मंगलवार, 6 सितंबर 2016

दिल्ली पहुंचा बांग्लादेश से पहला मालवाहक ट्रक!

अंतरर्देशीय कॉरिडोर का ट्रायल बना भारत का इतिहास
बांग्लादेश,भूटान, नेपाल व भारत के मोटर वाहन करार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
दक्षिण एशियाई यानि सार्क देशों के बीच आवागमन को बेरोक-टोक बनाने की दिशा में मोदी सरकार को उस समय पहली कामयाबी मिली, जब बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल (बीबीआईएन) मोटर वाहन अनुबंध के तहत परीक्षण के तौर पर बांग्लादेश से चला पहला मालवाहक ट्रक दिल्ली में दाखिल हुआ।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल 15 जून 2015 को थिम्पू, भूटान में हस्ताक्षर करके भारत,बांग्लादेश, भूटान व नेपाल के बीच ऐसे अंतर्राष्ट्रीय सड़क परिवहन परियोजना पर समझौते को अंजाम दिया था। जिसमें इन देशों के बीच अंतरर्देशीय कॉरिडोर में बीबीआईएन मोटर वाहन अनुबंध के तहत भारत और पडोसी बांगलादेश, नेपाल और भूटान आपस में एक-दूसरे देश के बीच बेरोक-टोक यात्री, निजी और माल वाहनों की बेरोक आवाजाई को आसान बना सके। उसके पहले परीक्षण के रूप में बांग्लादेश से चलकर एक मालवाहक ट्रक सीमा शुल्क मुक्त सीमाओं को निर्बाध गति से पार करते नई दिल्ली में पटपड़गंज स्थित सीमा शुल्क डिपो पहुंच गया। मंत्रालय का दावा है कि सरकार की इस परियोजना में भारत और बांग्लादेश के बीच मालवाहक वाहनों की परीक्षण यात्रा के जरिए बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, नेपाल (बीबीआईएन) मोटर वाहन अनुबंध (एमवीए) के तहत अंतर्राष्ट्रीय यातायात की निर्बाध आवाजाही का रास्ता प्रशस्त हुआ। इस माल की खेप वाले बांग्लादेश के ट्रक के दिल्ली पहुंचने पर पूर्वी दिल्ली स्थित पटपड़गंज में अंतर्देशीय सीमा शुल्क डिपो पर मुख्य आयुक्त विवेक जौहरी और अन्य अधिकारियों ने स्वागत किया और सीमा शुल्क संबन्धी सभी औपचारिकताएं पूरी की।
बनेगा अलग-अलग प्रोटोकॉल
मंत्रालय के अनुसार इस अनुबंध को यात्री और माल वाहनों के लिए अलग-अलग लागू करने के प्रोटोकॉल के बारे में चारों देशों के बीच बातचीत जारी है। इस परीक्षण यात्रा का आयोजन इस अनुबंध को लागू करने क लिए प्रोटोकॉल का विकास करने में मदद करने के लिए किया गया। बीबीआईएन मोटर वाहन अनुबंध का मकसद इस उप-क्षेत्र में मालवाहक वाहनों और यात्रियों की सीमा पार आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है।
ऐसे हुआ सफर आसान
मंत्रालय के अनुसार बांग्लादेश की नजरूल परिवहन एजेंसी और एक्सपो फ्रेट प्राइवेट के इस ट्रक को बीबीआईएन मोटर वाहन अनुबंध के तहत ढाका से 27 अगस्त 2016 को परीक्षण यात्रा के रूप में रवाना किया गया। इस ट्रक को आॅनलाइन वेब आधारित प्रणाली के माध्यम से परीक्षण यात्रा हेतु ई-परमिट जारी किया गया था। इससे सभी बीबीआईएन देशों द्वारा मान्य और स्वीकार्य उपभोक्ता अनुकूल प्रक्रिया स्थापित करने में मदद मिलेगी। इस खेप को सीमा पर किसी भी तरह की कस्टम मंजूरी की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ा। बल्कि जब यह पेट्रापोल सीमा पर पहले भारतीय सीमा शुल्क स्टेशन पर पहुंचा तो जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक सील इस ट्रक पर लगा दी गई, ताकि इसके माल की कस्टम मंजूरी के लिए दिल्ली में ही जांच की जा सके।
इस परियोजना से होगा फायदा
इन चारों पडोसी देशों के बीच इस करार के तहत जहां उप क्षेत्र में निर्बाध परिवहन की आवाजाही से समय और धन की बचत होगी, वहीं मालवाहक वाहनों की निर्बाध आवाजाही में मदद के लिए उठाए गए, जिससे इस क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। मसलन व्यापारिक दृष्टि से कुल लेनदेने की लागत में भी कमी आएगी। इससे पहले सीमा पर मालवाहक ट्रक का सारा माल उतारा जाता था और उसे सीमा शुल्क मंजूरी से गुजरना पड़ता था, जिससे समय और सामान को भी नुकसान होता था, लेकिन इस ट्रायल से जो तथ्य सामने आए हैं उसमें अब कोलकाता से अगरतला के बीच 1550 किमी से ज्यादा के सफर को भारत की चिकननेक के रास्ते घटा कर 650 किलोमीटर किया जा सकता है। इसलिए इस परियोजना से इन सभी देशों को अनेक फायदे होंगे।
06Sep-2016

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