एक हजार किमी सड़के बनी, पाइप लाइन में आठ हजार किमी सड़केंओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के देश में राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई को दो गुना से ज्यादा करने के लक्ष्य में पूर्वोत्तर राज्यों के दूर दराज इलाकों में भी सड़को का जाल बिछाने की परियोजनाएं जारी हैं। अकेले एनएचआईडीसीएल ने ही पहाड़ी राज्यों में एक हजार किमी से जयादा लंबी सड़को का जाल बिछा दिया है और आठ हजार किमी सड़कों के निर्माण की योजनाएं पाइप लाइन में हैं।
केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय की ताबड़तोड़ जारी परियोजनाओं के तहत देश में करीब 96 हजार किमी राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई को दो लाख किमी करने के लक्ष्य के तहत डेढ़ लाख किमी तक का विस्तार किया जा चुका है। इसमें पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गो की सौगात दी जा रही है। इसी मुहिम के तहत केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अधीन गठित राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने अपने करीब 20 माह के कार्यकाल में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी इलाकों में दस हजार करोड़ रुपये की लागत वाली 34 सड़क परियोजनाओं को पूरा करते हुए एक हजार किमी से भी ज्यादा राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण करने का दावा किया है। एनएचआईडीसीएल के प्रबन्ध निदेशक आनंद कुमार ने यह दावा करते हुए कहा कि इसके अलावा फिलहाल एनएचआईडीसीएल को सौंपी गई 80 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली 130 परियोजनाओं के तहत 8000 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबाई की सड़कों के निर्माण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। आनंद कुमार का कहना है कि पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में परियोजनाओं के तहत हो रहे सड़क निर्माण में गुणवत्ता और सुरक्षा मानको की अनिवार्यता के लिए जवाबदेही भी तय की गई है।
सात राज्यों में विश्वस्तरीय ढांचा
केंद्रीय सड़क मंत्रालय की कंपनी एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार के अनुसार निर्माण की दक्षता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही इसके मार्गदर्शक सिद्धांत के आधार पर पूर्वोत्तर के सात राज्यों, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, अंडमान एवं निकोबार, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा सृजित करने का प्रयास किया जा रहा है। एनएचआईडीसीएल सड़कों के निर्माण के लिए नेपाल सरकार को परामर्श भी देने जा रही है। आनंद कुमार ने कहा कि वे दक्षता एवं पारदर्शिता के लिए इलेक्ट्रॉनिक टूल्स जैसे कि ई-आॅफिस, ई-एक्सेस, ई-पेस, व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं।
सुरक्षित सड़क में तकनीक का इस्तेमाल
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के चेयरमैन राघव चन्द्रा के अनुसार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का लक्ष्य सड़क अवसंरचना का एक ऐसा देशव्यापी नेटवर्क तैयार करने का लक्ष्य है, जिसमें यांत्रिक दृष्टि से मजबूती कायम रहे। देश में सड़क निर्माण के जरिए कारगर एवं टिकाऊ विकास की जरूरतों का मकसद सरकार की सड़को का इस्तेमाल करने वाले लोगों या यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि इसी तकनीकी इस्तेमाल के तहत देश में वर्ष 2014-15 में 7566 किमी लंबी सड़कों के दिए ठेकों में से 4410 किमी और वर्ष 2015-16 में ठेके पर दी गई दस हजार किमी सड़कों में से 6029 किमी सड़कों का निर्माण किया जा चुका है।
‘भारतमाला’ बड़ी पहल
एनएचएआई के चेयरमैन राघव चंद्रा ने मोदी सरकार की ‘भारतमाला’ जैसी परियोजना को एक बड़ी पहल करार देते हुए कहा कि इस परियोजना का मकसद देश के तटीय एवं सीमावर्ती क्षेत्रों को आपस में संपर्क मार्ग से जोड़ना है, जिनमें छोटे बंदरगाह, पिछड़े क्षेत्र,धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल भी शामिल हैं। इसी परियोजना के तहत चार धाम से कनेक्टिविटी में सुधार करते हुए सभी जिला मुख्यालयों को राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ने पर काम किया जा रहा है।
सिग्नल फ्री हाइवे का लक्ष्य
प्राधिकरण के अनुसार सरकारी की ‘सेतु भारतम’ पहल देश के राष्ट्रीय राजमार्गो पर सफर की रμतार को तेज करेगी, जिसके तहत देश में चिन्हित 208 लेवल क्रॉसिंगों पर रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) अथवा रेलवे अंडर ब्रिज (आरयूबी) का निर्माण किया जा रहा है और वर्ष 2019 तक 20,800 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सड़क यात्रा को सुरक्षित व आसान बनाने के लिए देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को सिग्नल फ्री बनाने का लक्ष्य है।
04Sep-2016
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें