजी राष्ट्रीय गंगा परिषद के निदेर्शों के अनुरूप गंगा बेसिन प्रबंधन योजना को लागू करेगी। इस
राज्यों व जिला स्तर पर जिम्मेदारी
इस प्राधिकरण आदेश के तहत राज्य के स्तर पर प्रत्येक राज्य में प्राधिकरण के तौर पर राज्य गंगा समितियां गठित करने का प्रस्ताव है। यह समितियां अधीक्षण, निर्देशन और अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत जिला गंगा संरक्षण समितियों पर नियंत्रण रखेंगी। इसी तरह जिला गंगा समिति गंगा नदी के किनारे बसे जिलों में एक प्राधिकरण के तौर गंगा संरक्षण की जिम्मेदारी संभालेगी। मसलन गंगा नदी के जल की गुणवत्ता की निगरानी के लिए चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं की निगरानी करने की जिम्मेदारी भी जिला समितियों को सौंपी जा रही हैं।
24Sep-2016

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