रविवार, 4 सितंबर 2016

राग दरबार: मेडल पर भारी पडेगी फिटनेस...

पदोन्नति लेनी है तो घटाना होगा मोटापा
भारतीय सेना का आत्मबल बढ़ाने और सैनिकों को प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार ने कई उपाय किये है, जिसमें कुछ नए नियम भी बनाए गये है, जिसमें सैनिकों और सैन्य अधिकारियों की सेहत यानि शारीरिक फिटनेस पर जोर दिया गया है। इसके लिए सेना मुख्यालय से साफतौर पर संदेश दिया जा चुका है कि सैनिकों और अधिकारियों को उनके उत्कृष्ट सेवा के लिए पुरस्कार या मेडल उस स्थिति में ही दिए जांएगे, जब वे वे शारीरिकतौर पूरी तरह से फिट होंगे। मसलन किसी भी मोटे सैनिक या अधिकारी को मेडल या अन्य किसी पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया जाएगा। चर्चाओं में तो यह भी है कि समारोहों में सिर्फ फिट सैनिकों को ही एस्कॉर्ट या अन्य प्रमुख दायित्व देने के लिए दिशानिर्देश जारी किये गये हैं। इसके साथ ही सेना के जवानों और अधिकारियों की एसीआर में अब सामने और बगल से तस्वीरें भी दर्ज करने की नीति भी बनाई गई है। दरअसल हाल ही में सेना मुख्यालय से सैनिकों और अधिकारियों के बढ़ते मोटापे को लेकर उनकी सेहत पर जोर देते हुए नए नियमों के तहत निर्देश जारी किए गए हैं। ऐसे नये नियमों में तो भारतीय सेना में अब पदोन्नति या महत्वपूर्ण पोस्टिंग तक के लिए भी फिटनेस को अनिवार्य कर दिया गया है। दरअसल भारतीय सेना में बढ़ते मोटापे को सेना की तैयारी पर असर पड़ने से चिंतित सेना मुख्यालय को ऐसा कदम उठाना पड़ा है। जाहिर सी बात हे कि सेना में अब किसी भी तरह के प्रोत्साहन का लाभ लेने पर भारी पडेÞगी फिटनेस...।
जब मंत्री ने बनायी मिट्टी से आकृति...
आमतौर पर सरकारी कार्यक्रमों के उद्घाटन के मौके मंत्री आते हैं, भाषण देते हैं और उसके बाद चले जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे यादगार कार्यक्रम भी होते हैं, जिसमें मंत्री इन सभी चीजों से इतर भी कुछ ऐसा भी कर जाते हैं, जो सबको याद रह जाता है। बीते दिनों एक कार्यक्रम में कुछ ऐसा ही यादगार रहने वाला एक पल उभरा जब केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री (स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग) उपेंद्र कुशवाहा ने एनसीईआरटी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में पहुंचकर वहां लगायी गई प्रदर्शनी देखते हुए एक स्टॉल पर रूकते हुए मिट्टी से एक आकृति बनाई। उनके आसपास खड़े अधिकारियों में से किसी को नहीं लगा था कि मंत्री यकायक ऐसा भी कुछ कर जाएंगे। लेकिन कभी कभार वो चीजें भी हो जाती हैं जो सोची नहीं जाती। ये आकृति भी उनमें से ही एक थी।
प्रभु की कृपा
जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती अपने संसदीय क्षेत्र में कई नई रेल गाड़िया चलवाना चाहती हैं। काफी प्रयासों के बाद उनके संसदीय क्षेत्र को रेल मंत्री प्रभु की कृपा मिली। झांसी को इंदौर और इटावा को जोड़ने वाली ट्रेन को झंडी दिखाने वो रेल भवन भी पधारीं। जोश इतना था कि सभागार में वो रेल मंत्री सुरेश प्रभु से पहले पहुंच कर स्टेज पर अपनी कुर्सी पर बैठ गर्इं। इस मौके के लिए छपे निमंत्रण से प्रतीत हो रहा था कि झांसी से इटावा और इंदौर को जोड़ने के लिए दो ट्रेनें चलेंगी। वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिए रेल और रेल राज्य मंत्री के साथ झंडी हिलाने जा रहीं थीं तो अपने उत्साह को वो छिपा न सकीं और पूछा कि चलने वाली ट्रेन कौन सी है? रेल मंत्री के जवाब से उन्हें मायूसी हाथ लगी क्योंकि रेलमंत्रालय ने बड़ी ही चलाकी से ऐसा ट्रेन रूट तैयार किया था जो झांसी से इटावा होते हुए इंदौर जाता था।
-ओ.पी. पाल, कविता जोशी व अरुण
04Sep-2016

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